कानपुर-आगरा के बीच बनेगा चमड़ा उत्पादों का मेगा क्लस्टर

केंद्र सरकार के बजट में कानपुर और आगरा के बीच में क्लस्टर बनाए जाने की बात कही है। उसके आधार पर आगे की प्रक्रिया की जाएगी। इस क्लस्टर में देश के अलावा चमड़ा कारोबार से जुड़ी दुनिया की बड़ी कंपनियों को भी निवेश के लिए आमंत्रित किया जाएगा।

आम बजट में उत्तर प्रदेश के लिए दो मेगा लेदर क्लस्टर स्थापित करने की घोषणा की गई है। यह दोनों कानपुर-आगरा के बीच बनाए जाने की योजना है। इसके लिए जरूरी भूमि बैंक तैयार है। किस स्थान पर बनाया जाना है, इसके लिए शासन से दिशा निर्देश मिलने के बाद प्रक्रिया आगे बढ़ाई जाएगी। इस संबंध में उद्योग निदेशालय से एक रिपोर्ट शासन को भेजी गई है। माना जा रहा हैं कि जल्द ही उत्तर प्रदेश सरकार के बजट सत्र के दौरान इसे लेकर घोषणा की जा सकती है।

इस मेगा परियोजना के तहत चमड़ा उत्पादों के लिए एक मेगा क्लस्टर कानपुर महानगर के क्षेत्र और फुटवियर के लिए आगरा क्षेत्र में क्लस्टर बनने की संभावना है। बताया जा रहा है कि इन मेगा क्लस्टर में ताइवान, यूरोप, अमेरिका की कंपनियों से साझा उपक्रम लगाने के लिए बातचीत भी चल रही है। जिसमें जूता, जैकेट, बैग व चमड़े के दूसरे उत्पाद बनाने वाली कंपनियों एडीडॉस, नाइकी, प्यूमा जैसे ब्रांडों को यहां पर निवेश के लिए बुलाने का प्रयास भी किया जा रहा है।

मेगा लेदर क्लस्टर के लिए शासन को एक रिपोर्ट बनाकर भेजी गई है। केंद्र सरकार के बजट में कानपुर और आगरा के बीच में क्लस्टर बनाए जाने की बात कही है। उसके आधार पर आगे की प्रक्रिया की जाएगी। इस क्लस्टर में देश के अलावा चमड़ा कारोबार से जुड़ी दुनिया की बड़ी कंपनियों को भी निवेश के लिए आमंत्रित किया जाएगा। क्लस्टर स्थापित करने के लिए जमीन पर्याप्त मात्रा में है। -के. विजयेंद्र पांडियन निदेशक उद्योग उप्र

रमईपुर में मेगा लेदर क्लस्टर का शिलान्यास 23 मार्च को
कानपुर-उन्नाव के बीच बनाए जाने वाले मेगा लेदर क्लस्टर का शिलान्यास 23 मार्च को किया जाएगा। केंद्र सरकार की मंजूरी के बाद शासन से इसको शुरू करने की प्रक्रिया पर तेजी से काम किया जा रहा है। इस संबंध में उद्योग निदेशालय ने भी रुपरेखा तैयार कर ली है। इसको पूरा होने में करीब दो वर्ष का समय लग सकता है। यहां पर ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित करने के बाद ही चमड़ा कारोबार शुरू हो पाएगा।

260 एकड़ का होगा कुल क्षेत्र
उद्योग निदेशक के. विजयेंद्र पांडियन के अनुसार रमईपुर मेगा लेदर क्लस्टर का कुल क्षेत्र 260 एकड़ का होगा। इस बार के प्रदेश सरकार के बजट में भी इसके लिए प्रावधान किए जाने के संकेत हैं। इस क्लस्टर के स्थापित होने से दो लाख से अधिक लोगों को रोजगार मिलने की संभावना है। यहां पर चमड़ा उत्पादों की फ्लैटेड इकाइयों समेत 150 से अधिक टेनरियों की स्थापना भी की जाएगी।

क्लस्टर में 30 फीसदी बेल्ट होगी ग्रीन
करीब आठ साल पुराने इस प्रोजेक्ट के धरातल पर उतरने की जानकारी से मिलने से शहर के चमड़ा कारोबारियों ने खुशी है। इस क्लस्टर में 30 फीसदी ग्रीन बेल्ट होगी। यहां पर 20 एमएलडी क्षमता वाला ट्रीटमेंट प्लांट लगेगा। इसके अलावा प्रदर्शनी स्थल, कॉमन फैसिलिटी सेंटर जैसी सुविधाएं यहां पर मिलेंगी। यहां पर सालाना 13 हजार करोड़ का सालाना कारोबार होने की संभावना है।

आयात शुल्क हटने से टेनरियों को राहत
बजट में वेट ब्ल्यू लेदर (सिर्फ क्रोमियम से टेंड गीला चमड़ा) से आयात शुल्क खत्म किए जाने से कच्चे माल के संकट जूझ रहीं शहर की टेनरियों को बड़ी राहत मिली है। पहले इस पर 11 प्रतिशत शुल्क लगता था। अब टेनरियां वेट ब्ल्यू लेदर को आयात कर फिनिश्ड और क्रस्ट लेदर का उत्पादन कर सकेंगी।फिनिश्ड लेदर से जूते, परिधान, सैडलरी, हारनेस वगैरह बनते हैं। इसके अलावा टेनरियां क्रस्ट लेदर का निर्यात भी कर सकेंगी, जिसपर बजट में निर्यात शुल्क 20 फीसदी से घटाकर शून्य कर दिया गया है।

नई ऊंचाइयों पर पहुंच सकेगा चमड़ा उद्योग
फिनिश्ड व क्रस्ट लेदर का प्रतिस्पर्धी मूल्यों पर उत्पादन बढ़ने से घरेलू कारोबार और निर्यात 20 प्रतिशत तक बढ़ने की संभावना है। उद्योग का आकलन है कि यह 15 से 18 हजार करोड़ रुपये से बढ़कर 23 से 25 हजार करोड़ सालाना तक पहुंच जाएगा। निर्यात भी 7000 करोड़ से बढ़कर 9500 करोड़ रुपये हो जाने की उम्मीद है। निर्यातकों ने मांग की है कि फिनिश्ड लेदर पर लग रहा 11 प्रतिशत आयात शुल्क खत्म कर दिया जाए, इससे चमड़ा उद्योग नई ऊंचाइयों पर पहुंच सकेगा।

पीयू और सिंथेटिक लेदर की मांग घटेगी
कारोबारियों के मुताबिक चमड़े के जूतों में सबसे ज्यादा क्रस्ट लेदर का उपयोग होता है। वेट ब्ल्यू लेदर के आयात पर शुल्क शून्य हो जाने से क्रस्ट लेदर का पर्याप्त मात्रा में प्रतिस्पर्धी मूल्य पर उत्पादन हो सकेगा। फिनिश्ड लेदर की भी उपलब्धता भी बड़े पैमाने पर हो जाएगी। फुटवियर कंपनियों में पीयू और सिंथेटिक लेदर की मांग घटेगी। इससे जूतों में इसका इस्तेमाल बढ़ेगा और पीयू और सिंथेटिक लेदर की मांग घरेगी।

वेट ब्ल्यू और क्रस्ट लेदर पर शुल्क खत्म कर दिया गया है। इससे उच्च गुणवत्ता वाला बोवाइन चमड़ा उपलब्ध होगा। इसका इस्तेमाल जूता, सोफा, परिधान बनाने में होगा। -असद इराकी, क्षेत्रीय अध्यक्ष, चर्म निर्यात परिषद

वेट ब्ल्यू पर आयात शुल्क हटने से टेनरियों में फिनिश्ड लेदर तैयार होगा। फिनिश्ड लेदर सस्ता होने से उत्पाद सस्ते हो जाएंगे, जिसका लाभ घरेलू बाजार के साथ निर्यात में भी देखने को मिलेगा। सालाना 20 प्रतिशत कारोबार बढ़ेगा। -यादवेंद्र सचान, निर्यातक और सदस्य, चर्म निर्यात परिषद

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