इलेक्ट्रॉनिक निर्माण को लेकर आईटी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ये दावे…
वियरेबल व हियरेबल आइटम के लिए जल्द ही पीएलआई चार हजार अरब डॉलर के इलेक्ट्रॉनिक के वैश्विक बाजार में वर्ष 2012 में भारत की हिस्सेदारी सिर्फ एक फीसद थी। वित्त वर्ष 2021-22 में यह हिस्सेदारी 3.5 फीसद तक पहुंची। वित्त वर्ष 2025-26 में इलेक्ट्रॉनिक बाजार में यह हिस्सेदारी 10 फीसद को छू सकती है। इलेक्ट्रॉनिक्स व आईटी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर यह दावा कर रहे हैं।
राजीव चंद्रशेखर साल के अंत तक भारत में डिजायन किए गए चिप के भी बाजार में आने का दावा कर रहे हैं। इन तमाम दावों के पीछे सरकार की तैयारी एवं नीति को लेकर राजीव चंद्रशेखर से दैनिक जागरण के राजीव कुमार की विस्तृत बातचीत का अंश…
प्रश्न: वर्ष 2026 तक इलेक्ट्रॉनिक आइटम का बाजार 300 अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य है, क्या हासिल हो जाएगा?
उत्तर: जरूर। इलेक्ट्रॉनिक आइटम में मुख्य रूप से मोबाइल फोन, आईटी हार्डवेयर जिसके तहत टैबलेट, लैपटॉप जैसे आइटम आते हैं और वियरेबल (स्मार्टवाच आदि) व हियरेबल (सुनने वाले आइटम) आते हैं। मोबाइल फोन के बाद हमने आईटी हार्डवेयर के लिए प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) स्कीम 2.0 की घोषणा की है और अब जल्द ही वियरेबल व हियरेबल के लिए पीएलआई लाने जा रहे हैं।
अभी इलेक्ट्रॉनिक उत्पादन 100 अरब डॉलर के पार चला गया है। हमें उम्मीद है कि वर्ष 2025-26 तक हम 100 अरब डॉलर का सिर्फ मोबाइल फोन का निर्यात करेंगे और 100 अरब डॉलर के मोबाइल फोन का उत्पादन घरेलू बाजार के लिए होगा।
प्रश्न: लैपटॉप, सर्वर, टैबलेट जैसे आइटम का बड़े स्तर पर कब तक उत्पादन शुरू होगा, अभी तो मुख्य रूप से आयात ही होता है?
उत्तर: इन आइटम के लिए छह साल के लिए पीएलआई स्कीम की घोषणा की गई है, लेकिन हमें भरोसा है कि अगले दो साल में ही इन आइटम का आयात काफी कम हो जाएगा। दुनिया में आईटी हार्डवेयर की चार प्रमुख एचपी, डेल, एप्पल व लेनेवो कंपनियां हैं। इनमें से तीन कंपनियां एचपी, डेल, व एप्पल से सलाह करके पीएलआई 2.0 स्कीम लाई गई है। ये कंपनियां भारत में अपना विस्तार कर रही हैं।
वियरेबल व हियरेबल का बाजार 60-70 अरब डॉलर का है और बोट जैसी भरतीय कंपनी इस निर्माण में आगे आ रही है। इसलिए हम इनके लिए भी पीएलआई स्कीम ला रहे हैं। हम चाहते हैं कि भारत इलेक्ट्रॉनिक मैन्यूफैक्चरिंग सर्विस (EMS) का हब बन जाए और भारतीय एवं विदेशी दोनों ही कंपनियां ईएमएस का काम करे। टाटा, डिक्सन ने इसकी शुरुआत कर दी है। वहीं, फॉक्सकॉन, विस्ट्रॉन जैसी विदेशी कंपनियां यह काम भारत में कर रही है।
प्रश्न: सेमीकंडक्टर के भारत में निर्माण में कब तक सफलता मिल जाएगी?
उत्तर: सेमीकंडक्टर निर्माण का काम तीन चरण से जुड़ा है। फैब, पैकेजिंग व डिजायनिंग। डिजायनिंग में भारत में आठ स्टार्टअप्स काम कर रही है और अगले साल तक 100 स्टार्टअप्स आ जाएंगी। हम आपको दावे से कह रहे हैं कि इस साल के अंत से लेकर अगले साल मार्च तक भारत में डिजायन चिप बाजार में होंगे। फैब में तीन कंपनियां इंटेल, वेदांता-फॉक्सकॉन व एक सिंगापुर की कंपनियां आ रही है। जल्द ही इस दिशा में भी काम आगे बढ़ेगा।
वर्ष 2029 तक चिप का बाजार 110 अरब डॉलर का हो जाएगा, क्योंकि चिप का इस्तेमाल बड़ी संख्या में हो रहा है। आपको हैरानी होगी कि टेस्ला की एक कार में 1600 चिप का इस्तेमाल होता है। भारत में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI) चिप निर्माण के लिए भी दो स्टार्टअप्स काम कर रही है।
प्रश्न: सेमीकंडक्टर की इतनी बड़ी जरूरत को पूरा करने के लिए निर्माण कार्य में कितने लोगों की जरूरत होगी?
उत्तर: सेमीकंडक्टर निर्माण के लिए भारत पूरी दुनिया के लिए वर्क फोर्स तैयार करने जा रहा है। एआईसीटीई के पाठ्यक्रम के तहत 85,000 छात्रों को हम सेमीकंडक्टर निर्माण में उच्च शिक्षा देने जा रहे हैं। बड़ी बात है कि इनके पाठ्यक्रम इंटेल, एएमडी जैसी इस क्षेत्र की बड़ी कंपनियों की सलाह से तैयार किए गए हैं। इस साल से इसकी पढ़ाई विश्वविद्यालयों में शुरू हो जाएगी।
प्रश्न: एआई व चैटजीपीटी से नौकरी जाने से लेकर कई आशंकाओं को लेकर दुनिया भर में चर्चा चल रही है, भारत सरकार इस दिशा में क्या सोच रही है?
उत्तर: जल्द ही आने वाले डिजिटल इंडिया एक्ट में इन तमाम आशंकाओं को ध्यान में रखा गया है। हम किसी भी टेक्नोलॉजी को खुला नहीं छोड़ेंगे, जो समाज के लिए नकारात्मक हो। हमारा मानना है कि एआई से डिजिटल इकोनॉमी बढ़ेगी। अभी हमारी इकोनॉमी में डिजिटल हिस्सेदारी छह फीसद की है, जो वर्ष 2026 तक 20 फीसद हो जाएगी।