आखिर क्यों की गयी थी लता जी को जहर देने की कोशिश, क्या है इसके पीछे का राज़…

मुंबई। स्वर कोकिला लता मंगेशकर 88 साल की हो चुकी हैं। लता जी का जन्म 28 सितंबर, 1929 को मध्य प्रदेश के इंदौर में हुआ था। उनके पिता पंडित दीनानाथ मंगेशकर रंगमंच के कलाकार और गायक थे। लता जी को बचपन से ही गाने का शौक था और म्यूजिक में उनकी दिलचस्पी भी शुरू से ही थी। लता ने 13 साल की उम्र में पहली बार 1942 में आई मराठी फिल्म ‘पहली मंगलागौर’ में गाना गाया। हिंदी फिल्मों में उनकी एंट्री 1947 में फिल्म ‘आपकी सेवा’ से हुई। वो अब तक करीब 30 हजार से ज्यादा गाने गा चुकी हैं।

आखिर क्यों की गयी थी लता जी को जहर देने की कोशिश, क्या है इसके पीछे का राज़...

भारत सरकार ने लताजी को पद्म भूषण (1969) और भारत रत्न (2001) से सम्मानित किया। बॉलीवुड में भी उन्हें ‘राष्ट्रीय पुरस्कार’, ‘दादा साहेब फाल्के पुरस्कार’ और ‘फिल्म फेयर’ जैसे कई अवार्ड्स से नवाजा जा चुका है। साल 2011 में लता जी ने आखिरी बार ‘सतरंगी पैराशूट’ गाना गाया था, उसके बाद से वो अब तक सिंगिग से दूर हैं।

ऐसे किस्से शेयर कर रहा है, जिनसे शायद आप अनजान हों…

किस्सा नंबर-1

1962 में जब लता 32 साल की थी तब उन्हें स्लो प्वॉइजन दिया गया था। लता की बेहद करीबी पद्मा सचदेव ने इसका जिक्र अपनी किताब ‘ऐसा कहां से लाऊं’ में किया है। जिसके बाद राइटर मजरूह सुल्तानपुरी कई दिनों तक उनके घर आकर पहले खुद खाना चखते, फिर लता को खाने देते थे। हालांकि, उन्हें मारने की कोशिश किसने की, इसका खुलासा आज तक नहीं हो पाया।

किस्सा नंबर-2

लता जी के पिता दीनानाथ मंगेशकर मराठी थिएटर का जाना माना नाम थे। गोवा में आम और काजू के बागानों के अलावा उन्होंने 2 लाख रुपए में एक पहाड़ भी खरीदा था। इरादा तो था पुर्तगालियों से पूरा ‘गोवा’ खरीदने का लेकिन वक्त ने करवट बदली और दीनानाथ को नशे की लत लग गई, जिसका असर घर की माली हालत पर भी पड़ा। इसके बाद लता जी को कम उम्र में ही काम करना पड़ा।

किस्सा नंबर-3

लता जी की फेवरेट सिंगर कोई इंडियन नहीं, बल्कि मिस्र की सिंगर ‘उम्म कुलसुम’ हैं।

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किस्सा नंबर-4

मधुबाला मानती थीं कि लता की आवाज उन पर खूब जंचती है, इसलिए वो अपने हर कॉन्ट्रैक्ट में ये शर्त रखती थीं कि उनके लिए लता ही प्लेबैक करें। हालांकि लता का मानना था कि उनकी आवाज सायरा बानो पर ज्यादा अच्छी लगती है।

किस्सा नंबर-5

लता ने करीब 10 फिल्मों में एक्टिंग की है, जिनमें ‘बड़ी मां’ (1945), ‘जीवन यात्रा’ (1946) और ‘मंदिर’ (1948) जैसी फिल्मों के नाम शामिल हैं।
 
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