गुजरात का ये गांव बना बेस्ट टूरिज्म विलेज, जानें

गुजरात में कच्छ के गांव धोरडो को बेस्ट विलेज के रूप में घोषित किया गया है। इस गांव में 1000 लोगों की आबादी रहती है और ये गांव भारत-पाक सीमा से पहले लगता है।

गुजरात का ये गांव बना बेस्ट टूरिज्म विलेज, भारत-पाकिस्तान सीमा से पहले पड़ता है ये गांव

गुजरात के कच्छ जिले के छोटे से गांव धोरडो को बेस्ट टूरिज्म विलेज घोषित किया है। संयुक्त राष्ट्र के टूरिज्म आर्गनाइजेशन ने दुनिया के 54 गांवों में गुजरात के इस गांव को स्थान दिया है। सफेद नमक की वजह से रेगिस्तान में पड़ने वाला ये गांव सर्दियों के दिनों में और भी ज्यादा सफेद दिखने लगता है। गांव की इस खूबसूरती को दुनियाभर में दिखाया है। यही नहीं, यहां हर साल रण उत्सव भी होता है। चलिए आपको इस गांव के बारे में बताते हैं।

गांव की आबादी है बेहद कम

धोरडो कुछ ही आबादी वाला छोटा सा गांव था, जिसे गुजरात के कुछ ही लोग जानते थे। ये गुमनाम गांव को रण उत्सव के दौरान पहचान मिली। बता दें, ये कच्छ जिले के उत्तरी हिस्से में मौजूद बननी क्षेत्र का आखिरी गांव है। रण उत्स्व के बॉस इस गांव में जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर का भी निर्माण हुआ।

भारत-पाक की सीमा से पहले पड़ता है गांव

धोरडो गांव भारत पाक सीमा पर सफेद रण की शुरुआत होने से पहले पड़ता है। इस गांव में आज भी पुराने गोल घर बने हुए हैं, जो पर्यटकों को बेहद पसंद आते हैं।

गांव के लोगों को जाता है सफलता का श्रेय

बेस्ट विलेज खिताब जीतने का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जाता है। उतना ही श्रेय गांव के गुलबेग मियां को भी जाता है। ये वो ही व्यक्ति हैं, जिन्होंने गांव में रण उत्सव आयोजन का सपना देखा था और उनके बेटे मियां हुसैन ने सीएम नरेंद्र मोदी तक ये बात पहुंचाई थी। उस दौरान मोदी जी इस सुझाव पर अमल किया।

30 साल पहले शुरू किया गया था ये सफर

गुलबेग मियां ने तीन दशक पहले उत्सव के आयोजन को लेकर प्रयास किया था। 90 के दशक में तो यहां छोटे-मोटे उत्सव हुआ करते थे। इस गांव की आबादी आज भी 1000 से कम है, लेकिन रण उत्सव के आयोजन पर यहां टेंट सिटी बनती है, जिसमें पर्यटक रुककर सर्दियों के सीजन का मजा उठाते हैं|

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