मराठा आरक्षण कार्यकर्ता जरांगे की भूख हड़ताल पांच दिन से जारी
मनोज जरांगे ने 25 जनवरी को भूख हड़ताल शुरू की थी। एक सितंबर 2023 के बाद यह उनकी सातवीं भूख हड़ताल है। अनशन के लगातार पांचवे दिन उनकी तबीयत में गिरावट नजर आई। मेडिकल टीम ने उनसे इलाज के लिए कहा, लेकिन जरांगे ने इससे इनकार कर दिया। आरक्षण मांग के अलावा जरांगे ने बीड जिले के मासाजोग गांव के सरपंच संतोष देशमुख की हत्या में शामिल लोगों के लिए मृत्युदंड की मांग की है।
मराठा आरक्षण की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल कर रहे मराठा कार्यकर्ता मनोज जरांगे की तबीयत बिगड़ रही है। अनशन के लगातार पांचवे दिन उनकी तबीयत में गिरावट नजर आई। इस दौरान मेडिकल टीम ने उनसे इलाज के लिए कहा, लेकिन जरांगे ने इससे इनकार कर दिया।
मनोज जरांगे ने 25 जनवरी को भूख हड़ताल शुरू की थी। एक सितंबर 2023 के बाद यह उनकी सातवीं भूख हड़ताल है। अपनी आरक्षण मांग के अलावा जरांगे ने बीड जिले के मासाजोग गांव के सरपंच संतोष देशमुख की हत्या में शामिल लोगों के लिए मृत्युदंड की मांग की है। लगातार पांच दिन से जारी हड़ताल के चलते उनकी सेहत में गिरावट नजर आ रही है।
भाजपा विधायक सुरेश धास ने बुधवार सुबह महाराष्ट्र के जालना जिले के अंतरवाली सरती गांव में धरना स्थल पर जरांगे से मुलाकात की और उनसे नसों के जरिए तरल पदार्थ लेने का आग्रह किया। लेकिन जरांगे ने इससे इनकार कर दिया। हालांकि स्थानीय लोगों के अनुरोध पर जरांगे ने सोमवार को थोड़ा पानी लिया था। मंगलवार को भी बीड सरपंच संतोष देशमुख के परिवार के अनुरोध के बाद कार्यकर्ता पानी देने के लिए राजी हो गए।
मेडिकल टीम रख रही नजर
एक मेडिकल टीम धरनास्थल पर तैनात है, जो उनका इलाज करने की इजाजत मांग रही है, लेकिन जरांगे ने किसी भी प्रकार की सहायता लेने से इनकार कर दिया है। जिला सिविल सर्जन डॉ. आरएस पाटिल और एक मेडिकल टीम धरना स्थल पर मौजूद थी।
यह है मांग
मराठा आरक्षण कार्यकर्ता सतारा, बंबई और हैदराबाद विवरणिका के ऐतिहासिक दस्तावेजों के आधार पर मराठों के रक्त संबंधियों को कुनबी घोषित करने वाली मसौदा अधिसूचना के कार्यान्वयन की मांग कर रहे हैं। जरांगे सभी कुनबी (कृषक) और उनके सगे सोयरे (रक्त संबंधियों) को मराठा के रूप में मान्यता देने के लिए ओबीसी प्रमाण पत्र की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। मराठा कार्यकर्ता ने उम्मीद जताई कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस मराठा समुदाय की मांगों पर ध्यान देंगे।
पिछले साल फरवरी में राज्य विधानसभा ने सर्वसम्मति से एक विधेयक पारित किया, जिसमें एक अलग श्रेणी के तहत शिक्षा और सरकारी नौकरियों में मराठों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण प्रदान किया गया। हालांकि, जरांगे ओबीसी मद के तहत समुदाय को कोटा देने पर जोर दे रहे हैं।