बीज सम्मेलन में बोले राज्यमंत्री: यूपी में उत्तम बीज की उपलब्धता व पूर्ति के गैप को कम करने के लिए बनेगा रोडमैप…

राष्ट्रीय बीज सम्मेलन में देश के उत्तम बीज तंत्र को मजबूत करने के लिए एक दूरदर्शी रास्ता तैयार किया गया। एक स्थिर और समावेशी बीज पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण को ध्यान में रखते हुए कृषि क्षेत्र की चुनौतियों से निपटने के लिए नए अवसरों की मजबूत नींव रखी गई। मंथन के बाद आए परिणाम को क्रियान्वित करके कृषि के भविष्य को उज्ज्वल बनाने पर जोर दिया गया। इसमें उत्तर प्रदेश की अहम भूमिका को रेखांकित किया गया। वहीं, यूपी के राज्यमंत्री दिनेश प्रताप सिंह ने कहा कि सम्मेलन से निकले सुझावों के अनुसार रोडमैप बनाकर प्रदेश सरकार लागू करेगी।

इरी के आईसार्क (चांदपुर) में चल रहे 13वें राष्ट्रीय बीज सम्मेलन के समापन समारोह में दिनेश प्रताप सिंह ने कहा कि सम्मेलन से निकले परिणामों के जरिए यूपी में बीज की उपलब्धता और पूर्ति के गैप को कम करने के लिए सरकार पहल करेगी, ताकि किसानों को गुणवत्तायुक्त बीज उपलब्ध हो सकें।

उन्होंने वैज्ञानिकों, बीज निर्माता कंपनियों और शोधार्थियों से निवेदन किया कि अन्न के साथ सब्जियों, फलों, फूलों और औषधीय पौधों के गुणवत्तायुक्त बीजों को भी तैयार करें, ताकि इनको बढ़ावा मिले और किसानों तक पहुंचाकर उनकी आय दोगुनी की जा सके। मंत्री ने नकली बीज को पकड़ने की तकनीक को भी उपलब्ध कराने को कहा।

फिलीपींस में स्थित इरी की डायरेक्टर जनरल डॉ. यवोन पिंटो ने कहा कि इस सम्मेलन से साझेदारी, नवाचार को बढ़ावा और क्षेत्रीय सहयोग को मजबूत करने में सहयोग मिलेगा। साथ ही जलवायु परिवर्तन, कुपोषण और खाद्य सुरक्षा जैसी चुनौतियों का समाधान सामूहिक प्रयासों से ही संभव है। इरी भारत में अपने साझेदारों के साथ मिलकर बीज प्रौद्योगिकियों को आगे बढ़ाने, क्षमता निर्माण और किसानों को सशक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।

यूपी बीज विकास निगम के निदेशक डॉ. पंजक त्रिपाठी ने कहा कि हाइब्रिड बीज नहीं उपलब्ध हो पाना चुनौती है। मगर, बीज निर्माण कर रहे 60 एफपीओ से एमओयू किया गया है। रबी सीजन में 17 कंपनियों ने हमें बीज दिए थे। मक्का बीज के लिए ट्रायल हो रहे हैं, सफल रहा तो इसका और विस्तार कर किसानों को बाजार दर से सस्ता बीज उपलब्ध कराएंगे। जो एफपीओ दृष्टि योजना से नहीं जुड़े हैं, अगर वे हमें कच्चा बीज उपलब्ध कराते हैं तो हम लेने को तैयार हैं।

बांग्लादेश के सार्क एग्रीकल्चर सेंटर के डायरेक्टर डॉ. हारुन रशीद, प्रगतिशील किसान चंद्रशेखर सिंह, यूपी सीएआर के डॉ. संजय सिंह, वर्ल्ड बैंक के अजीत राधाकृष्णन, डॉ. जेके तोमर, डॉ. बीजेंद्र सिंह, पंजाब सिंह, डॉ. एके सिंह ने भी विचार रखें। अतिथि ने बीज क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए शोधकर्ताओं और संगठनों को सम्मानित किया। इस दौरान धन्यवाद ज्ञापन इरी आईसार्क के निदेशक डॉ. सुधांशु सिंह ने किया।

साथी पोर्टल व मार्केट इंटेलिजेंस सिस्टम से लक्ष्य करेंगे हासिल: मोनिका गर्ग

कृषि उत्पादन आयुक्त मोनिका गर्ग ने कहा कि यूपी में 92 फीसदी छोटे किसान है। यहां पर 60 लाख क्विंटल बीज की जरूरत है, मगर आठ से नौ लाख क्विंटल ही प्रदेश सरकार किसानों को सब्सिडी पर उपलब्ध करा पाती है। 50 फीसदी बीज दूसरे राज्यों से मंगाते हैं। कहा कि साथी पोर्टल और मार्केट इंटेलिजेंस सिस्टम बनाकर मांग और पूर्ति गैप को समझकर नीति बनाई जाएगी। बीज की समस्या को दूर करने के लिए लखनऊ में सीड पार्क बनाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि सरकार दृष्टि योजना के तहत सौ सीड प्रोसेसिंग प्लांट उपलब्ध करा रही है, ताकि डी सेंट्रलाइज सीड प्रोडक्शन एंड प्रोसेसिंग की व्यवस्था लागू किया जा सके।

एक्शन प्लान बनाकर 12 माह करेंगे कार्य: केवी राजीव
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के आर्थिक सलाहकार डॉ. केवी राजू ने कहा कि यूपी की कृषि संबंधी समस्याओं को दूर करने के लिए उत्पादन, उपलब्धता और कहा पर कमी आ रही है,चर्चा के बाद अगले माह रोडमैप तैयार कर नीतियां बनाई जाएंगी। बीज तंत्र में गुणवत्ता और ट्रेसबिलिटी सुनिश्चित कर सकते हैं। एक्शन प्लाॅन के तहत 12 माह में क्या करना है ,इसका लक्ष्य तय होगा।

एफपीओ व किसानों की क्षमता वृद्धि के लिए दें ट्रेनिंग: पंजाब सिंह

रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के चांसलर डॉ. पंजाब सिंह ने कहा कि कृषि में एनजीओ, एफपीओ और किसानों की बड़ी भूमिका होगी। वैज्ञानिक नजरिये को अपनाते हुए ट्रेनिंग के साथ एफपीओ व किसानों को क्षमता निर्माण की ट्रेनिंग दी जाए। इससे वह खुद बीज की प्रोसेसिंग करने के साथ कंपनियों और बाजार में बिक्री करके कमाई भी कर सकते हैं। धीरे-धीरे अन्य राज्यों की बीज उपलब्धता पर निर्भरता कम हो जाएगी।

22 सत्रों में 700 वक्ताओं ने बीज तंत्र मजबूत करने पर किया मंथन
राष्ट्रीय बीज सम्मेलन में तीन दिनों तक भारत के अलावा दक्षिण अफ्रीका, फिलीपींस, बांग्लादेश, नेपाल के प्रतिनिधि, कृषि विश्वविद्याल के शोधकर्ता, बीज निर्माता कंपनियों सहित 700 प्रतिनिधियों ने 22 सत्रों में गहन मंथन किया। उन्होंने उत्तम बीज निर्माण के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की। हाइब्रिड और बायोफोर्टिफाइड फसलों, जलवायु-संवेदनशील प्रथाएं, बीज तंत्र को सशक्त बनाने, सार्वजनिक-निजी साझेदारी बढ़ाने, जलवायु के अनुकूल बीज तैयार करने और तकनीकी पहलुओं पर विचार साझा किए।

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