मोदी कैबिनेट में एक बार फिर ‘अयोध्या’ को नहीं मिली जगह

उत्तर प्रदेश की फैजाबाद लोकसभा सीट को सात दशक में 17 मौके आने के बाद भी किसी सरकार के केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली। यह सीट साल 1957 के लोकसभा चुनाव से वजूद में आई थी। साल 2024 के चुनाव में यह सीट भाजपा के हाथ से निकल गई तो ऐसे में परंपरा टूटने की संभावना भी खत्म हो गई।
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7 बार कांग्रेस और 4 बार भाजपा के बने सांसद, लेकिन नहीं बने मंत्री
साल 1957 में कांग्रेस के राजाराम मिश्रा सांसद बने थे। इसके बाद 1971 तक लगातार कांग्रेस का कब्जा रहा। 1962 में बृजवासी लाल, 1967 और 1971 में आरके सिन्हा सांसद बने। इस अवधि में भी कांग्रेस की सरकार होने के बावजूद मंत्रिमंडल में फैजाबाद को महत्व नहीं मिला।
1977 में जनता पार्टी के अनंतराम जायसवाल ने कांग्रेस के आरके सिन्हा को रिकॉर्ड मतों से हराया। जनता पार्टी की सरकार भी बनी, लेकिन तब भी इस सीट को महत्व नहीं मिला। 1980 में कांग्रेस के जयराम वर्मा और 1984 में कांग्रेस के ही निर्मल खत्री सांसद बने। इस अवधि में कांग्रेस की सरकार रही, लेकिन तब भी जनपद वासियों की आस धरी रह गई।

रामलहर के दौरान 1991 में पहली बार भाजपा से विनय कटियार सांसद बने, लेकिन उस समय कांग्रेस की सरकार रही। 1996 और 1999 में भी वही सांसद रहे। 1996 और 1998 से 2004 तक सत्ता में भाजपा सरकार रही, लेकिन तब भी अयोध्या की उपेक्षा ही हुई। 2004 में कांग्रेस सरकार तो बनी, लेकिन बसपा के मित्रसेन यादव सांसद बने। 2009 में फिर कांग्रेस सरकार ही रही और कांग्रेस के निर्मल खत्री तीसरी बार सांसद बने, लेकिन तब भी हालात वही रहे।

मोदी मंत्रिमंडल के तीन शासनकाल में अयोध्या को नहीं मिली जगह
2014 से 2019 तक केंद्र में मोदी सरकार और फैजाबाद में भाजपा सांसद होने के बावजूद मंत्रिमंडल का द्वार अयोध्या के लिए नहीं खुला। इस बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शपथ भी ले ली है, लेकिन सपा सांसद होने से संभावनाओं के द्वार बंद हैं।

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