बाबा महाकाल के आंगन में हुई 40 दिवसीय फाग उत्सव की शुरुआत

उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में बाबा महाकाल की गुलाल से आरती कर वसंत ऋतु का अभिनंदन कर दिया गया है। अब यह उत्सव 40 दिन चलेगा।

उज्जैन महाकालेश्वर मंदिर में साल में तीन बार गुलाल आरती होती है, यानी आरती में गुलाल उड़ाया जाता है। इसकी शुरुआत बसंत पंचमी पर्व से होती है, जिसमें आरती में गुलाल उड़ाकर वसंत ऋतु का अभिनंदन किया जाता है। इसके बाद होली और रंग पंचमी पर्व पर भगवान और भक्तों के बीच गुलाल उड़ाया जाता है। भक्त और भगवान के बीच गुलाल उड़ाने की इस परंपरा की शुरुआत मंदिर में हो चुकी है। अब यह उत्सव 40 दिन चलेगा।

विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में सुबह चार बजे मंदिर के पट खुलते ही पंडे-पुजारियों ने गर्भगृह में स्थापित भगवान की प्रतिमाओं का पूजन-अर्चन किया। दूध, दही, घी, शक्कर और फलों के रस से बने पंचामृत से बाबा महाकाल का अभिषेक किया गया। प्रथम घंटा बजाकर हरि ओम का जल अर्पित किया गया। कपूर आरती के बाद भांग से बाबा महाकाल का श्रृंगार किया गया। मावा, सूखा मेवा और ड्रायफ्रूट अर्पित करने के बाद ज्योतिर्लिंग को कपड़े से ढांककर भस्म रमाई गई, जिसके बाद फल और मिष्ठान से बाबा महाकाल का भोग लगाया गया।

विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी पंडित महेश शर्मा ने बताया कि पौष माह, माघ शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि पर मंगलवार को बाबा महाकाल सुबह 4 बजे जागे। भगवान वीरभद्र और मानभद्र की आज्ञा लेकर मंदिर के पट खोले गए, जिसके बाद सबसे पहले भगवान को गर्म जल से स्नान करवाकर दूध, दही, शहद, शक्कर, घी आदि पंचामृत से स्नान कराया गया।

पंचामृत पूजन के बाद भगवान महाकाल का पूजन सामग्री से आकर्षक स्वरूप में श्रृंगार किया गया, जिसे देखकर भक्त बाबा महाकाल की भक्ति में लीन हो गए और “जय श्री महाकाल, जय श्री गणेश” का उद्घोष करने लगे। इसके बाद बाबा महाकाल को महानिर्वाणी अखाड़े के द्वारा भस्म रमाई गई और फिर कपूर आरती की गई।

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