बच्चे को इन आपात स्थितियों के लिए पहले से करें तैयार, ताकि स्कूल में न हो कोई परेशानी

जो बच्चा पूरे दिन आपकी निगरानी में रहता था, अब स्कूल जाने वाला है। ऐसे में चिंतित होने के बजाय उसे स्कूल में किसी भी तरह की इमरजेंसी के लिए तैयार करें, ताकि वह सुरक्षित रहे। बच्चों के स्कूल खुल गए हैं। ऐसे में जो बच्चे पहली बार स्कूल जा रहे हैं, वे काफी उत्साहित हैं। लेकिन माता-पिता थोड़ा तनाव में हैं, क्योंकि अभी तक तो उनका बच्चा उनके साथ उनकी सुरक्षा और नजरों के सामने रहता था। ऐसे में बच्चों की सुरक्षा को लेकर माता-पिता का चिंतित होना स्वाभाविक है। मगर डरने की जगह आपको अपने बच्चे को आपातकालीन स्थितियों की जानकारी देनी चाहिए और कैसे उससे निपटना है, इसके बारे में बताना चाहिए। इससे बच्चा कठिन स्थितियों में अपनी सुरक्षा के लिए उचित कदम उठा पाएगा और खुद को सुरक्षित रख सकेगा।

सामान्य जानकारी 

हो सके तो बच्चे को घर का एक मोबाइल नंबर जरूर याद कराएं, साथ ही बच्चे को स्कूल ले जाते समय रास्ते में पड़ने वाली निशानियों, जैसे कि दुकान, पेड़ या खाली पड़े मैदान को याद करने को कहें। ऐसा करने से कभी इत्तेफाक से बच्चा अकेला ही स्कूल से निकल जाए तो वह रास्ते की निशानी देखकर घर पहुंच सकता है।

अचानक पेट दर्द में

 बच्चों की गट हेल्थ कमजोर होती है। ऐसे में अक्सर उनमें पेट दर्द की समस्या देखी जाती है। बच्चे नए लोगों से घुल-मिल नहीं पाते हैं और झिझक में टीचर को इसकी जानकारी नहीं देते, जिससे टीचर भी घबरा जाती हैं। इस स्थिति से निपटने के लिए आपको अपने बच्चे को समझाना होगा कि यदि अचानक पेट दर्द होने लगे तो पहले टॉयलेट जाकर फ्रेश हो ले, क्योंकि कभी-कभी अपच भी पेट दर्द का कारण बनती है। अगर फिर भी दर्द कम न हो तो तुरंत अपनी टीचर को इसकी जानकारी दे।

चोटिल होने पर

प्रायः: बच्चों को खेल-खेल में छोटी-मोटी चोट लग जाती है। इसलिए आप उनसे कहें कि चोट हल्की हो या बड़ी, अपनी टीचर को जरूर बताएं, ताकि वह उसका प्राथमिक उपचार कर सकें। आप उन्हें सिखाएं कि वे टीचर को यह बताने से डरें नहीं, क्योंकि कभी-कभी यह हल्की चोट खतरनाक साबित हो सकती है, साथ ही हमेशा बिजली बोर्ड से दूर रहने की सलाह दें।

टॉयलेट में बंद हो जाए तो

छोटे बच्चे को स्कूल में टीचर की निगरानी में ही टॉयलेट ले जाया जाता है, लेकिन अगर कभी वह अकेले टॉयलेट चला जाए और बंद हो जाए तो क्या करे, यह जरूर सिखाएं। आप उसे बताएं कि इस स्थिति में वह घबराए नहीं, न ही रोए, बल्कि चुपचाप शांत रहकर टीचर की बात सुने और भरोसा रखे कि टीचर उसे जरूर बाहर निकाल लेंगी।

अनजान व्यक्तियों से दूरी

सभी अभिभावक और टीचर बच्चों को यही सलाह देते हैं कि कभी भी किसी अनजान व्यक्ति की दी हुई कोई चीज न लें और न ही खाएं। फिर भी कभी किसी अनजान व्यक्ति उन्हें बहलाने-फुसलाने की कोशिश करें या बोले कि तुम्हारी मम्मी ने मुझे भेजा है तो उसकी बातों पर विश्वास न करें और तुरंत अपनी टीचर को इसकी जानकारी दें।

टीचर से आपका खुला संवाद

बाल विकास सलाहकार डॉ. रोहिणी सेठी बताती हैं, हर माता-पिता का कर्तव्य है कि वे अपने बच्चे को स्कूल में होने वाली इमरजेंसी के लिए तैयार करें। इसलिए उसे समझाएं कि वह क्लास और स्कूल के बाहर अकेले न जाए। नुकीली वस्तुओं को हाथ न लगाए। स्कूल का कोई कर्मचारी उसे गलत तरीके से छूने को कोशिश करे तो इसकी जानकारी टीचर और अपने मम्मी-पापा को दे। अनजान लोगों से सावधान रहे और उनसे कोई भी खाने की वस्तु न ले।

सबसे जरूरी बात यह कि बच्चे की टीचर से आपका खुला संवाद हो। अगर आपके घर में कोई घटना घटी है तो आपका कर्तव्य है कि इसकी जानकारी बच्चे की क्लास टीचर को भी दें और अगर बच्चे के व्यवहार में कोई बदलाव आ रहा है तो टीचर माता-पिता को जरूर बताएं। इन छोटी-छोटी चीजों पर आप ध्यान देंगी तो अवश्य ही आप अपने बच्चे को खुद से दूर होने पर भी सुरक्षित रख पाएंगी।  

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