भूमि अधिग्रहण घोटाला: अफसरों से गठजोड़ कर 19 रसूखदारों ने हड़पे 58.91 करोड़
बरेली-सितारगंज हाईवे के चौड़ीकरण के लिए भूमि अधिग्रहण के दौरान अफसरों और 19 रसूखदारों ने सांठगांठ करके पीलीभीत जिले में 58.91 करोड़ रुपये का घोटाला किया है। मंडलायुक्त की ओर से गठित पांच सदस्यीय जांच समिति की रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है।
जांच समिति के अनुसार परिसंपत्तियों के नियम विरुद्ध सर्वे व मूल्यांकन रिपोर्ट उपलब्ध कराने वाली एसए इंफ्रा स्ट्रक्चर कंसल्टेंट कंपनी, एनएचएआई, राजस्व विभाग, सक्षम प्राधिकारी कार्यालय व लोक निर्माण विभाग के संबंधित कर्मचारी व अधिकारी इसके लिए जिम्मेदार हैं। मंडलायुक्त ने इन पर कार्रवाई के लिए शासन को रिपोर्ट भेज दी है।
जांच में सामने आया है कि बाहर से आए 19 व्यक्तियों व उनके परिजनों ने हाईवे की अधिसूचना जारी होने के तत्काल बाद ही सांठगांठ कर 27 गांव में जमीन खरीदी। इनमें रामपुर, दिल्ली, ऊधमसिंह नगर, लखनऊ, नोएडा, बरेली के खरीदार शामिल हैं। स्थानीय लोगों को नौकरी आदि का प्रलोभन देकर स्थानीय दलालों (रमेश गुप्ता आदि) ने भूखंडों की खरीद-फरोख्त कराई।
योजनाबद्ध ढंग से आए बाहरी खरीदा
जांच में सामने आया है कि बाहर से आए लोग अधिक मुआवजा पाने की मंशा से संगठित होकर योजनाबद्ध तरीके से आए थे। इनमें से कुछ लोगों ने एक से अधिक गांवों या जिलों में जमीन खरीदी। जहां भी एनएचएआई की परियोजना प्रस्तावित थी, वहां जमीन खरीद ली। समिति ने आश्चर्य जताया है कि यदि खरीदारों को हाईवे की जद में आने वाले भूखंडों की जानकारी नहीं थी तो कैसे उन्होंने सटीक जगह पर भूखंड खरीद लिए?
हाईवे के लिए प्रस्तावित गाटों की जानकारी आम लोगों को नहीं होती। ऐसे में आशंका है कि संगठित रूप से योजना बनाकर व्यक्तिगत वित्तीय लाभ के लिए सरकारी धन को क्षति पहुंचाई गई है। बता दें कि बरेली जिले के संबंधित गांव की 10 सितंबर को आई जांच रिपोर्ट में 21.52 करोड़ का घोटाला बताया गया था।
मंडलायुक्त सौम्या अग्रवाल ने बताया कि मंडलीय जांच समिति की प्राप्त जांच रिपोर्ट शासन को भेज दी गई है। जो दिशानिर्देश जारी होंगे, उनका अनुपालन कराया जाएगा।