मध्य प्रदेश: जहां हर पत्थर के नीचे था नाग का वास, अब वहां मिले 11 हजार साल पुराने सात मंदिर

दोनी गांव में कलचुरी शासक के समय के मंदिर और उनके बाजू में प्राचीन बावड़ी बनी है। जिसका जीर्णोधार पंचायत स्तर पर कराया गया है। बावड़ी खुदाई के दौरान हर पत्थर के नीचे नागदेवता का वास मिला था। जो विनती के बाद वहां से हटे थे।

उत्तर प्रदेश के संभल और चंदौसी में की गई खुदाई में कई पुराने शिव मंदिर मिले हैं। जिनकी देश भर में चर्चा हुई। अब इसी तरह का नजारा मध्य प्रदेश के दमोह जिले में देखने को मिल रहा है। प्रदेश के पुरातत्व विभाग ने जिले के तेंदूखेड़ा ब्लॉक के दोनी गांव में सात मंदिरों के समूह को खोजा है। यह कलचुरी काल के मंदिर मिट्टी के टीले के नीचे दबे मिले हैं, जो नौवीं शताब्दी के माने जा रहे हैं।

बता दें कि तेंदूखेड़ा पर्यटन और प्राचीन धरोहर के लिए प्रदेश भर में जाना जाता है। यहां आज भी राजा महाराजाओं के किले और मठ बने हुए हैं, लेकिन अनदेखी के कारण वे खंडहर का स्वरूप लेते जा रहे हैं। हालांकि, अब पुरातत्व विभाग तेंदूखेड़ा में ऐसी प्राचीन धरोहरों की खोज के लिए खुदाई कर रहा है।

नौवीं शताब्दी के मिले मंदिर
तेंदूखेड़ा ब्लॉक के दोनी गांव में नौवीं शताब्दी के मठ और मंदिर बने हुए हैं। राज्य सरकार के पर्यटन राज्यमंत्री धर्मेंद्र सिंह लोधी ने इन मंदिरों का सर्वे पुरातत्व विभाग से कराया था। इसके बाद विभाग की ओर से मठ क्रमांक दो में जीर्णोधार का काम शुरू किया गया। इस दौरान की गई खुदाई में मिट्टी में दबे सात मंदिर मिले हैं।

नए सिरे से बनेगा मंदिर
खुदाई के दौरान मिले मंदिरों से निकली मूर्ति को सुरक्षित स्थान पर रखा गया है। पुरातत्व विभाग के विशेषज्ञ डॉ. रमेश यादव ने बताया कि खुदाई में जो प्रतिमाएं मिली हैं, उनका अस्सी प्रतिशत भाग सुरक्षित है। उन्होंने बताया कि पुरातत्व विभाग के नियम के अनुसार खुदाई में मिली मूर्ति या किसी अन्य प्रकार के अवशेष अगर 80 फीसदी तक सुरक्षित मिलते हैं तो उन्हें नए सिरे से तैयार किया जाता है। ऐसे में दोनी गांव में मिले कलचुरी मंदिरों और प्रतिमाओं को नया रूप दिया जाएगा। खुदाई में निकली प्रतिमाओं को रानीदुर्गावती संग्रहालय जबलपुर और दमयंती संग्रहालय दमोह में रखा गया है।

हर पत्थर के नीचे नागदेवता का बास
दोनी गांव में कलचुरी शासक के समय के मंदिर और उनके बाजू में प्राचीन बावड़ी बनी है। जिसका जीर्णोधार पंचायत स्तर पर कराया गया है। बावड़ी खुदाई के दौरान हर पत्थर के नीचे नागदेवता का वास मिला था। बाद में पूजा कर नागदेवता से जाने के लिए कहा, उसके बाद उन्होंने अपना स्थान बदला, और फिर निर्माण कार्य शुरू किया गया।

कई पत्थर मौके से गायब
मंदिरों में लगे पत्थर स्थानीय सेंड स्टोन हैं, लेकिन उनकी बनावट और ऊंचाई अलग है। माना जा रहा है कि जो मंदिर खुदाई में मिले हैं, उनकी ऊंचाई 70 फीट रही होगी। पुरातत्व विभाग की टीम का मानना है कि कल्चुरी शासनकाल के इन मंदिरों को लोकल स्थानीय लोगों द्वारा नुकसान पहुंचाया गया। मंदिरों और मठों में लगे कई पत्थर मौके से गायब हैं।

तीन महीने से चल रही खुदाई
पुरातत्व विभाग की आयुक्त उर्मिला शुक्ला ने बताया कि विभाग की ओर से दोनी गांव में पिछले तीन महीने से खुदाई का काम कराया जा रहा है। अभी मठ क्रमांक दो की खुदाई हो रही है, जहां यह मंदिर मिले हैं। काम पूरा होने के बाद मठ क्रमांक एक का काम शुरू कराया जाएगा।

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