जानें क्या है ड्यूकेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी और इसके लक्षण..
बदलती जीवनशैली और खानपान में लापरवाही की वजह लोग इन दिनों कई समस्याओं का शिकार होते जा रहे हैं। लाइफस्टाइल में लगातार हो रहे बदलावों के चलते आजकल बीपी, डायबिटीज जैसी बीमारियों के मामले तेजी से बढ़ते जा रहे हैं। इसी बीच अब मांसपेशियों के जुड़ी एक गंभीर और दुर्लभ बीमारी ड्यूकेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी (डीएमडी) को लेकर एक अच्छी खबर सामने आई है। हाल ही में सामने आई कुछ रिपोर्ट्स की मानें तो देश के वैज्ञानिक इस गंभीर बीमारी के विशिष्ट इलाज के लिए शोध कर रहे हैं। वर्तमान में इस गंभीर बीमारी का कोई विशिष्ट इलाज नहीं है, लेकिन अब उम्मीद है कि शोध के जरिए वैज्ञानिक जल्द ही इसके सहायक उपचार विधियों को प्रयोग में लाएंगे। इस शोध का मुख्य मकसद देश में ही डीएमडी का सस्ता इलाज विकसित करना है। तो चलिए जानते हैं क्या है ड्यूकेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी और इसके लक्षण-
ड्यूकेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी (डीएमडी) एक जेनेटिक डिसऑर्डर है, जो मांसपेशियों को कमजोर बना देती है। इस बीमारी में शरीर में मौजूद डिस्ट्रोफिन नामक एक प्रोटीन में बदलाव होने लगता है, जिससे यह स्थिति उत्पन्न होती है। यह बीमारी आमतौर पर 2 से 3 साल के बच्चों में ज्यादा देखने को मिलती है। वहीं, महिलाओं के मुकाबले पुरुष इस बीमारी के ज्यादा शिकार होते हैं। लक्षणों की बात करें तो ड्यूकेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के हर व्यक्ति में अलग-अलग लक्षण नजर आते हैं।
मुख्य रूप से मांसपेशियों को प्रभावित करने वाली इस बीमारी के लक्षण बचपन में ही नजर आने लगते हैं। आमतौर पर इस बीमारी से पैर और शरीर का निचला हिस्सा अधिक प्रभावित होता है। इसके अलावा इस बीमारी के पीड़ित व्यक्ति को पेट की साइड होने वाली मसल्स को ज्यादा तकलीफ होती है। ड्यूकेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के अन्य लक्षणों में कुछ निम्न हैं-
- सीढ़ियां चढ़ने में मुश्किल होना
- चलने में परेशानी होना
- बार-बार गिरना
- हृदय-फेफड़ों की समस्या
- उठना तक में कठिनाई होना
- शारीरिक गतिविधि करने में मुश्किल होना
ड्यूकेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी का इलाज
मौजूदा समय में तो इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है। वर्तमान में को नियंत्रित करने के लिए दवाइयों और सर्जरी की मदद ली जाती है। इसके अलावा फिजियोथेरपी और व्यायाम के माध्यम से भी इस बीमारी के गंभीर परिणामों से काफी हद तक बचा जा सकता है। हालांकि, विशेषज्ञों द्वारा इस पर की जाने वाली शोध के यह उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही भारत में इस बीमारी का सस्ता इलाज उपलब्ध होगा।