महंगाई की मार: सब्जियों के दाम आम आदमी की पहुंच से बाहर, टमाटर के रेट डबल

अप्रैल-मई में अधिक तापमान का प्रभाव खेतों में खड़ी फसल पर भी हुआ। तेज गर्मी के कारण सब्जियों की फसल भी अपेक्षित रूप से नहीं हो पाई। इसके चलते अब बाजार में मौजूद बाहर से मंगाई जा रही सब्जियों के दाम आम आदमी की पहुंच से बाहर हो रहे हैं। टमाटर के रेट जहां डबल हो गए हैं, वहीं धनिया के दाम मई-जून की अपेक्षा दोगुना से भी आगे निकल गए हैं।

वर्तमान में सब्जियों के भाव 
मई से लेकर जुलाई तक सब्जियों के दामों में काफी अंतर आया है। मई-जून में प्याज जहां 30 रुपये प्रति किलोग्राम तक बिक रहा था, वहीं जुलाई में इसके दाम 50 रुपये तक जा पहुंचे। 30 रुपये प्रति किलोग्राम बिकने वाला टमाटर अब 60 रुपये पर पहुंच गया है। हरा धनिया मई-जून में 80 रुपये प्रति किग्रा बिका, वहीं अब यह 150 रुपये प्रति किग्रा बिक रहा है। 30 रुपये किलो बिक रही हरी मिर्च इस समय 60 रुपये किलो बेची जा रही है। लौकी पिछले महीने तक 20 रुपये प्रति किग्रा पर थी, जो अब 30 रुपये प्रति किग्रा बिक रही है। 100 रुपये प्रति किलोग्राम वाला नींबू अब 120 रुपये प्रति किग्रा पर पहुंच गया है। सूखा लहसुन 200 रुपये से 240 रुपये के रेट पर पहुंच गया। बैंगन में 10 रुपये उछाल लेकर 40 रुपये किलो तथा कटहल 50 रुपये से बढ़ाकर अब 60 रुपये किलो पर बेचा जा रहा है।

फिलहाल नहीं दाम कम होने के आसार
आढ़तियों के अनुसार फिलहाल सब्जियों के दाम कम होने की संभावना नजर नहीं आ रही। मंडी के व्यापारी राकेश ने बताया कि गर्मी के कारण टमाटर की पौध खराब हो गई थी। बचे हुए पौधों को किसानों ने रोप दिया, लेकिन तापमान अधिक रहने से ये पौधे भी जिंदा नहीं रह पाए। एक माह पहले उन्होंने फसल को जोत दिया। लागत भी नहीं निकल सकी। किसान वेदपाल सिंह ने बताया कि उन्होंने टमाटर की फसल की थी। गर्मी के कारण वह भी उचित उत्पादन नहीं ले पाए। 20 दिन पहले उन्होंने भी ट्रैक्टर से जोताई करा दी। किसान चंदन सिंह ने मिर्च और गोभी के अलावा कुछ अन्य फसलें भी की थीं। उन्होंने बताया कि गर्मी के कारण पौधों पर मिर्च नहीं आईं। गोभी पीली पड़ गई। टिंडा, करेला, तोरई और लौकी की फसलें भी भीषण गर्मी के चलते खराब हो गई। आईवीआरआई के बागवानी विशेषज्ञ डॉ. रंजीत सिंह ने बताया कि इस बार तापमान का असर सब्जियों पर भी अधिक रहा। इस कारण काफी फसल खराब हो गई है।

आलू के भी बढ़ सकते हैं दाम
कोल्ड स्टोर से आलू की कम निकासी होने की वजह से इसके भी भाव बढ़ने की संभावना है। किसानों और व्यापारियों का कहना है कि खराब मौसम और परिवहन की समस्या की वजह से आलू कोल्ड स्टोर से नहीं आ पा रहा है। दूसरी ओर जिला उद्यान अधिकारी पुनीत पाठक के अनुसार जिले में 7500 हेक्टेयर में आलू का 2.75 टन उत्पादन होता है। बरेली में करीब तीन हजार किसान आलू की खेती करते हैं। जिले में 29 कोल्ड स्टोरेज है, जिनकी भंडारण क्षमता 1.40 लाख टन है। इनमें 1.30 टन आलू भंडारण है। उन्होंने बताया कि किसानों को उम्मीद है कि देर से आलू को निकालने पर अच्छे दाम मिल सकते हैं। इससे आलू की निकासी नहीं हो पा रही है। हालांकि विभागीय स्तर पर किसानों को इसके प्रति जागरूक कर आलू की निकासी पर जोर दिया जा रहा है।

Back to top button