लोकसभा चुनाव 2024: आदिवासी बहुल जिले में 72 वर्षां में 22 फीसदी बढ़ा मतदान

सूबे में सर्वाधिक आदिवासी आबादी वाली रॉबर्ट्सगंज लोकसभा सीट के मतदाता मतदान के अधिकार के प्रति जागरूक हो रहे हैं। साल दर साल चुनाव में उनकी सहभागिता बढ़ रही है। पिछले 72 वर्षों में मतदान प्रतिशत में 22 फीसदी का इजाफा हुआ है।

इस बार भीषण गर्मी और प्रतिकूल मौसम के बावजूद मतदाताओं की फर्स्ट डिविजन पास होने की पुरजोर कोशिश रहेगी। रॉबर्ट्सगंज लोकसभा सीट भले ही 1962 में स्वतंत्र रूप से अस्तित्व में आई, लेकिन यहां के मतदाता 1951 के पहले चुनाव से ही सांसद चुनते आ रहे हैं। तब यह सीट मिर्जापुर का हिस्सा थी। एक सीट से दो सांसद चुने जाते थे। पहले चुनाव में महज 35.9 प्रतिशत वोट पड़े थे। तब लोगों में मतदान के प्रति उतनी जागरूकता नहीं थी और न ही पर्याप्त संसाधन थे। जागरुकता बढ़ी तो 1957 में मतदान प्रतिशत 44.7 तक पहुंच गया।

इसके बाद से यह क्रम लगातार बढ़ता चला आ रहा है। इमरजेंसी के बाद 1977 में हुए चुनाव में मतदाताओं ने भरपूर जोश दिखाया। तमाम दुरुह स्थितियों के बावजूद 1977 में मतदाता पैदल ही लंबी दूरी तय कर बूथों तक पहुंचे थे और मतदान किया था। तब 51.8 फीसदी मतदान हुआ।

बाद के चुनाव में मतदान प्रतिशत में थोड़ी गिरावट जरूर आई, लेकिन आंकड़ा 50 के आसपास ही बना रहा। सिर्फ वर्ष 1991 में ही 40.7 प्रतिशत वोट पड़े थे। वर्ष 1998 में जब 13 महीने बाद ही दोबारा चुनाव हुए तो मतदाता सारे काम छोड़कर घरों से बाहर निकले और वोट दिया। इस चुनाव में 54.8 फीसदी वोट पड़े थे। इसके बाद 1999, 2004 और 2009 के चुनाव में उतार-चढ़ाव बना रहा। वर्ष 2014 में 52.9 प्रतिशत वोट पड़े तो वर्ष 2019 में 57.8 प्रतिशत मतदान हुआ था।

मतदान प्रतिशत में लगातार वृद्धि को प्रशासन मतदाताओं में आ रही जागरुकता और मतदाता सूची की त्रुटियों में सुधार को प्रमुख कारण मान रहा है। इस बार 60 फीसदी का आंकड़ा पार करने का लक्ष्य है। इसके लिए विशेष कवायद भी की जा रही है।

भीषण गर्मी के मद्देनजर बूथों पर सुविधाएं बढ़ाने के साथ बुजुर्ग और दिव्यांग मतदाताओं को घर से वोट करने की सुविधा दी गई है। सबसे खास बात यह कि मतदाता सूची में हजारों ऐसे नाम काटे गए हैं, जो काफी समय से दो-दो जगह दर्ज थे या मतदाता के अन्यत्र जाने के बाद भी हटाए नहीं गए थे।

अधिकारी बोले
मतदाता सूची में त्रुटियों के कारण कई बार मतदाता वोट देने से वंचित रह जाते थे, मगर इस बार यह समस्या नहीं आएगी। सूची को त्रुटिरहित करने का पूरा प्रयास किया गया है। दो स्थानों पर अंकित या ट्रांसफर वाले नाम हटाए गए हैं। कम मतदान वाले इलाकों को चिह्नित कर विशेष अभियान भी चलाया जा रहा है। -जगरूप सिंह पटेल, सहायक जिला निर्वाचन अधिकारी

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