LAC पर जारी तनातनी के बीच भारतीय सेना ने कहा मौजूदा हालात को देखते हुए…
लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर जारी तनातनी के बीच भारतीय सेना ने कहा है कि मौजूदा हालात के मद्देनजर सैन्य और राजनयिक चैनलों के माध्यम से चीन से बातचीत हो रही है. कमांडरों के बीच चौथे चरण की वार्ता वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारतीय सीमा के अंदर चुशूल में 14 जुलाई को हुई.
भारतीय सेना के मुताबिक पांच जुलाई को दोनों पक्षों के प्रतिनिधियों के बीच बनी सहमति की दिशा में ही चर्चा हुई. उस सहमति में पूरी तरह से पीछे हटने की बात कही गई थी. लिहाजा उसी दिशा में बातचीत आगे बढ़ रही है.
भारतीय सेना ने एक बयान में कहा, ”वरिष्ठ कमांडरों ने पूर्वी लद्दाख में पीछे हटने के पहले चरण के क्रियान्वयन की प्रगति की समीक्षा की. क्षेत्र से सैनिकों का पूरी तरह से हटना सुनिश्चित करने के लिये आगे के तरीकों पर चर्चा की गई.” बयान में कहा गया,‘‘ दोनों पक्ष पूरी तरह से पीछे हटने के उद्देश्य को लेकर प्रतिबद्ध हैं. यह प्रक्रिया ‘‘जटिल’’ है और इसमें लगातार सत्यापन की जरूरत है. वे नियमित कूटनीतिक और सैन्य स्तर की बातचीत के जरिए इसे आगे बढ़ा रहे हैं.’’
भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह ने किया, जो लेह स्थित 14 वीं कोर के कमांडर हैं, जबकि चीनी पक्ष का नेतृत्व मेजर जनरल लियु लिन ने किया, जो दक्षिण शिंजियांग सैन्य क्षेत्र के कमांडर हैं.
फिंगर-4 से हटने से चीन का इनकार
हालांकि इस तरह की भी खबरें आ रही हैं कि चीन की सेना ने पैंगोंग में फिंगर-4 (Finger-4) से पीछे हटने से इनकार कर दिया है. इधर, LAC पर तनाव के बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) कल से लद्दाख के दौरे पर होंगे.
मौजूदा हालात को देखते हुए भारतीय सेना भी पूरी तरह से तैयार है. चीन की हरकतों को ध्यान में रखते हुए भारत ने पूर्वी लद्दाख में 60 हजार सैनिकों की तैनाती कर दी है. भारत ने भीष्म टैंक, अपाचे युद्धक हेलीकॉप्टर, सुखोई फाइटर जेट, शिनूक और ‘रुद्र’ युद्धक हेलीकॉप्टर की तैनाती कर दी है. पूर्वी लद्दाख में भारत ने तोपों की तैनाती बढ़ा दी है.
रक्षा मंत्री का दौरा
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह कल दो दिनों के दौरे पर जम्मू-कश्मीर और लेह-लद्दाख जाएंगे. रक्षामंत्री के साथ सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे भी होंगे. रक्षामंत्री LAC के फॉरवर्ड ब्लॉक पर सेना की तैयारी की समीक्षा करेंगे. 2 हफ्ते के अंदर पहले प्रधानमंत्री मोदी और अब राजनाथ सिंह के लद्दाख दौरे से चीन को बहुत स्पष्ट संदेश दिया जा रहा है.