कोरोना से उबरने के बाद उत्तराखंड में 71 हजार से अधिक लोगों को मिली नौकरियां

कोराना काल में हजारों-लाखों लोगों ने नौकरियां गंवाईं। इतनों को ही अपने रोजगार से भी हाथ धोना पड़ा। कुल मिलाकर 2020 और 2021 ने मानव जीवन को पटरी से उतार दिया था। इससे उबरने में वक्त लगना लाजिमी है। हालांकि, अब स्थिति में थोड़ा सुधार देखने को मिल रहा है।

राहत की बात यह है कि कोरोना से उबरने के बाद उत्तराखंड में 71 हजार से अधिक नौकरियां लोगों को मिली हैं। यह आंकड़ा श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) की ओर से जारी रिपोर्ट में शामिल किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार उत्तराखंड में 2019-20 में 1.11 लाख नए लोग ईपीएफ से जुड़े थे, जो कि 2022-23 तक बढ़कर 1,82,906 हो गया है।

ईपीएफओ द्वारा जारी देशभर के आंकड़े पर नजर दौड़ाएं तो वित्तीय वर्ष 2019-2020 में देश के सभी 28 राज्यों और शेष केंद्र शासित राज्यों में 1.10 करोड़ से अधिक नए लोग नौकरी में लगे और उनका पीएफ कटना शुरू हुआ। यह वही दौर था, जब दिसंबर 2019 से ही देशभर में कोरोना की पहली लहर ने दस्तक दे दी थी।

2020 मार्च में पूरे देशभर में कोरोना संक्रमण से बचने के लिए लॉकडाउन लगा दिया गया था। 5 अलग-अलग चरणों में 30 जून तक लॉकडाउन जारी रखा गया। लगातार करीब 100 दिन तक की इस पाबंदी के कारण उद्योगों को जबरदस्त घाटा उठाना पड़ा। यही हाल अगले साल यानी 2021-22 में भी रहा।

घाटे से जैसे-तैसे उबर रहे प्राइवेट सेक्टर्स को तब झटका लगा, जब कई पाबंदियों के साथ फिर से नाइट कफ्र्यू लगा दिया गया। लगातार दो साल से घाटा झेल रही कई फैक्ट्रियां, दुकान, होटल, रेस्टोरेंट बंद करने पड़े। हजारों लोगों की नौकरी चली गई। प्राइवेट कंपनियों ने कर्मचारियों की छंटनी शुरू कर दी। उस साल देशभर में 85.46 लाख नए ईपीएफ धारक बढ़े थे, जो कि बीते साल की तुलना में काफी कम थे।

इधर, हालात सामान्य होने के बाद प्राइवेट सेक्टर्स भी धीरे-धीरे पटरी पर आने लगे हैं। उत्तराखंड के आंकड़ों की बात करें तो 2021-22 से लेकर 2022-23 (मई तक) नए ईपीएफ धारकों की संख्या करीब 1.82 लाख तक पहुंच गई है। यानी कि करीब 71443 लोगों को प्राइवेट सेक्टर्स में नौकरी मिली और उनका पीएफ कटना शुरू हो गया है। 

टेक्सटाइल और कंस्ट्रक्शन इंडस्ट्री बनी पसंद
रिपोर्ट के अनुसार इन तीन सालों में जितने भी नए पीएफ खाते खुले हैं, उनमें से अधिकांश ने एक्सपर्ट सर्विस, बिल्डिंग एंड कंस्ट्रक्शन इंडस्ट्री, ट्रेडिंग, टेक्सटाइल्स, स्कूल जैसे 10 बड़े क्षेत्रों में काम करना शुरू किया है। ऐसे में ये सभी लोग संगठित क्षेत्र के कामगारों में शामिल हो गए और पीएफ की श्रेणी में आ गए।  

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