लखनऊ: भर्ती प्रक्रिया में भेदभाव के अनुप्रिया के आरोपों को लोक सेवा आयोग ने किया खारिज
एनडीए के सहयोगी घटक दल अपना दल (एस) की अध्यक्ष और सांसद अनुप्रिया पटेल ने सिर्फ साक्षात्कार आधारित परीक्षाओं में ओबीसी और एससी-एसटी अभ्यर्थियों के लिए आरक्षित पदों में उनका चयन न होने की शिकायत मुख्यमंत्री से की है। अनुप्रिया पटेल ने कहा है कि आरक्षित पदों के अभ्यर्थियों को ‘नॉट फॉर सूटेबल’ यानी ‘पद के योग्य नहीं’ लिखकर उस पद को अनारक्षित घोषित कर दिया जाता है। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने अनुप्रिया के इस दावे को खारिज कर दिया है। आयोग ने पूरी चयन प्रक्रिया विस्तार से बताई है और साफ किया है कि साक्षात्कार परिषद द्वारा ‘नॉट सूटेबल’ लिखने का प्रावधान ही नहीं है बल्कि ग्रेडिंग दी जाती है।
अपना दल (एस) की की राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए सरकार ने केंद्रीय विद्यालय, सैनिक स्कूल और नीट की प्रवेश परीक्षा में पिचड़े वर्ग से आने वाले छात्रों को आरक्षण देने का एतिहासिक कदम उठाया है। इसी क्रम में उन्होंने लिखा कि एससी-एसटी और ओबीसी अभ्यर्थियों ने उनसे कहा है कि प्रदेश सरकार द्वारा आयोजित की जाने वाली सिर्फ साक्षात्कार आधारित नियुक्ति प्रक्रिया वाली परीक्षाओं में आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को प्राय: ‘नॉट फॉर सूटेबल’ घोषित कर इस वर्ग के किसी अभ्यर्थी का चयन नहीं किया जाता। साक्षात्कार वाले पदों में ये प्रक्रिया कई बार अपनाकर अंत में उस पद को अनारक्षित घोषित कर दिया जाता है।
उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने उनकी शिकायत को निराधार बताते हुए खारिज कर दिया। आयोग ने कहा कि साक्षात्कार प्रक्रिया कोडिंग पर आधारित है। इसमें अभ्यर्थियों के क्रमांक, नाम, रजिस्ट्रेशन संख्या, श्रेणी और आयु को ढक कर सेलोटेप से चिपकाया जाता है। दो सदस्यीय साक्षात्कार परिषद के सामने व्यक्तिगत विवरण नहीं रखे जाते। आयोग ने स्पष्ट किया कि साक्षात्कार परिषद ‘नॉट सूटेबल’ नहीं लिखती है बल्कि ग्रेडिंग देती है। साक्षात्कार के बाद परिषद के सदस्य और प्राविधिक परामर्शदाताओं द्वारा दी गई ग्रेडिंग को औसत के सिद्धांत के आधार पर अंक में बदला जाता है और उसे मार्कशीट पर अंकित किया जाता है। फिर मार्कशीट का लिफाफा सील कराया जाता है।
आयोग ने बताया कि न्यूनमत अर्हता अंक के अंतर्गत सामान्य, ओबीसी व ईडब्लूएस के लिए 40 फीसदी और एससी-एसटी के लिए 35 फीसदी हैं। रिक्त पदों के सापेक्ष यदि किसी श्रेणी में अभ्यर्थी न्यूनतम अर्हता अंक नहीं पाते हैं तो ऐसी रिक्तियों को आयोग के स्तर पर किसी अन्य श्रेणी में परिवर्तित करने का अधिकार ही नहीं है। बल्कि शासनादेश में बताई गई प्रक्रिया के अनुसार ऐसी रिक्तियों को फारवर्ड किया जाता है।