आइए जानते है भारत के लिए कितना महत्वपूर्ण है चंद्रयान-3 का यह मिशन..

 चंदा मामा दूर के…चंदा मामा आ जाना…बचपन से ही हम अपनी दादी–नानी से चंदा मामा की ऐसी अनेक कविताएं–कहानियां सुनते आ रहे हैं। तब हम सोच भी नहीं पाते थे कि एक दिन हम चांद पर जा पाएंगे, लेकिन आज हम अपने चंदा मामा की हर एक हलचल को जान सकते हैं। वो हमारे लिए कोई अजनबी सी चीज या दूर की कोई रहस्यमयी चीज नहीं रह गयी है।

प्राचीन काल से ही हम पृथ्वी पर अपने जीवन और उसके बारे में जानने को लेकर जितने जिज्ञासु और उत्सुक रहे हैं, उतने ही पृथ्वी से बाहर के जीवन को लेकर भी। आज हम अन्य ग्रहों की दुनिया या अपने सौरमंडल के बाहर की दुनिया के बारे में बहुत कुछ जानते हैं और बहुत कुछ जानने की प्रक्रिया में है। लेकिन इन सबकी शुरुआत जहां से हुई, जिसके बारे में शायद हम सबसे ज्यादा जानते हैं, वो है हमारा चांद।

बचपन से ही हमने उसकी खूबसूरती के कई किस्से सुने, लेकिन अब हम उस पर जाकर रहने तक की कोशिश में लगे हैं। दुनिया के लगभग सभी विकसित देश इस होड़ में लगे हैं और भारत के प्रयास भी इनसे बहुत पीछे नहीं हैं। हमने दुनिया के सामने खुद को हर बार बेहतर साबित किया है। चाहे वो ज्ञान के क्षेत्र में हो, विज्ञान के क्षेत्र में या फिर तकनीक के क्षेत्र में हो। और अब हम वो प्रयास करने जा रहे हैं, जिसे दुनिया के चंद देश ही कर पाए हैं। अगर हम कामयाब होते हैं, जिसकी हमें पूरी उम्मीद है, तो हम दुनिया भर के देशों में अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में एक मानक के रूप में खुद को स्थापित कर लेंगे।

 

चंद्रयान 3 मिशन का उद्देश्य

चंद्रयान 2 मिशन चंद्रमा के सुदूर हिस्से का पता लगाने के लिए हैअंतरिक्ष यान कई वैज्ञानिक पेलोड ले जा रहा है जो पृथ्वी पर वैज्ञानिकों को चंद्रमा को बेहतर ढंग से समझने में मदद करेंगे। लेकिन मिशन का मुख्य उद्देश्य चंद्रमा पर सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग कराना है। यह अंतरिक्ष यान इंजीनियरिंग, लैंडिंग सिस्टम और खगोलीय पिंडों (celestial bodies) पर गतिशीलता और क्षमताओं में प्रगति में मदद करेगा। अगर इसरो चंद्रयान-3 को लेकर सफल हो जाता है, तो भारत संयुक्त राज्य अमेरिका, तत्कालीन सोवियत संघ और चीन के बाद चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला चौथा देश होगा।

चंद्रयान-3 लॉन्च करने के लिए भारत पूरी तरह तैयार

2019 में, इसरो ने चंद्रयान-2 लॉन्च किया, जिसके सॉफ्ट लैंडिंग प्रयास के दौरान कई चुनौतियां थीं, लेकिन एक बार फिर नई तरह से मिशन चंद्रयान-3 लॉन्च करने के लिए हम पूरी तरह तैयार है। चंद्रयान-3 असल में चंद्रयान-2 का फॉलो-ऑन मिशन है। नए मिशन के साथ, भारत चंद्रमा पर सुरक्षित रूप से उतरने और उसकी सतह का पता लगाने की अपनी क्षमता का प्रदर्शन करेगा। श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र 14 जुलाई, 2023 को दोपहर 2:35 बजे बेहतर डिज़ाइन और असेंबली के साथ चंद्रयान -3 लॉन्च करने वाला है।

मिशन की शुरुआत

वैज्ञानिकों और इंजीनियरों ने जनवरी 2020 में चंद्रयान -3 के डिजाइन और असेंबली पर काम करना शुरू किया था। पिछले मिशन की असफलताओं से सीखने के बाद इसरो ने लैंडर के पैरों में सुधार किया है। COVID-19 महामारी के परिणामस्वरूप, लॉन्च की तारीख को 2021 की शुरुआत की पहली नियोजित लॉन्च तिथि से आगे बढ़ा दिया गया था। 

चंद्रयान-3 के मिशन मॉड्यूल

चंद्रयान-3 अंतरिक्ष यान में तीन मॉड्यूल हैं- लैंडर मॉड्यूल, एक प्रोपल्शन मॉड्यूल और एक रोवर मॉड्यूल। चंद्रयान-3 में चंद्रयान-2 की तरह एक रोवर और लैंडर होगा। हालांकि ऑर्बिटर नहीं है। चंद्रयान-3 को चंद्रमा पर भेजने के लिए LVM-3 लॉन्चर का इस्तेमाल किया जा रहा है। लॉन्चिंग के बाद लॉन्च व्हीकल मार्क-3 रॉकेट (LVM-3) के जरिए सैटेलाइट को लोअर अर्थ ऑर्बिट में छोड़ा जाएगा। इसके बाद चंद्रयान-3 का प्रोपल्शन मॉड्यूल अंतरिक्ष यान को पृथ्वी के चारों ओर एक इंजेक्शन कक्षा से 100 किलोमीटर की चंद्र कक्षा तक ले जाएगा। प्रोपल्शन मॉड्यूल धरती के चारों तरफ अलग-अलग समय पर पांच चक्कर लगाएगा। पांचों चक्कर पूरा करने के बाद चंद्रयान-3 सोलर ऑर्बिट में पहुंच जाएगा। प्रोपल्शन मॉड्यूल द्वारा चंद्रमा के चारों तरफ पांच चक्कर लगाने के बाद चंद्रयान-3 की लैंडिंग होगी।

विक्रम जब चांद पर उतरेगा और चंद्रमा की सतह के तापमान और भूमिगत विशेषताओं का अध्ययन करने के लिए अपने चार वैज्ञानिक पेलोड तैनात करेगा। इसके अलावा, पृथ्वी के प्रकाश उत्सर्जन और प्रतिबिंब को मापने के लिए लैंडर पर SHAPE (स्पेक्ट्रोपोलरिमेट्री ऑफ हैबिटेबल प्लैनेट अर्थ) लगाया गया है।रोवर, ‘प्रज्ञान’ चंद्रमा की सतह पर चलते समय रासायनिक परीक्षणों का उपयोग करके चंद्रमा की सतह का पता लगाएगा।

चंद्रमा तक पहुंचने में लगेगा एक महीना

पृथ्वी से चंद्रमा तक की यात्रा में लगभग एक महीने का समय लगने का अनुमान है। लैंडिंग 23 या 24 अगस्त के बीच होने की उम्मीद है।

आखिर चांद पर क्यों भेजे जाते हैं चंद्र मिशन

चंद्रमा, पृथ्वी और ब्रह्मांड की बेहतर समझ के लिए ये खोज जरूरी है। चंद्रमा की खोज से वैज्ञानिकों को पृथ्वी की उत्पत्ति, पृथ्वी-चंद्रमा प्रणाली के गठन, विकास और पृथ्वी के अतीत और संभावित रूप से इसके भविष्य से जुड़े सारे प्रश्नों का उत्तर देती है। चंद्रमा का निर्माण और विकास जिस तरह से हुआ है उसे समझने से पृथ्वी सहित सौर मंडल के इतिहास को समझने में मदद मिलेगी। चांद सबसे निकटतम खगोलीय पिंड भी है। इस पर अंतरिक्ष खोज का प्रयास किया जा सकता है।

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