जानिए क्यों प्रेगनेंसी के बाद महिला के शरीर में होते हैं ये बदलाव

गर्भावस्था के दौरान हार्मोंस बदलने के कारण समस्याएं होना आम बात है, लेकिन कुछ ऐसी बीमारियां होना जिससे स्‍वास्‍थ्‍य अधिक बिगड़ जाएं तो ये बीमारियां गर्भावस्था को खतरे में डाल सकती हैं। आपके लिए यह जानना भी बेहद जरूरी है कि आखिर ऐसी कौन-कौन सी बीमारियां हैं जिनका गर्भावस्था के दौरान होने की संभावना रहती है। जैसे गर्भावस्था के दौरान बच्चे का मूवमेंट कम होना, हाथ-पैरों में सूजन, कोई इंफैक्शन व एनीमिया आदि। आइये गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को होने वाली इन और इन्हीं जैसी अन्य समस्याओं पर विस्तार से बात करते हैं।जानिए क्यों प्रेगनेंसी के बाद महिला के शरीर में होते हैं ये बदलाव

बच्चे का कम घुमाव और मूवमेंट

गर्भावस्था के दौरान यदि बच्चे का मूवमेंट कम होता हैं तो यह खतरे वाली बात हो सकती है। ऐसा कहा जाता है कि बच्चे का कम से कम आठ-दस बार मूवमेंट जरूर होना चाहिए।कई बार किन्हीं कारणों, लापरवाही या किसी गंभीर बीमारी या अधिक एक्सरसाइज इत्यादि कारणों से गर्भावस्था में गर्भपात का खतरा बढ़ जाता हैं। अपना खास खयाल रखें और किसी भी भारी काम करने से बचें।

हाथ-पैरों में सूजन

तीसरे चौथे महीने तक पहुंचते-पहुंचते गर्भवती महिलाओं को हाथ-पैरों में सूजन की समस्या बढ़ जाती हैं, जो कि कई बार स्वाभाविक होता है और कई बार किसी कमी के कारण होता है। इसलिए इस बदलाव को भी हल्के में न लें और सूजन ज्यादा होने पर डॉक्टरी सहायता लें।गर्भावस्था में करवट लेने में अकसर समस्याएं आती हैं, जिससे कमर दर्द की शिकायत बढ़ जाती है। आमतौर पर वजन बढ़ने से भी ये समस्या हो जाती हैं।

अनिंद्रा की शिकायत

गर्भावस्था में होने वाले तनाव या फिर समस्याओं से महिला को नींद न आने की समस्या होने लगती हैं जिससे अनिंद्रा की शिकायत होने लगती हैं।आमतौर पर अधिक उल्टियां आने का अर्थ है, गर्भवती महिला का इलेक्ट्रोलाइट इम्बैलेंस हो गया हैं। ऐसे में उबकाइयां आना, घबराहट होना, खाने में अरुचि तथा उल्टियां होना इत्यादि होने लगता हैं।

स्तनों का भारी होना व दर्द होना

जैसे-जैसे गर्भावस्था के हफ्ते और महीने बढ़ते जाते हैं वैसे-वैसे महिला का वजन बढ़ता जाता है जिससे स्तन भारी होने लगते हैं व उनमें दर्द की शिकायत भी होने लगती हैं। लिक्विड डिस्चार्ज का होना योनि मार्ग में होने वाले इंफेक्शन का संकेत हो सकता है।ऐसा होने पर अपने डॉक्टर को इसकी जानकारी अवश्य दें। कई बार गर्भावस्था में ठीक से खान-पान न करने के कारण कब्ज की शिकयत रहने लगती है जो कि महिला और होने वाले बच्चे दोनों के लिए हानिकारक हैं।

एनीमिया

फॉलिक एसिड और आयरन की कमी से गर्भावस्था के दौरान एनीमिया हो जाता है जिससे प्लेतसेंटा को ठीक से ऑक्सीजन नहीं मिल पाता और गर्भवती महिलाओं को थ्रोम्बो सिस और अधिक ब्लीडिंग हो जाती हैं। सांस लेने में तकलीफ होना- जब बच्चा धीरे-धीरे शरीर के भीतर मूवमेंट करता है और बढ़ता रहता है तो महिला के फेफड़ों पर दबाव पड़ता है जिससे कई बार सांस लेने में तकलीफ होने लगती हैं या फिर घुटन की शिकायत होने लगती हैं।

गर्भावस्था में तमाम बीमारियों, समस्याओं और संक्रमण से बचाव के लिए सावधानी बरतना बेहद जरूरी है। ऐसे में इस बात का खास ख्याल रखना चाहिए कि उन लोगों से मेल-जोल न रखा जाए जिन्हें कोई संक्रमण या संक्रमित बीमारी है और अपने खानपान, जीवनशैली पर खासतौर से ध्यान रहें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button