मराठा आरक्षण आंदोलन: कौन हैं मनोज जारांगे? शिंदे सरकार की नाक में किया दम

महाराष्ट्र में मराठा आंदोलन ने एक बार फिर जोर पकड़ लिया है. मराठा आरक्षण को लेकर मनोज जारांगे पाटिल की पदयात्रा नवी मुंबई पहुंच चुकी है. इस आंदोलन में सबसे ज्यादा अगर कोई चर्चा में है वह हैं मनोज जारांगे पाटिल. फिलहाल शिंदे सरकार से मनोज जारांगे की बातचीत चल रही है. आइए इस खबर में जानते हैं कि मनोज जारांगे कौन हैं.

इससे पहले मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने आंदोलनकारी नेता मनोज जारांगे से बातचीत की और मराठा समुदाय को कुनबी जाति की कैटिगरी में शामिल करने का वादा किया था. सीएम शिंदे के आश्वासन के बाद मनोज जारांगे पाटिल ने आमरण अनशन खत्म कर दिया था. लेकिन मनोज जारांगे ने सरकार के खिलाफ एक बार फिर मोर्चा खोल दिया है.

कौन हैं मनोज जारांगे?
मनोज जारांगे पाटिल मूल रूप से महाराष्ट्र के बीड जिले के मातोरी गांव के रहने वाले हैं. फिलहाल वे अपने परिवार के साथ जालना में रहते हैं. साल 2010 में जारांगे ने 12वीं क्लास में थे, इस दौरान उन्होंने पढ़ाई छोड़ी थी. फिर वे आंदोलन से जुड़ गए. उन्होंने अपनी आजीविका चलाने के लिए होटल में काम किया.

साल 2016 से 2018 तक भी उन्होंने जालना में आरक्षण आंदोलन का नेतृत्व किया. फिर आरक्षण से जुड़े मुद्दे उठाने के लिए जारांगे ने ‘शिवबा’ नामक संगठन बनाया. उनके परिवार की आर्थिक स्थिति की बात करें तो वह कुछ खास अच्छी नहीं है. मालूम हो कि पाटिल ने कांग्रेस कार्यकर्ता के रूप में शुरुआत की थी. हालांकि, कुछ समय बाद वे कांग्रेस से अलग हो गए.

जालना में भड़की थी हिंसा
बता दें कि पिछली बार आंदोलन के समय जालना में हिंसा भड़क उठी थी. जब बड़ी संख्या में पुलिस की एक टुकड़ी धरना स्थल पर पहुंची और कहा कि पाटिल की हालत बिगड़ रही है और उन्हें सरकारी अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत है. वहीं, पाटिल के समर्थकों ने जोर दिया कि वे प्राइवेट डॉक्टरों से उनकी जांच कराएंगे. इसके बाद भारी बवाल हुआ था.

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