छात्रों और फैकल्टी को किस तरह सह-नवाचार के लिए किया जाए प्रेरित, जानें..
नये साल में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप देश में तकनीकी उच्च शिक्षा में शोध और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए एआइसीटीई (अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद) अनेक महत्वपूर्ण पहल करेगा, ताकि अमृत काल में देश के युवाओं को आत्मनिभर्रता की राह पर आगे बढ़ाने में मदद मिले …
अमृत काल में देश को विकसित राष्ट्र बनाने की राह पर आगे बढ़ाने के लिए उच्च शिक्षा या तकनीकी शिक्षा में विश्वस्तरीय गुणवत्ता की दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाने की जरूरत है। आने वाले दिनों में इसके लिए हमारी पहली कोशिश यही होगी कि सभी हितधारकों के साथ एक सामंजस्य बैठाकर आगे बढ़ा जाए, उन्हें साथ लेकर चलें, ताकि उच्च शिक्षा को उच्च गुणवत्ता वाले शिक्षण के रूप में पहचान दिलाई जा सके। इसे सीखने, नवाचार, उद्यमिता, अनुसंधान और सामुदायिक जुड़ाव के हब के रूप में एक जीवंत बहु-विषयक केंद्र में बदला जा सकें। हमारी आगे की योजना में यह भी शामिल है कि भारतीय छात्रों को ऐसी ट्रांसफार्मेटिव एजुकेशन उपलब्ध कराई जाए, जिससे वे एक अच्छे लीडर, एक अच्छे इनोवेटर बन सकें और समाज में ज्ञान की एक नई लहर पैदा कर सकें। इसके लिए एक पांच सूत्रीय कार्ययोजना भी तैयार की गई है, ताकि देश को एक प्रतिस्पर्धी, आधुनिक और औद्योगिक भारत की राह पर आगे बढ़ाया जा सके। इस कार्ययोजना में तकनीक से जुड़़ी परिणाम आधारित शिक्षा, जाब क्रिएटर मोड, उद्योग समाधान प्रदाता (आइएसपी), नवाचार, अनुसंधान और स्टार्टअप मोड तथा भारतीय भाषाओं में शिक्षा जैसे कुछ एरिया शामिल हैं, जिन पर आगामी वर्ष में ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
आत्मनिर्भर बनाने पर फोकस :
नई शिक्षा नीति (2020) पर पूरी तरह अमल करने के लिए नये साल में एआइसीटीई का जोर इस बात पर भी होगा कि हम सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अंतरराष्ट्रीय संस्थानों और अनुसंधान केंद्रों के सहयोग से उद्योग आधारित सह-नवाचार का एक ऐसा नेटवर्क स्थापित करें, जिससे बहु-विषयक अनुसंधान क्षेत्रों पर काम किया जा सके, ताकि अद्यतन शोध कार्यों को बढ़ावा मिले। इससे एक फायदा यह होगा कि जब सभी संस्थानों में ज्यादा तादाद में एडवांस रिसर्च होने लगेगा, तो इससे एआइसीटीई बहुत सारे इनोवेशन करने की स्थिति में होगा और नये-नये स्टार्टअप तैयार कर सकेगा, जो आगे चलकर भारत की युवा आबादी को जाब क्रिएटर बनने के लिए एक नई राह प्रशस्त करेगा।
नेटवर्क आफ एक्सीलेंट पर बढ़े फोकस :
उच्च शिक्षा में शोध और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए किये जा रहे प्रयास की जहां तक बात है, तो एआइसीटीई को इसके लिए अभी मध्यस्थता की भूमिका निभाने की बहुत आवश्यकता है। छात्रों और फैकल्टी को किस तरह सह-नवाचार के लिए प्रेरित किया जाए, कैसे उनमें स्टार्टअप के लिए या नौकरी-उन्मुख क्षमताओं के निर्माण के लिए एक इकोसिस्टम बनाया जाए, इस पर ध्यान देने की जरूरत है। क्योंकि उचित इकोसिस्टम के जरिए ही वांछित लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है। लेकिन यह तभी संभव होगा, जब हम उन्हें ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित और पुरस्कृत करेंगे। हमारी आगे यही कोशिश होगी कि ‘टावर्स आफ एक्सीलेंस’ के निर्माण से आगे बढ़कर अब ‘नेटवर्क आफ एक्सीलेंट’ पर फोकस किया जाए और इसमें दूसरे शीर्ष संस्थानों को भी शामिल किया जाए। यही सहयोगात्मक दृष्टिकोण देश के युवाओं और देश को आगे बढ़ाने में मदद करेगा।
भाषाई बाधा दूर करने पर होगा जोर :
नई शिक्षा नीति में क्षेत्रीय भाषाओं में पठन-पाठन की जो व्यवस्था है, उस दिशा में कैसे आगे बढ़ा जाए, भाषाई दिक्कतें कैसे दूर की जाएं, इसे लेकर भी कार्ययोजना बनाई गई है। नये साल में भारत सरकार के दीर्घकालिक लक्ष्यों के अनुरूप ही इस दिशा में काम होगा। इसके अलावा, कई बुनियादी चीजों पर भी नये सिरे से काम करने की जरूरत है, जैसे कि तकनीकी संस्थानों की क्षमता निर्माण और उनका डिजिटल बुनियादी ढांचा सशक्त बनाना, छात्रों को उद्योगों की जरूरतों के अनुरूप तैयार करना, प्लेसमेंट बढ़ाना, इंटर्नशिप बढ़ाना, उच्च शिक्षा संस्थानों के माध्यम से आत्मनिर्भर भारत अभियान को लागू करना, शैक्षणिक कार्यक्रमों में पीएम गति शक्ति को शामिल करना, कौशल, रोजगार और नवाचार में सार्वजनिक और निजी भागीदारी में सुधार करना, विदेशी विश्वविद्यालयों के साथ मिलकर ट्विनिंग कार्यक्रम तथा कोर इंजीनियरिंग क्षेत्रों पर और ज्यादा जोर देने की कोशिशें शामिल हैं। एआइसीटीई नये साल में इन सभी एरिया में सुधार लाने की दिशा में काम करेगा।