16/17 जुलाई को लगने वाला चंद्रग्रहण इस बार काफी खास है। वो इसलिए क्योंकि 149 साल बाद यह ग्रहण शुभ संयोग पर लग रहा है।
ज्योतिषाचार्य पंडित राम शंकर जोशी ने बताया कि 149 साल बाद 16 जुलाई को लगने वाला चंद्र ग्रहण बेहद खास है। यह खंडग्रास चंद्रग्रहण 16/17 जुलाई की रात 01.31 मिनट से शुरू होगा और सुबह 4.30 मिनट तक चलेगा। वहीं नौ घंटे पहले हीसूतक लग जाएगा।
गुरू पूर्णिमा, कर्क संक्रांति और चंद्रग्रहण
बता दें कि गुरू पूर्णिमा पर सूर्य की कर्क संक्रांति और खग्रास चंद्रग्रहण का संयोग 149 साल बाद हो रहा है। 16 जुलाई को आषाढ़ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि है। इस दिन पूर्व आषाढ़ नक्षत्र भी है। जो रात 8 बजकर 46 मिनट तक रहेगा। वहीं इस दिन सूर्य की कर्क संक्रांति भी है जो सुबह 4 बजकर 34 मिनट से शुरू होगी।
जब सूर्य कर्क राशि में प्रवेश करता है तो उसे सूर्य की कर्क संक्रांति कहा जाता है। गुरू पूर्णिमा, कर्क संक्रांति होने के साथ-साथ 16 जुलाई को खंडग्रास चंद्रग्रहण भी है जिस कारण यह संयोग बेहद खास माना जा रहा है।
ग्रहण का पृथ्वी के वातावरण पर कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ेगा
ज्योतिषाचार्य के अनुसार ग्रहण के समय चंद्रमा धनु राशि में केतु और शनि के साथ विराजमान होगा। ग्रहण के समय में मिथुन राशि में सूर्य शुक्र और राहु, धनु राशि के सामने स्थित होकर के चंद्र पर दृष्टि डालेंगे। पृथ्वी और वातावरण की बात करें तो उस समय पूरी दुनिया में अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग लग्न उदित होने के कारण अलग-अलग फल प्रदान हो सकता है।
इस ग्रहण का पृथ्वी के वातावरण में कोई दुष्प्रभाव नहीं दिखाई देगा और ना ही कोई अप्रिय घटना होती हुई दिखाई दे रही है। लेकिन समुद्री क्षेत्रों में भारी बारिश होने की संभावना बन रही है, लेकिन ऐसी कोई भी अप्रिय और नकारात्मक घटना इस चंद्रग्रहण से दृष्टिगोचर नहीं होती दिख रही है।
हरिद्वार में दिन में तीन बजे होगी गंगा आरती
16 जुलाई को धर्मनगरी हरिद्वार के तमाम मंदिरों के कपाट बंद हो जाएंगे। किसी भी मंदिर में सायंकालीन आरती नहीं होगी। हरकी पैड़ी पर गंगा आरती केवल सूर्य ग्रहण के सूतक में ही रोकी जा सकती है, इसलिए चंद्रग्रहण पर मंगलवार को दोपहर बाद तीन बजे गंगा आरती होगी। आरती हर सूरत में 4.30 बजे से पहले सम्पन्न हो जाएगी। गंगा सभा के महामंत्री तन्मय वशिष्ठ ने बताया कि दोपहर के समय गंगा मैय्या को भोग लगाने के बाद गंगा आरती की तैयारियां शुरू कर दी जाएगी।
हरकी पैड़ी पर ध्वनि विस्तारक यंत्रों से यात्रियों को गंगा आरती जल्दी होने की सूचना पहले ही प्रसारित कर दी जाएगी। सूतक लगने के बाद किसी भी मंदिर में पूजा नहीं होगी और मंदिरों के कपाट फिर दोबारा बुधवार की सवेरे ही खुलेंगे। प्रात:कालीन आरती मंदिरों की सफाई करने के बाद की जाएगी। मंगलवार की अर्द्धरात्रि चंद्रग्रहण का स्पर्श 1.31 बजे होगा। ग्रहण का मध्य तड़के 3.01 बजे होगा। चंद्रमा को ग्रहण से मोक्ष सवेरे 4.30 बजे मिलेगा। मोक्ष के साथ ही ग्रहण का सूतक समाप्त हो जाएगा। मोक्ष मिलने के बाद तड़के ही तीर्थ यात्री गंगा के तटों पर स्नान करेंगे।
चंद्रग्रहण के दिन बंद रहेगे केदारनाथ व ओंकारेश्वर मंदिर के कपाट
चंद्रग्रहण के दिन 16 जुलाई को केदारनाथ व पंचकेदार गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मंदिर के कपाट शाम 4 बजकर 30 मिनट से 17 जुलाई तड़के साढ़े चार बजे तक बंद कर दिए जाएंगे। इस दौरान श्रद्धालु भगवान के दर्शन नहीं कर पाएंगे।
केदारनाथ में मंदिर के वेदपाठी विश्वमोहन जमलोकी, स्वयंवर सेमवाल एवं ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के वेदपाठी यशोधर मैठाणी ने पंचांग गणना की। केदारनाथ मंदिर के पुजारी केदार लिंग एवं ओंकारेश्वर मंदिर के पुजारी शिव शंकर लिंग ने बताया कि चंद्र ग्रहण के दिन भगवान केदारनाथ मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाएंगे। ग्रहण से पूर्व भगवान केदारनाथ का भोग लगाकर भगवान की सायंकालीन आरती की जाएगी।