एलजी ने कहा-कटड़ा में सभी हितधारकों के हितों का ध्यान रखेगा श्राइन बोर्ड

उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कटड़ा में ताराकोट रोपवे विवाद के समाधान के लिए उच्च स्तरीय कमेटी के प्रयासों की पुष्टि की और विकास को सभी हितधारकों के लाभ में संतुलित रखने का वादा किया।

उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने ताराकोट रोपवे विवाद के बीच कहा है कि श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड कटड़ा के सभी हितधारकों के हितों का ध्यान रखेगा। इस मुद्दे का हल बातचीत से ही निकलेगा और उच्च स्तरीय कमेटी इस दिशा में प्रयासरत है। उन्होंने कहा है कि रोपवे बनने से पुराने रूट से जाने वाले यात्रियों की संख्या कम नहीं होगी। रोपवे के इस्तेमाल के लिए टिकट कटड़ा में निहारिका में ही लेना होगा। ऐसे में जो भी रोपवे से जाना चाहेगा, उसे कटड़ा आना ही पड़ेगा। जरूरत पर दिल्ली-कटड़ा एक्सप्रेस वे के अलाइनमेंट पर भी बात की जा सकती है।

एनजीटी ने पुराने मार्ग से घोड़े व खच्चरों को चरणबद्ध तरीके से हटाने के लिए कहा है। बोर्ड उसी को ध्यान में रखकर काम कर रहा है। एलजी ने बताया कि श्रद्धालुओं व हितधारकों की सुविधा के लिए ही पुराने रूट का चौड़ीकरण हो रहा है।

सजावटी स्ट्रीट लाइटें व फसाड लाइटें (किसी इमारत के बाहरी हिस्से को रोशन करने का तरीका) लगवाई जा रही हैं। बाणगंगा घाट का विकास किया जा रहा है। आगे भी जो भी सुझाव आएंगे, उन पर विचार किया जाएगा। एलजी ने कहा कि कटड़ा एक्सप्रेस वे को लेकर कुछ चिंताएं सामने आई हैं। उसे भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के संज्ञान में लाया जा सकता है। जरूरत पड़ने पर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से बात कर सकते हैं।

कटड़ा से शिवखोड़ी तक नई हेली सेवा जल्द, फायदा कटड़ावासियों को ही
एलजी ने कहा कि एक बड़ा फैसला नए हेलीपैड निर्माण को लेकर किया गया है। टेंडर हो गया है अब कटड़ा से शिवखोड़ी के लिए सीधी हेली सेवा उपलब्ध होगी। वहां जाने वाले यात्री भी कटड़ा में ही रुकेंगे।

विकास भी जरूरी, जीविका भी जरूरी
उपराज्यपाल सिन्हा ने कहा कि विकास बहुत जरूरी है। इससे जीविका पर असर नहीं होता, न ही होने दिया जाएगा। माता के दर्शन करने आने वालों में बड़ी संख्या में बुजुर्ग व दिव्यांगजन भी होते हैं। रोपवे से भवन तक जाने में उनकी राह आसान होगी।

इस तरह बढ़ी रोपवे की बात
वर्ष 2017 में एनजीटी ने एक पीआईएल पर समयबद्ध तरीके से घोड़े व खच्चर हटाने तथा नए रास्ते की जरूरत बताई। अगस्त 2017 में जम्मू-कश्मीर सरकार से एक पुनर्वास योजना बनाने के लिए कहा गया।

2018 में एक स्कीम बनाई गई। इसमें पुनर्वास योजना के तहत 50 हजार रुपये व अन्य सहायता का प्रावधान किया गया।
इसी बीच सुुप्रीम कोर्ट में मामला गया। सुप्रीम कोर्ट ने एक कमेटी का गठन किया। कमेटी ने स्थलीय निरीक्षण के बाद 12 जुलाई 2019 को अपनी सिफारिश दी। कहा, रोपवे सुविधा विकसित करने की जरूरत है। इसके लिए ग्लोबल टेंडर किया जाए और चार साल में निर्माण कार्य पूरे कर लिए जाएं।

रोपवे के लिए राइट्स कंपनी को एडवाइजर बनाया गया। इस पर स्थानीय लोगों ने आपत्ति जताई।
इस आपत्ति के बाद श्राइन बोर्ड के मानद सदस्य अशोक भान की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया गया। इसमें बोर्ड के सदस्य सुरेश कुमार शर्मा, सीईओ अंशुल गर्ग और मंडलायुक्त रमेश कुमार शामिल थे। कमेटी को कहा गया कि सभी हितधारकों से बात करके इस मुद्दे का हल निकालें।

कमेटी ने कई बैठकें की। सुझाव आया कि पुराने मार्ग से रोपवे बनाया जाए। उसी सुझाव पर फिजिबिलिटी रिपोर्ट बनाने को कहा गया। इस रिपोर्ट में कुछ चिंताएं जताई गई। कहा गया कि यहां पर पावर की सप्लाई, इमरजेंसी में बचाव कार्य और तकनीकी उपकरण लाना मुश्किल होगा। इसके बाद ये तय हुआ कि ताराकोट-सांझी छत अलाइनमेंट पर रोपवे बने।

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