ली अब्बास
निर्माता: टी सीरीज, रील लाइफ प्रोडक्शंस, सलमान खान फिल्म्स
रेटिंग: 3 स्टार
भारत एक बहुत बड़ी संभावनाओं वाला देश है। यहां के लोग मेहनती हैं। परिवार पर जान छिड़कते हैं और सबसे बड़ी बात ये है कि अपनी खुशियां कुर्बान कर दूसरों के चेहरे पर मुस्कान लाने की परंपरा का पालन करते हैं। सलमान खान की फिल्म भारत का यही लब्बोलुआब है। इंदौर में जन्मे सलमान खान के साथ सुल्तान और टाइगर जिंदा है जैसी फिल्में बना चुके देहरादून के अली अब्बास जफर ने कमर्शियल सिनेमा की नब्ज फिर एक बार कामयाबी के साथ पकड़ी है। फिल्म में एक्शन है, इमोशन है, ड्रामा है और हैं सलमान खान। सूरज बड़जात्या की फिल्मों के नक्शे कदम पर चलती फिल्म ईद के दिन सलमान खान के चाहने वालों के लिए मिली ईदी है।
पांच साल पहले रिलीज हुई दक्षिण कोरिया की चर्चित फिल्म ओड टू माई फादर की आधिकारिक रीमेक के तौर पर बनी भारत एक बच्चे की कहानी से शुरू होती है जो खुद से पहले परिवार को रखता है। बच्चा बड़ा होता जाता है। उसके आसपास का हिंदुस्तान बदलता जाता है। पर, वह भीतर से नहीं बदलता। भारत पाकिस्तान के बंटवारे के वक्त अपने पिता और अपनी बहन से बिछड़ा भारत अपने लापता पिता से किए वादे पूरे करने में पूरा जीवन निकाल देता। सन 47 से लेकर 2010 तक की भारत की ये कहानी एक इंसान की कहानी भी है और एक देश की भी। भारत का किरदार भारत देश जैसे किरदार पर भले सौ फीसदी फिट न बैठता है पर भारत की यात्रा की सबसे बड़ी खोज है आत्मविश्वास से भरी महिला कुमुद।
निर्देशक के तौर पर अली अब्बास जफर ने अपनी पिछली फिल्मों की तरह ही एक मसाला फिल्म बनाने की कोशिश की है। एक आदर्श बेटा, एक आदर्श भाई, एक आदर्श दोस्त और एक आदर्श प्रेमी गढ़ने की अली की कोशिश काफी हद तक कामयाब है हालांकि इस कोशिश की कमजोर कड़ी ये है कि फिल्म कई बार कुछ ज्यादा ही उपदेशात्मक हो जाती है। अली ने फिल्म की कहानी गढ़ने में साथी किरदारों पर बहुत उम्दा काम किया है, खासतौर से कुमुद का किरदार कटरीना के करियर का अब तक का सबसे उम्दा किरदार बन गया है और सुनील ग्रोवर के किरदार पर भी अली ने कम मेहनत नहीं की। हालांकि, पटकथा थोड़ी और चुस्त हो सकती थी और फिल्म को बिखरने से बचाने पर अली को थोड़ी मेहनत और करनी चाहिए थी।
निर्देशन और अदाकारी में मजबूत फिल्म भारत के दो डिपार्टमेंट कमजोर हैं। एक तो मेकअप व कॉस्ट्यूम और दूसरा इसका संगीत। विशाल शेखर के साथ दिक्कत ये है कि वह किसी कहानी में संगीतकार के तौर योगदान कम ही करते हैं, वह बस निर्देशक की सोच जैसा संगीत बना देते हैं। अली अब्बास जफर ने एक पीरियड फिल्म में आज का संगीत डालने का फैसला हॉलीवुड फिल्मों की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए ही किया है, लेकिन हिंदुस्तानी दर्शकों की संवेदनशीलता पर भारत का संगीत खरा नहीं उतरता। स्पेशल इफेक्ट्स भी कहीं कहीं जल्दबाजी में किए गए लगते हैं। अमर उजाला के मूवी रिव्यू में फिल्म भारत को मिलते हैं तीन स्टार।