Mission एनीमिया मुक्त भारत : मास्टर साहब भी खाएँगे आयरन की गोली
अपने सामने बच्चों को खिलाएँगे आईएफए की नीली और गुलाबी गोली
एनीमिया के प्रति बच्चों को जागरूक करने को चलेंगी विभिन्न गतिविधियां
लखनऊ : देश को एनीमिया (खून में हीमोग्लोबिन की कमी) मुक्त बनाने के लिए सरकार ने अभियान छेड़ रखा है। “एनीमिया मुक्त भारत” कार्यक्रम के व्यापक प्रचार-प्रसार (आईईसी कैम्पेन-इन्फार्मेशन, एजूकेशन, कम्युनिकेशन) की शुरुआत उत्तर प्रदेश में भी हो चुकी है जो कि 31 मार्च 2020 तक चलेगा। इस अभियान से स्वास्थ्य विभाग के साथ ही शिक्षा, पंचायती राज और बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग को भी जोड़ा गया है। इसमें शिक्षा विभाग को अहम ज़िम्मेदारी दी गयी है कि वह बच्चों को आयरन की गोली के सेवन के साथ ही पौष्टिक भोजन के बारे में पूरी तरह जागरूक करें ताकि कोई बच्चा एनीमिया की गिरफ्त में न आ सके। बच्चों के मन से आयरन की गोली के सेवन से किसी भी तरह के दुष्प्रभाव की शंका को मिटाने के लिए और उन्हें प्रोत्साहित करने के लिए शिक्षक भी बच्चों के सामने आयरन की गोली खाएँगे। यह अभियान सभी सरकारी व सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में 06 से 19 वर्ष के बच्चों के बीच चलाया जाएगा।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन-उत्तर प्रदेश ने इस संबंध में अभियान से जुड़े विभागों के लिए विशेष दिशा-निर्देश जारी किया है। इसके मुताबिक जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी और सहायक बेसिक शिक्षा अधिकारी यह सुनिश्चित करें कि हर ब्लाक/संकुल स्तर पर हर स्कूल से नामित दो नोडल शिक्षकों को प्रशिक्षित किया जाये। मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय से एनीमिया मुक्त भारत टीचर हैंडबुक की प्रति सभी स्कूलों को मुहैया कराई जाए, जिसमें बच्चों को एनीमिया से बचाने के सारे टिप्स दिये गए हैं। इस अभियान के तहत स्कूलों में सोमवार को प्रार्थना सभा के दौरान नोडल शिक्षक द्वारा एनीमिया के बारे में चर्चा की जाएगी और आयरन की गोली के उपयोग पर प्रदर्शन किया जाएगा। हर सोमवार को क्लास टीचर मानीटर के साथ समन्वय करते हुए मिड डे मील के एक घंटे के बाद सभी बच्चों को आयरन फोलिक एसिड (आईएफए) की नीली/गुलाबी गोली अपने सामने खिलाएँगे और साथ में शिक्षक भी इस गोली का सेवन करेंगे।
हर सप्ताह की होगी अलग गतिविधि
इस संबंध में शिक्षा निदेशक (माध्यमिक), उत्तर प्रदेश विनय कुमार पांडेय ने भी सभी जिला विद्यालय निरीक्षकों को पत्र जारी कर एनीमिया मुक्त भारत अभियान के साथ पूरी मजबूती के साथ जुडने को कहा है। उन्होने कहा है कि एनीमिया के प्रति जागरूकता के लिए स्कूलों में पहले सप्ताह में स्मार्ट कलाकार (पोस्टर प्रतियोगिता), दूसरे सप्ताह में स्मार्ट अभिनेता/अभिनेत्री (लघु नाटिका प्रतियोगिता), तीसरे सप्ताह में स्मार्ट शेफ (आयरन युक्त व्यंजन विधि प्रतियोगिता), चौथे सप्ताह में स्मार्ट खिलाड़ी (खेल प्रतियोगिता) और पांचवें हफ्ते में स्मार्ट ब्रेन/दिमाग (क्विज प्रतियोगिता) कार्यक्रम आयोजित किए जाएँ।
पोषक तत्वों की कमी से होती है एनीमिया
लखनऊ के अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी व एनीमिया मुक्त भारत अभियान के नोडल अधिकारी डॉ॰ ए॰ के॰ दीक्षित का कहना है कि मुख्य रूप से पोषक तत्वों की कमी के कारण हीमोग्लोबिन की कमी हो जाती है। इसका सीधा असर शारीरिक और मानसिक विकास पर पड़ता है। रोग प्रतिरोधक क्षमता भी प्रभावित होती है।
क्या कहते हैं आंकड़े
नेशनल फेमिली हेल्थ सर्वे-4 2015-16 के मुताबिक उत्तर प्रदेश के 06 से 59 माह के 63.2 फीसद बच्चे, 15 से 49 साल की 52.4 फीसद महिलाएं और 15 से 49 साल की 51 फीसद गर्भवती महिलाएं एनीमिया की गिरफ्त में हैं।