मध्य प्रदेश: बजट से किसानों को उम्मीदें, मटर की एमएसपी तय करने की मांग
जबलपुर के किसानों ने केंद्रीय बजट 2025-26 से मटर की एमएसपी तय करने और जिले में प्रसंस्करण यूनिट स्थापित करने की मांग की है। उनका कहना है कि उचित मूल्य और सुविधाएं न मिलने से नुकसान हो रहा है। किसान नेताओं ने कृषि क्षेत्र के लिए बजट आवंटन बढ़ाने की भी अपील की है।
मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले में मटर उगाने वाले किसानों ने केंद्रीय बजट 2025-26 से पहले अपनी प्रमुख मांगें रखते हुए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) तय करने की अपील की है। हाल ही में जिले की मटर को ‘एक जिला, एक उत्पाद’ योजना के तहत पहचान मिली है, लेकिन किसानों का कहना है कि इसका सीधा लाभ उन्हें नहीं मिल रहा है।
किसानों का कहना है कि मटर की खरीदी में निश्चित मूल्य नहीं होने से उन्हें नुकसान उठाना पड़ता है। स्थानीय किसान प्रकाश पटेल ने कहा कि खरीदी के लिए सुविधाएं और व्यवस्थाएं समय पर नहीं मिलतीं। रेट एक दिन घटते हैं, एक दिन बढ़ते हैं, जिससे किसान परेशान हो जाता है। एमएसपी से यह समस्या हल हो सकती है।
किसान रुक्मिणी पटेल ने भी इस पहल का स्वागत किया, लेकिन मटर की खरीद में स्थिरता लाने की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने कहा कि मटर को एक जिला, एक उत्पाद का दर्जा मिलना अच्छा है, लेकिन यूनिट लगाकर फिक्स रेट तय करना चाहिए, ताकि किसानों को सीधा लाभ मिले। अच्छी क्वालिटी की फसल पर फिक्स रेट होना चाहिए।
किसानों की दूसरी बड़ी मांग जिले में मटर प्रसंस्करण यूनिट स्थापित करने की है। किसान डॉ. अजय बाजपेयी का कहना है कि यह क्षेत्र मटर उत्पादन के लिए उपयुक्त है, लेकिन सरकारी प्रबंधों की कमी के कारण किसानों को फायदा नहीं मिलता। प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित होने से बिचौलियों की भूमिका कम होगी और किसानों को लाभ मिलेगा।
तवल सिंह लोधी ने बताया कि निजी कंपनियां मटर खरीदने में देरी करती हैं। उन्होंने कहा कि फैक्ट्रियां रेट कम होने तक इंतजार करती हैं। सरकार को इस पर ध्यान देकर तुरंत खरीद सुनिश्चित करनी चाहिए।
किसान नेताओं ने केंद्र सरकार से कृषि क्षेत्र के लिए बजट आवंटन बढ़ाने की भी अपील की। भारत कृषक समाज के सदस्य के. के. अग्रवाल ने कहा कि हमने केंद्रीय मंत्री के साथ बैठक में किसानों के बजट में वृद्धि की मांग रखी है। वर्तमान में केवल पांच प्रतिशत आपूर्ति की जा रही है, जो पर्याप्त नहीं है। किसानों को उम्मीद है कि 1 फरवरी को पेश होने वाले केंद्रीय बजट में उनकी मांगों पर सकारात्मक कदम उठाए जाएंगे।