भारत-चीन बॉर्डर के ऊंचाई वाले गांवों में कड़ाके की ठंड से 100 से ज्यादा जलस्रोत जमें, लोगों की मुश्किलें हुई दोगुनी

उत्तराखंड में भारत-चीन बॉर्डर के ऊंचाई वाले गांवों में कड़ाके की ठंड किसी चुनौती से कम नहीं है। पारा गिरने की वजह से 100 से ज्यादा जलस्रोत जम गए हैं। ऐसे में लोगों की मुश्किलें भी दोगुनी हो गईं हैं। स्थानीय लोगों को बर्फ पिघलाकर पानी पीना पड़ रहा है। यही हाल, बॉर्डर पर तैनात सुरक्षा एजेंसियों का भी है।

सुरक्षा एजेंसियों और बीआरओ की भी इससे चुनौती बढ़ गई है। पानी संकट के चलते होम स्टे कारोबार भी प्रभावित हो रहा है। हिमालयी क्षेत्र में वास करने वाले जानवर भी पानी की तलाश में निचले क्षेत्रों में पलायन कर रहे हैं। हिमालयी क्षेत्रों के ऊंचाई वाले गांवों में इन दिनों तापमान माइनस 8 (-8) से माइनस 25 (-25) डिग्री तक गिर गया है। पारा धड़ाम होने से सीपू से मिलम तक करीब 140 जल स्रोत जम चुके हैं।

दारमा, व्यास, चौदास के अधिकतर गांवों में धूप निकलने के बाद भी लोगों को राहत नहीं मिल रही है। लोग बर्तनों में बर्फ को गरमकर पीने लायक बना रहे हैं। दुग्तू के प्रकाश दुग्ताल और दारमा होम स्टे एसोसिएशन के अध्यक्ष जयेन्द्र फिरमाल बताते हैं कि ग्रामीणों के सामने भी पानी का बड़ा संकट बना हुआ है। इससे पर्यटन कारोबार भी प्रभावित हो रहा है। 

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