विदेशों में भी मेक इन इंडिया की धूम, दुनिया भर में लोगो का दिल जीत रहा है भारतीय हैंडीक्राफ्ट

ग्रेटर नोएडा के एक्सपो मार्ट में लगे अंतरराष्ट्रीय हैंडीक्राफ्ट फेयर ने विदेशियों का दिल जीत लिया है. विदेशियों के उत्साह को देखते हुए फरवरी 2018 में एक बार फिर हैंडीक्राफ्ट मेला ग्रेटर नोएडा में आयोजित किया जाएगा. 16 अक्टूबर तक चले इस फेयर में भारत के अलग-अलग राज्यों से 3 हजार निर्माता हिस्सा लेने आये थे. आयोजकों के मुताबिक हाथ से बने हुए सामानों को खरीदने के लिए 110 देशों से खरीददार हैंडीक्राफ्ट मेले में आते हैं. भारतीय हैंडीक्राफ्ट

हैंडीक्राफ्ट फेयर के एक्सक्यूटिव डायरेक्टर राकेश कुमार ने कहा कि खास तौर से अंतराष्ट्रीय ग्राहकों को लिए इस मेले का आयोजन किया जाता है. करीब 110 देश से खरीददार इस फेयर में हिस्सा लेने आते हैं. इसकी खासियत यह है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में हैंडीक्रॉफ्ट बेहद लोकप्रिय है. विदेश में कई बड़ी दुकानें हैं जहां हिंदुस्तान के घरों से बने हुए लाइफस्टाइल, फैशन और फर्नीचर से जुड़े क्राफ्ट का निर्यात किया जाता है.  

राकेश कुमार ने कहा कि भारत से 24 हजार 390 करोड़ का हैंडीक्राफ्ट निर्यात होता है. इस साल 2 हजार 80 निर्यातकों ने भारत मे हिस्सा लिया है. इस फेयर से प्रोड्यूसर को 3 हजार 500 करोड़ तक का ऑर्डर निर्यात के लिए मिल जाता है. उन्होंने कहा कि इस फेयर को लिम्बा बुक में सबसे ज्यादा हैंडीक्राफ्ट बनाने वाले प्रोड्यूसर का दर्जा भी मिला है. कश्मीर से कन्याकुमारी तक और अटक से कटक तक के इलाकों में हैंडीक्राफ्ट की एक विशेषता होती है.

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हैंडीक्राफ्ट फेयर के एक स्टॉल पर ऑटो पार्ट और कबाड़ से घर के लिए लैम्प, सोफा, टेबल या बेड में बड़ी सुंदरता से ढाला गया है. फेयर में हिस्सा लेने आए जोधपुर के अजय शर्मा अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में अपने क्राफ्ट की पहचान रखते हैं.  अजय ने कहा कि उनकी थीम विंटेज होने की वजह से रेस्टोरेंट के लिए उनके क्राफ्ट की खरीद ज्यादा होती है. वो फरवरी 2018 में भी वह अपने क्राफ्ट का प्रदर्शन करने ग्रेटर नोएडा आने की बात कही.

इजिप्ट की तर्ज पर मुरादाबाद के अरविंद वढेरा ने हाथों से तैयार लैम्प की प्रदर्शनी लगाते हैं. अरविंद ने बताया कि खूबसूरत डिजाइन वाले लैंप की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जमकर बिक्री होती है. अरब देश के लोग इस तरह की कलाकारी को काफी पसंद करते हैं. इस लैंप की खासियत यह है कि इसकी डिजाइन हाथ से तैयार की जाती है और बल्ब से रोशन होने के बाद लैंप दीवार पर एक खास डिजाइन की छाप छोड़ता है.

गौरतलब है कि इस साल फेयर में 2 हजार 600 अलग अलग हैंडीक्राफ्ट और हैण्डलूम की दुकानें थी जिनकी संख्या अगले बढ़ सकती है. प्रोड्यूसर इस फेयर में खरीददार के टेस्ट के मुताबिक डिजाइन तैयार करके लाते हैं. इस फेयर का मकसद ‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा देना भी है. इसके ज़रिये हैंडीक्राफ्ट का हुनर रखने वालों की पहचान कर अंतराष्ट्रीय स्तर पर प्लेटफॉर्म देने की कोशिश की जा रही है.

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