चलिए जानते हैं कब से शुरू है चातुर्मास और क्या हैं इसके महत्व…
हिंदू धर्म में शादी-विवाह या अन्य मांगलिक कार्य शुभ मुहूर्त में ही पूरे होते हैं। शुभ मुहूर्त जानने के लिए पंचांग की गणना की जाती है। ऐसा करने के बाद ही पता चलता है कि कौन सा मुहूर्त आपके लिए शुभ रहेगा। अगर आप भी घर में कोई शुभ कार्य करना चाहते हैं तो उसे जल्द से जल्द निपटा लें। ऐसा न करने पर आपको कई महीनों का इंतजार करना पड़ सकता है। इसकी एक बड़ी वजह है चातुर्मास। हिंदू धर्म में चातुर्मास का खास महत्व होता है। इस अवधि में कोई भी मांगलिक कार्य नहीं हो सकते हैं। आइए जानते हैं कब से शुरू है चातुर्मास और क्या हैं इसके महत्व।
29 जून से शुरू है चातुर्मास
बता दें कि 29 जून 2023 से चातुर्मास शुरू हो रहा है। चातुर्मास का अर्थ होता है चार महीने का समय। विष्णु पुराण के अनुसार, सृष्टि के पालनहार भगवान विष्णु विश्राम के लिए क्षीरसागर में चार महीनों के लिए चले जाते हैं। चातुर्मास लगने के कारण शुभ विवाह, गृहप्रवेश, मुंडन संस्कार आदि कई तरह के शुभ कार्य नहीं किए जा सकते हैं। चातुर्मास की शुरुआत आषाढ़ शुक्ल एकादशी तिथि से होती है और कार्तिक शुक्ल एकादशी पर इसका समापन होता है। इस साल अधिकमास के चलते चातुर्मास चार महीनों के बजाय पांच महीनों का होगा।
इस दिन से शुरू होंगे मांगलिक कार्य
ज्योतिष शास्त्रियों के अनुसार इस बार चातुर्मास की शुरुआत 29 जून से हो रही है। मान्यता है कि इन 4 महीनों के दौरान भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं। इसलिए दुनिया में सभी प्रकार के मांगलिक कार्यों पर विराम लग जाता है।दीवाली के बाद जब देवउठनी एकादशी आती है, तब भगवान निद्रा से जागते हैं। इसके साथ ही चातुर्मास खत्म हो जाता है और मांगलिक कार्यों की शुरुआत होती है।
अब सिर्फ 3 शुभ मुहूर्त बाकी हैं
अगर आप नहीं चाहते कि आपके मांगलिक कार्य अटक जाएं तो आप किसी ज्योतिष शास्त्री से संपर्क कर अपने लिए शुभ मुहूर्त निकलवा सकते हैं। पंडितों के मुताबिक चातुर्मास से पहले इस महीने अब 3 शुभ मुहूर्त बाकी हैं। इनमें 23 जून, 24 जून और 26 जून की तारीख को मांगलिक कार्यों के लिए शुभ बताया गया है।