रावण के इन छह एयरपोर्ट के रहस्य जानकर, आपके मन में मच जाएगी खलबली!!

रावण का वध करने के बाद राम और सीता पुष्पक विमान से अयोध्या वापस लौटे थे। यह विमान रावण का सौतेले भाई कुबेर का था। जिसे रावण ने बल पूर्वक छिना लिया था। इसे रावण के एयरपोर्ट हैंगर से उड़ाया जाता था। रावण के बाद भगवान राम ने उसके छोटे भाई विभीषण को लंका का राजा बना दिया था।

रावण के पास के पास पुष्पक विमान के अलावा भी कई तरह के एयरक्राफ्ट थे।

इन विमानों का इस्तेमाल लंका के अलग-अलग हिस्सों में जाने के अलावा राज्य के बाहर भी जाता था।

इस बात की पुष्टि वाल्मिकी रामायण का यह श्लोक भी करता है।

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लंका जीतने के बाद राम ने पुष्पक विमान में उड़ते हुए लक्ष्मण से यह बात कही थी कई विमानों के साथ, धरती पर लंका चमक रही है।

यदि यह विष्णु की का वैकुंठधाम होता तो यह पूरी तरह से सफेद बादलों से घिरा होता।

रावण की लंका में थे छह एयरपोर्ट

वेरागन्टोटा वेरागन्टोटा एक सिंहली भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ होता है एयरक्राफ्ट की लैंडिंग कराने वाली जगह।

थोटूपोला कांडा (होटोन प्लेन्स)

थोटूपोला का अर्थ पोर्ट से है। ऐसी स्थान, जहां से कोई भी व्यक्ति अपनी यात्रा शुरू करता हो। कांडा का मतलब है पहाड़। थोटूपोला कांडा समुद्र तल से 6 हजार फीट की ऊंचाई पर एक समतल जमीन थी। माना जाता है कि यहां से सिर्फ ट्रांसपोर्ट जहाज ही हवा में उड़ाए जाते थे।

दंडू मोनरा विमान

यह विमान रावण द्वारा इस्तेमाल में लाया जाता था। स्थानीय सिंहली भाषा में मोनारा का अर्थ मोर से है। दंडू मोनारा का अर्थ मोर जैसा उड़ने वाला।

वारियापोला (मेतेले)

वारियापोला के कई शब्दों में तोड़ने पर वथा-रि-या-पोला बनता है। इसका अर्थ है, ऐसा स्थान जहां से एयरक्राफ्ट को टेकऑफ और लैंडिंग दोनों की सुविधा हो। वर्तमान में यहां मेतेले राजपक्षा इंटरनेशनल एयरपोर्ट मौजूद हैं।

गुरुलुपोथा (महीयानगाना)-

सिंहली भाषा के इस शब्द को पक्षियों के हिस्से कहा जाता है। इस एयरपोर्ट एयरक्राफ्ट हैंगर या फिर रिपेयर सेंटर हुआ करता था।

दंडू मोनारा विमान

यह विमान रावण द्वारा इस्तेमाल में लाया जाता था। स्थानीय सिंहली भाषा में मोनारा का अर्थ मोर से है। दंडू मोनारा का अर्थ मोर जैसा उड़ने वाला।

पौराणिक दस्तावेजों में मिलती

इस शास्त्र से संबंधित कहानियां रामायण और कई पौराणिक दस्तावेजों में मिलती हैं, लेकिन महर्षि भारद्वाज लिखी गई वैमानिकी शास्त्र सबसे ज्यादा प्रमाणिक किताब मानी जाती है। यह पूरी किताब निबंध के तौर पर लिखी गई। इसमें रामायण काल के दौर के करीब 120 विमानों का उल्लेख किया गया। साथ ही इन्हें अलग-अलग समय और जमीन से उड़ाने के बारे में भी बताया गया। इसके अलावा इसमें इस्तेमाल होने वाले फ्यूल, एयरोनॉटिक्स, हवाई जहाज, धातु-विज्ञान, परिचालन का भी जिक्र किया गया।

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