MP के सोमेश्वर मंदिर में हैं 115 प्राचीन प्रतिमाएं….

मंदिर गर्भगृह की दीवारों से गुबंद तक लगी 115 प्रतिमाओं के कारण दर्शनीय है। यह मंदिर मराठाकालीन है जिसका निर्माण 17वीं-18वीं सदी में किया गया और किसी अन्य मंदिरों की ध्वस्त कल्चुरीकालीन प्रतिमाओं को मंदिर के गुंबद में लगाया गया जो 10वीं-11वीं सदी की बताई जातीं हैं। इस प्राचीन शिवालय में भी श्रावण के मौके पर पूजन-आरती करने श्रद्धालु आते हैं।

प्राचीन सोमेश्वर मंदिर को पुरातत्व अभिलेखागार एवं संग्रहालय मप्र शासन ने मठ की प्राचीनता और विशेषताओं के कारण सरंक्षित घोषित किया है। इसके संबंध में यहां दो बोर्ड लगाकर मठ की विशेषताओं का उल्लेख किया गया है। पूर्वमुखी मंदिर के गर्भगृह और मंडप के रूप में दो अंग हैं, जो वर्गाकार हैं।

मेहराबदार तीन प्रवेश द्वार हैं, मंडप में नंदी की विशाल प्रतिमा है, गर्भगृह में शिवलिंग स्थापित है। गर्भगृह की दीवारों से गुंबद तक कल्चुरीकालीन 10वीं-11वीं सदी की किसी अन्य ध्वस्त मंदिर की प्राचीन मूर्तियों को मंदिर निर्माण के साथ 5 पंक्तियों में लगाया गया है। मंदिर में कुल 115 प्राचीन प्रतिमाएं लगाई गई हैं।

बारिश न होने पर भरते हैं शिवलिंग के आसपास पानी

मंदिर को लेकर यह मान्यता भी है कि अल्पवृष्टि के दौरान यदि मंदिर के गर्भगृह में विराजित शिवलिंग के आसपास पानी भर दिया जाए तो शिवजी की कृपा से बारिश अच्छी होती है और अल्पवृष्टि का संकट टल जाता है। स्थानीय लोगों में इस मान्यता का गहरा असर है और पूर्व में कई बार लोग मान्यता के अनुसार गर्भगृह में पानी भरकर बारिश के लिए पूजन-अनुष्ठान भी कर चुके है।

संरक्षित है 200 मीटर क्षेत्र

मंदिर की संरक्षित सीमा के 100 मीटर और 200 मीटर क्षेत्र में खनन एवं अतिक्रमण, निर्माण कार्य को भी प्रतिबंधित किया गया है। इसके संबंध में प्रशासन का यहां बोर्ड भी लगा है। यह प्राचीन मंदिर शिव भक्तों के साथ पुरातात्विक दृष्टि से तो महत्वपूर्ण है लेकिन इसकी विशेषताओं और दर्शनीय रूप को उभारने में प्रशासनिक प्रयास नाकाफी है जिसका मलाल स्थानीय लोगों को भी है।

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