महाराष्ट्र: जीबीएस का बढ़ रहा कहर, अब तक चार मौतें, 140 केस सामने आए
राज्य में अब तक जीबीएस के संदिग्ध 140 मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें से 98 में जीबीएस की पुष्टि हो चुकी है। इनमें पुणे से 26 मरीज हैं। पुणे शहर के विभिन्न हिस्सों से 160 पानी के नमूने जांच के लिए भेजे गए, जिनमें से आठ नमूने दूषित पाए गए।
महाराष्ट्र में गुलियन बैरे सिंड्रोम से चार लोगों की मौत हो चुकी है। स्वास्थ्य अधिकारियों ने बताया कि राज्य में अब तक जीबीएस के संदिग्ध 140 मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें से 98 में जीबीएस की पुष्टि हो चुकी है। इनमें पुणे से 26 मरीज हैं।
स्वास्थ्य अधिकारियों ने बताया कि पिंपरी चिंचवाड़ के यशवंतराव चव्हाण मेमोरियल अस्पताल में एक 36 वर्षीय व्यक्ति की बृहस्पतिवार को मौत हो गई। उनके शरीर में निमोनिया के कारण श्वसन तंत्र पर असर पड़ा था। उन्होंने बताया कि शुक्रवार को पुणे के धायरी इलाके के 60 वर्षीय व्यक्ति की भी मौत हुई। उन्हें दस्त और कमजोरी के कारण 27 जनवरी को अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन हृदय गति रुकने से उनकी मौत हो गई।
राज्य स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि राज्य में 140 संदिग्ध मरीज हैं। 96 मरीजों में जीबीएस की पुष्टि हुई है। 26 मरीज पुणे शहर से हैं। जबकि 78 नए मरीज पुणे नगर निगम क्षेत्र के गांवों में मिले हैं। 15 मरीज पिंपरी चिंचवाड़ क्षेत्र, 10 मरीज पुणे ग्रामीण और 11 अन्य जिलों में मिले हैं। शुक्रवार को कोई भी नया मरीज सामने नहीं आया। राज्य में सबसे ज्यादा मामले पुणे और उसके आसपास के इलाकों से सामने आए।
स्वास्थ्य अधिकारियों ने बताया कि पुणे शहर के विभिन्न हिस्सों से 160 पानी के नमूने जांच के लिए भेजे गए, जिनमें से आठ नमूने दूषित पाए गए। सिंहगढ़ रोड के कुछ बोरवेल से मिले नमूनों में ई.कोली बैक्टीरिया पाया गया है। उन्होंने बताया कि ई.कोली का पानी में होना मल या पशु अपशिष्ट के प्रदूषण का संकेत है, और यह जीबीएस संक्रमण का कारण बन सकता है।
नांदेड़्र, किरकटवाड़ी, धायरी और सिंहगढ़ रोड से जुड़े तमाम इलाकों से पुणे नगर निगम के अधिकारियों ने बोरवेल और कुओं से पानी के नमूने लेकर जांच के लिए भेजे हैं। पुणे नगर निगम के जलापूर्ति विभाग के प्रमुख नंदकिशोर जगताप ने बताया कि कल हमने जीबीएस प्रभावित क्षेत्र सिंहगढ़ रोड के निजी बोरवेल और कुओं से नमूने लिए। एक नमूने में ई.कोली बैक्टीरिया पाया गया।
उन्होंने कहा कि दो दिन पहले निजी ट्यूबवेल ऑपरेटरों और बोरवेल्स संचालकों के साथ बैठक की गई थी। उनको निर्देश दिया गया था कि बैक्टीरिया को रोकने के लिए पीएमसी द्वारा प्रदान किए गए ब्लीचिंग पावर का उपयोग करें। हमारे विशेषज्ञों ने उन्हें पानी में घोल कैसे मिलाया जाए, इसका प्रदर्शन दिया। नांदेड़ क्षेत्र में बोरवेल प्वाइंट को ब्लीचिंग पावर घोल का उपयोग करने के लिए नोटिस जारी किया गया है।