लोकसभा चुनाव: परिसीमन से उधमपुर सीट पर बदले समीकरण, भाजपा और आजाद ने उतारे उम्मीदवार

इस बार लोकसभा चुनाव में परिसीमन से राजनीतिक समीकरण बदलेंगे। उधमपुर संसदीय सीट की बात करें तो इसमें पहले रियासी संसदीय जिला क्षेत्र शामिल था और इस क्षेत्र में कांग्रेस की पैठ रही है। माहौर, अरनास, गूल, गुलाबगढ़ जैसे इलाकों में गुज्जरों में कांग्रेस की पकड़ रही है। इस बार इसे जम्मू संसदीय क्षेत्र से जोड़ दिया गया है, जिससे कांग्रेस का यह प्रभाव वाला क्षेत्र दूसरे संसदीय क्षेत्र में चला गया है।

कांग्रेस से गए पूर्व मुख्यमंत्री और डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी के अध्यक्ष गुलाम नबी आजाद भी इस सीट पर कांग्रेस का वोट काटने का काम कर सकते हैं। उन्होंने अपनी पार्टी से जीएम सरूरी को मैदान में उतारा है। वह डोडा, किश्तवाड़ और भद्रवाह जैसे पहाड़ी इलाकों में मुख्य रूप से सक्रिय रहे हैं। वहीं, सत्तापक्ष में भाजपा 10 वर्ष बनाम 65 वर्ष का मुद्दा बना रही है। भाजपा का दावा है कि स्वास्थ्य, शिक्षा सहित अन्य जरूरी क्षेत्रों में पार्टी ने दस साल में शानदार प्रदर्शन किया है।

उधमपुर संसदीय सीट के कई पहाड़ी क्षेत्र आतंकवाद की मार झेलते रहे हैं। कभी किश्तवाड़, रामबन और डोडा जैसे इलाकों में कट्टरपंथी और अलगाववादी सोच को बढ़ावा दिया जाता था। हालांकि अब हालात बदल गए हैं।

रियासी के जम्मू संसदीय सीट से जुड़ने से चुनाव में कांग्रेस के जनसमर्थन में प्रभाव पड़ेगा। 2014 में रियासी के गुलाबगढ़ से कांग्रेस के मुमताज अहमद विधायक रहे हैं। गूल अरनास से कांग्रेस के एजाज खान विधायक रह चुके हैं। कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष विकार रसूल वानी भी इसी संसदीय क्षेत्र से आते हैं और वह भी खुद लड़ने का दावा कर चुके हैं।

हैट्रिक बनाने की तैयारी में भाजपा

कांग्रेस जम्मू कश्मीर को राज्य का दर्जा देने, स्थानीय लोगों की भूमि और सरकारी नौकरियों के अधिकारों के संरक्षण के मुद्दे को उठा रही है। उधमपुर से भाजपा छोड़ विधानसभा चुनाव जीतने वाले पवन गुप्ता की भी घर वापसी हो गई है। भाजपा ने लगातार तीसरी बार सांसद डॉ. जितेंद्र सिंह को उधमपुर सीट पर प्रत्याशी घोषित करके हैट्रिक बनाने की तैयारी की है। इस सीट पर कांग्रेस का इंडिया गठबंधन से सहमति के बाद प्रत्याशी उतारना अभी बाकी है।
उधमपुर संसदीय क्षेत्र को पिछले दस साल में तीन मेडिकल कॉलेज मिले हैं। इसमें कठुआ, डोडा के बाद उधमपुर मेडिकल कॉलेज को खोला गया है। इस संसदीय क्षेत्र में दिल्ली-कटड़ा एक्सप्रेस वे का निर्माण किया जा रहा है। चिनाब पर बिजली उत्पादन के लक्ष्य को बढ़ाने का काम किया जा रहा है। इसके अलावा संसदीय क्षेत्र के विभिन्न स्थानों पर विद्युत उत्पादन परियोजनाओं पर काम किया चल रहा है।

डॉ. जितेंद्र दस सालों से पीएमओ में मंत्री

उधमपुर-डोडा संसदीय सीट से जीतने वाले उम्मीदवारों को केंद्र में बैठने का मौका मिला है। इससे इस संसदीय सीट पर विकास को गति मिली है। कई नई परियोजनाएं जारी हैं। दो बार इस सीट को जीत चुके (2014 और 2019) भाजपा सांसद डॉ. जितेंद्र सिंह दस साल से पीएमओ में मंत्री हैं। इससे पूर्व, पूर्व सदर-ए-रियासत डॉ. कर्ण सिंह 1967 से 1980 तक कांग्रेस की टिकट पर तीन बार जीतकर केंद्र में मंत्री रहे हैं। भाजपा सांसद चमन लाल गुप्ता भी तीन बार जीते और केंद्र में मंत्री रहे।

सात लाख से अधिक मतदाता

उधमपुर संसदीय सीट पर 7 लाख से अधिक मतदाता हैं। 2019 के चुनाव में भाजपा से सांसद डॉ. जितेंद्र सिंह ने 724311 वोट हासिल किए थे, जिसमें 8905 मत डाक मतपत्र से हासिल हुए थे। कांग्रेस के विक्रमादित्य को दूसरे नंबर पर 367059 मत मिले थे, जिसमें 936 डाक पतपत्र से मत आए थे।

भाजपा ने अभूतपूर्व विकास करवाया- डॉ. जितेंद्र सिंह

भाजपा के प्रत्याशी डॉ. जितेंद्र सिंह का दावा है कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में इस बार भी पार्टी उधमपुर संसदीय सीट पर अच्छा प्रदर्शन करेगी। भाजपा ने दस साल में सभी महत्वपूर्ण क्षेत्रों में अभूतपूर्व विकास करवाया है। आज उधमपुर, डोडा और कठुआ निर्वाचन क्षेत्र को देश के प्रमुख निर्वाचन क्षेत्रों में गिना जा रहा है। इस संसदीय क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं पर काम हो रहा है।

कांग्रेस जनता के मुद्दों के साथ खड़ी- विकार रसूल

कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष विकार रसूल वानी ने कहा कि पार्टी लोगों के ज्वलंत मुद्दों के साथ खड़ी है और अपना संघर्ष जारी रखे हुए है। इसमें जम्मू कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करवाना, स्थानीय लोगों के लिए भूमि और नौकरियों के अधिकार सुरक्षित करना शामिल हैं। उधमपुर-डोडा सीट पर विकास की खामियों को उठाया जाएगा। इस क्षेत्र में लोग आज भी बुनियादी जरूरतों के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

उधमपुर सीट से कब कौन जीता
1967 (उपचुनाव) -ंडॉ. कर्ण सिंह (कांग्रेस)
1967-जीएस ब्रिगेडियर (कांग्रेस)
1971 व 1980 -डॉ. कर्ण सिंह (कांग्रेस)
1984- गिरधारी लाल (कांग्रेस)
1988 (उपचुनाव)-मो. ए खान (कांग्रेस)
1989-धर्मपाल (कांग्रेस)
1996 व 1999-चमन लाल गुप्ता (भाजपा)
2004 व 2009 चौधरी लाल सिंह (कांग्रेस)
2014 व 2019 डॉ. जितेंद्र सिंह (भाजपा)

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