फिल्म संजू में कितना है सच और कितना है झूट
राजकुमार हिरानी ने संजय दत्त की 37 साल की जिंदगी को 3 घंटे में समेटने की कोशिश की है, लेकिन किसी की 37 साल की जिंदगी को कुछ घंटों में सिमटाना आसान नहीं। राजकुमार हिरानी को लेकर सभी का यही मानना है कि वह कभी किसी बेबुनयादी मुद्दें पर फिल्म नहीं बनाते, तो आखिर संजय द्त्त के जिंदगी में उन्होंने ऐसा क्या देखा कि बायोपिक बनाने निकल दिए। बीते कुछ सालों में संजय दत्त के लगातार खबरों में छाने के चलते यह बात जग जाहिर है कि उनकी जिंदगी में कई उतार-चढ़ाव रहे है और संजय ने अपने इन उतार-चढ़ावों का जिक्र राजकुमार हिरानी से कई बार उनकी फिल्म में काम करने के दौरान उनसे किया था। संजय के इन्ही किस्सों को सुनने के बाद राजकुमार हिरानी ने संजय पर फिल्म बनाने का फ़ैसला लिया था।
सच झूठ के दायरों से परे है संजय की बायोपिक, क्योकि इसमें जो दिखाया गया है वो सच तो है, लेकिन किसी नायक की तरह नहीं। हर किसी के लिए एक नायक का मतलब है एक ऐसा हीरों जिसने अपनी दुनिया में कभी कोई गलती ना की हो… खैर ये एक नायक की परिभाषा है। हर किसी की नजरों में अपना एक अलग नायक होता है।
फिल्म संजू कितना सच, कितना झूठ
संजय दत्त के साथ राजकुमार हिरानी अब तक तीन फिल्में बना चुके है और यह चौथी फिल्म संजय पर है, लेकिन इसमें संजय नहीं… क्योकि यह फिल्म संजय की बायोपिक है। फिल्म संजू आपका पूरा मनोरंजन करेगी। फिल्म अपनी शुरूआत से अंत तक आपको बाधें रखेगी, लेकिन यदि फिल्म में फिल्माएं गए घटना क्रमों पर गौर किया जाये तो पूरी फिल्म में संजय दत्त की महिमा का मंडन किया गया है। संजय दत्त को पूरी फिल्म में एक बेबस, मासूम और दयनीय स्थिति का हीरो दिखाते हुए पेश किया गया है। फिल्म में दिखाया गया है कि संजय ने आज तक अपनी जिन्दगी में जितना भी कुछ गलत किया उन सब के लिए कोई और ही जिम्मेदार रहा। उनके हर कदम के लिए कभी उनके दोस्त, तो कभी उनसे जुड़े लोग, तो कभी कोई और पर संजय की कभी कोई गलती नहीं रही। इस पूरी फिल्म के दौरान संजय आपकों दलदल में फसने वाले एक इंसान मात्र दिखाई देंगे।