लोहड़ी के मौके पर भांगड़ा और गिद्दा नृत्य क्यों करते है, आइए जानें यहां ..

हर साल मकर संक्रांति से एक दिन पहले लोहड़ी मनाई जाती है। इस साल 14 जनवरी को लोहड़ी है। वहीं, 15 जनवरी को मकर संक्रांति है। लोहड़ी का पर्व पंजाब, हरियाणा और दिल्ली समेत देश के कई राज्यों में हर्षोउल्लास के साथ मनाया जाता है। यह पर्व नवीन अन्न के तैयार होने की ख़ुशी में मनाया जाता है। इस दौरान आग का अलाव लगाया जाता है। इस अलाव में गेंहूं की बालियों को अर्पित किया जाता है। इस मौके पर पंजाबी समुदाय के लोग भांगड़ा और गिद्दा नृत्य कर उत्स्व मनाते हैं। वहीं, महिलाएं अलाव के सामने लोक गीत गाती हैं। इन लोक गीतों के बिना लोहड़ी अधूरी है। आइए, लोहड़ी के प्रमुख लोक गीत के बारे में जानते हैं-

लोहड़ी का लोक गीत

सुंदर मुंदरिये हो, तेरा कौन विचारा हो,

दुल्ला भट्ठी वाला हो, दुल्ले दी धी व्याही हो,

सेर शक्कर पाई हो, कुड़ी दे जेबे पाई हो,

कुड़ी दा लाल पटाका हो, कुड़ी दा सालू पाटा हो,

सालू कौन समेटे हो, चाचे चूरी कुट्टी हो,

जमीदारां लुट्टी हो, जमीदारां सदाए हो,

गिन-गिन पोले लाए हो, इक पोला घट गया,

ज़मींदार वोहटी ले के नस गया, इक पोला होर आया,

ज़मींदार वोहटी ले के दौड़ आया,

सिपाही फेर के लै गया, सिपाही नूं मारी इट्ट, भावें रो ते भावें पिट्ट,

साहनूं दे लोहड़ी, तेरी जीवे जोड़ी

साडे पैरां हेठ रोड़ सानूं छेती छेती तोर

साडे पैरां हेठ दही, असीं मिलना वी नई

साडे पैरां हेठ परात सानूं उत्तों पै गई रात

दे माई लोहड़ी जीवे तेरी जोड़ी।।

बधाई गीत –

‘कंडा कंडा नी लकडियो

कंडा सी

इस कंडे दे नाल कलीरा सी

जुग जीवे नी भाबो तेरा वीरा नी,

पा माई पा,

काले कुत्ते नू वी पा

काला कुत्ता दवे वदाइयाँ,

तेरियां जीवन मझियाँ गाईयाँ,

मझियाँ गाईयाँ दित्ता दुध,

तेरे जीवन सके पुत्त,

सक्के पुत्तां दी वदाई,

वोटी छम छम करदी आई।’

लोहड़ी मांगने का गीत –

‘पा नी माई पाथी तेरा पुत्त चढेगा हाथी हाथी

उत्ते जौं तेरे पुत्त पोत्रे नौ!

नौंवां नौं वां दी कमाई तेरी झोली विच पाई

टेर नी माँ टेर नी

लाल चरखा फेर नी!

बुड्ढी साँस लैंदी है

उत्तों रात पैंदी है

अन्दर बट्टे ना खड्काओ

सान्नू दूरों ना डराओ!

चारक दाने खिल्लां दे

पाथी लैके हिल्लांगे

कोठे उत्ते मोर सान्नू

पाथी देके तोर!

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