प्रत्येक बालक को बनाएं ईश्वर भक्त : डॉ.जगदीश गांधी
लखनऊ : प्रत्येक बालक (अ) पवित्र (ब) दयालु तथा (स) प्रकाशित हृदय तीनों ईश्वरीय गुणों को लेकर इस संसार में पैदा होता है। इस प्रकार प्रत्येक बालक की आत्मा जन्म से ही पवित्र और अकलुषित होती है और शुद्ध, दयालु तथा ईश्वरीय प्रकाश से प्रकाशित होने के कारण बालक जन्म के समय से ही परमात्मा के अनन्त साम्राज्य का मालिक होता है। यदि बाल्यावस्था से बच्चों के संस्कार तथा आचरण में इन गुणों को विकसित करने के स्थान पर धूमिल करने का प्रयास माता-पिता, समाज तथा स्कूल द्वारा किया जायेगा तो यह बालक की आध्यात्मिक मृत्यु के समान है। इसलिए परिवार, समाज तथा स्कूल का वातावरण भौतिक, सामाजिक तथा आध्यात्मिक गुणों के विकास के अनुकूल होना चाहिए।
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