MBA और इंजीनियरिंग के छात्रों को नोटबंदी और GST की वजह से नहीं मिल रही हैं नौकरियां

नोटबंदी और जीएसटी का असर एमबीए और इंजीनियरिंग के छात्रों पर पड़ा है। आधे से अधिक छात्रों को प्लेसमेंट नहीं मिल पा रही है। उद्योग संगठन एसोचैम ने कहा है कि बिजनेस स्कूलों को अपने स्टूडेंट्स को रोजगार दिलाने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।MBA और इंजीनियरिंग

संगठन के अनुसार महज 20 फीसद छात्रों को ही जॉब ऑफर्स मिल पा रहे हैं। हाल के समय में यह साल काफी चुनौतीपूर्ण रहा। एसोचैम ने कहा कि नोटबंदी, कमजोर कारोबारी धारणा और नए प्रोजेक्ट्स में कमी के चलते इन बिजनेस स्कूलों के स्टूडेंट्स के लिए रोजगार के अवसर कम हो रहे हैं।

पिछले साल 30 प्रतिशत विद्यार्थियों को जॉब के ऑफर मिले थे। बिजनेस स्कूलों में इस साल इसमें भी गिरावट देखी गई। एसोचैम ने कहा कि बिजनेस स्कूलों और इंजिनियरिंग कॉलेजों के विद्यार्थियों को मिलने वाले सैलरी ऑफर में भी पिछले साल की तुलना में 40-45 फीसद की कमी आई है।

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एसोचैम एजुकेशन काउंसिल ने कहा है कि किसी कोर्स पर 3-4 साल लगाने और लाखों रुपए खर्च करने को लेकर अब अभिभावक और स्टूडेंट्स गंभीरता से सोचने लगे हैं। गौरतलब है कि देश में करीब 5000 एमबीए इंस्टीट्यूट से 2016-17 के दौरान लगभग 2 लाख ग्रेजुएट निकले।

मगर, इनमें से अधिकतर के लिए नौकरी नहीं थी। बीते वर्ष देश के इंजीनियरिंग कॉलेजों से निकलने वाले छात्रों का भी कमोबेश यही हाल रहा। नतीजतन इस साल इंजीनियरिंग कॉलेजों में आधी से ज्यादा सीटें खाली रह गई हैं।

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