यूपी के 17 से अधिक शहरों की हवा हुई जहरीली, बढ़ सकती हैं दिल व फेफड़े संबंधी बीमारियां

लखनऊ : दीपावली के बाद से उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ जैसे बड़े शहर के साथ-साथ यूपी के 17 से अधिक अन्य शहरों में भी वायु प्रदूषण काफी बढ़ा गया है। इससे बुजुर्गों व बच्चों के अलावा भी अन्य कामकाजी लोगों को सावधान रहने की आवश्यकता हैं। यह हिदायत शहर के वरिष्ट पर्यावरणविद और स्कूल आफ मैंनेजमेंट साइंसेज, लखनऊ के महानिदेशक डा. भरत राज सिंह ने दिये हैं। उनका कहना है कि इस समय प्रदूषण की स्थित खराब/ अति खराब स्थित से गुजर रही है। क्योकि यदि वायु प्रदूषण सूचकांक (AQI) के आंकड़ों पर ध्यान दें तो यह सूचकांक अ). शून्य से 50 के बीच AQI को ‘अच्छा’, ब). 51 से 100 को ‘संतोषजनक’, स). 101 से 200 को ‘मध्यम’, द). 200 से 300 को ‘खराब’, य). 301 से 400 को ‘बहुत खराब’ और र्). 401 से 500 को ‘गंभीर’ माना जाता है। पिछले दो-तीन दिनो से वतावरण में धुंध छाया हुआ है और आम नागरिक को सांस लेने में काफी दिक्कत महसूस हो रही है और इतना नही, यदि ऐसी स्थिति एक सप्ताह रही तो अधिकांश लोगों में बहुत सी गम्भीर बीमारियों जैसे दिल के दौरे व गम्भीर लंग के रोग, अस्थमा, सीओपीडी अन्य सांस लेने वाली परेशानी आदि से गुजरना पड़ सकता है।

विगत दो दिनों (शनिवार व रविवार) की सुबह यूपी की राजधानी लखनऊ के गोमतीनगर में AQI 257 – 262 दर्ज किया गया जबकि कुकरैल पिकनिक स्पॉट पर AQI 195 -200 दर्ज किया गया। उत्तरप्रदेश के अन्य शहरों में AQI लेवल रहा: नोएडा (सेक्टर 116)- 350 (गम्भीर), लखनऊ (लालबाग)- 250, ग्रेटर नोएडा (नॉलेज पार्क-V)- 300, गाजियाबाद (लोनी)- 371 कानपुर (FTI किदवई नगर)- 243 मेरठ (गंगा नगर)- 249 वाराणसी (मलदहिया)- 181 प्रयागराज (नगर निगम)- 165 मुजफ्फरनगर (न्यू मंडी)- 227 मुरादाबाद (बुद्धि विहार)- 218 झांसी (शिवाजी नगर)- 249 फिरोजाबाद (विभव नगर)- 232 बागपत- 207.

डा0 भरत राज सिंह, महानिदेशक (तकनीकी), स्कूल ऑफ मैनेजमेंट साइंसेज, लखनऊ

यद्यपि उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) समय – समय पर नगर पालिका व अन्य संस्थाओ को बढ़ते हुये वायु प्रदूषण के स्तर में कमी लाने के लिए मानकों का पालन सुनिश्चित करने के निर्देश जारी करते हैं, परन्तु मानकों को न पालन करने हेतु जिम्मेदार लोगों और संस्थाओं के खिलाफ कार्रवाई की चेतावनी तक नही जारी करते। अतः धरातल पर प्रदूषण नियंत्रण की कार्यवाही शून्य ही मानी जा सकती है, जिससे नगरवासियो को प्रदूषण के दुष्परिणामो से गुजरना पड रहा है। आज भी वायु प्रदूषण के लिहाज से ऊतर प्रदेश के 17-शहरो जैसे: लखनऊ, कानपुर, वाराणसी, अनपरा, प्रयागराज, आगरा, मेरठ, गाजियाबाद, नोएडा, गजरौला, खुर्जा, बरेली, मुरादाबाद, झांसी, फिरोजाबाद, रायबरेली और गोरखपुर अति संवेदनशील बने हुये हैं।

वैसे तो 2022 के आकड़ों के अनुसार विश्व में अधिकतम वायु प्रदूषण पैदा करने वाले 20 शहरो में भारत के दिल्ली – प्रथम और कोलकत्ता- द्वितीय स्थान पर पाये गये हैं। परन्तु दीवाली के समय पराली व क्रेकर्स के द्वारा ही इस पर बढोत्तरी का ठीकरा फोड दिया जाता है। इस पर गहन अध्ययन की आवश्यकता है और संस्थाओ को जाड़े के मौसम शुरू होते ही कोहरा तथा ओस की बूंदों के दवाव में प्रदूषण के कण जो 5-7 किलोमीटर की ऊंचाई पर मौजूद रहते है, उनके नीचे आ जाने से ही वातावरण के जमीनी सतह पर गैस चैम्बर के रूप में वायु का प्रदूषण बढ जाता है और यह सास लेने में दिक्कत पैदा करता है। ऐसे समय बुजुर्गों व बच्चों को सलाह दी जाती है कि वह पार्कों व सुबह का धूमना बंद कर अधिक से अधिक घरों में ही रहे।

वायु प्रदूषण की रोकथाम के लिए इन सुझावों पर करें अमल

• नगर पालिका / निकायों के स्वीपर अथवा मशीन के माध्यम से सड़कों की नियमित सफाई कराना।
• नगर पालिका / निकायों के माध्यम से पानी टैंकरो द्वारा सड़कों पर नियमित पानी का छिड़काव कराना।
• नगर-निवासियों को स्वयं अपने कालोनी में घरों व उसके आस-पास पानी का छिड़काव करना।
• बडे शहरों में एंटी स्मॉग गन का भी प्रयोग सुनिश्चित किया जाना तथा कृत्रिम वारिश के उपाय करना।
• निर्माण एवं भवन के तोडने के कार्यों को जाड़े में रोकथाम करना।
• उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को एक शोध शाखा खोलकर वायु गुणवत्ता का नियमित अनुश्रवण करना।
• वायु प्रदूषण के मानकों का पालन न करने की स्थिति में चिन्हित संस्थाओं पर कड़ी कार्रवाई करना।

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