जानिए मकर संक्रांति का विशेष महत्व और इस दिन स्नान दान के साथ सूर्य देव की पूजा करने का विधान..
मकर संक्रांति का पर्व हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। इस दिन स्नान दान के साथ सूर्य देव की पूजा करने का विधान है। इस दिन से ही मांगलिक कार्य होना शुरू हो जाते हैं। जानिए मकर संक्रांति का मुहूर्त पूजा विधि।
मकर संक्रांति का पर्व देशभर में विभिन्न तरीके से मनाया जाता है। साल का पहला पर्व के रूप में मकर संक्रांति होती है। जब सूर्य धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं, तो मकर संक्रांति होती है। इसके साथ ही खरमास समाप्त हो जाते हैं और शादी-विवाह, मुंडन, छेदन जैसे मांगलिक और शुभ काम होना शुरू हो जाते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मकर संक्रांति के दिन स्नान के साथ दान करना काफी शुभ माना जाता है। इस दिन ऐसा करने से पापों से मुक्ति मिलने के साथ पुण्य की प्राप्ति होती है। जानिए मकर संक्रांति का शुभ मुहूर्त, पुण्य काल सहित सबकुछ।
कब है मकर संक्रांति 2023?
पंचांग के अनुसार, सूर्य देव 14 जनवरी 2023 की रात 8 बजकर 21 मिनट पर मकर राशि में प्रवेश करेंगे। ऐसे में उदया तिथि के कारण 15 जनवरी को मकर संक्रांति मनाई जाएगी।
मकर संक्रांति 2023 शुभ मुहूर्त
पुण्य काल – 15 जनवरी 2023 को सुबह 7 बजकर 17 मिनट से शाम 5 बजकर 55 मिनट तक
महा पुण्य काल – 15 जनवरी 2023: सुबह 7 बजकर 17 मिनट से सुबह 9 बजकर 04 मिनट तक
सुकर्मा योग- 14 जनवरी दोपहर 12 बजकर 33 मिनट से 11 बजकर 51 मिनट तक
धृति योग- 11 बजकर 51 मिनट से 16 जनवरी सुबह 10 बजकर 31 मिनट तक
मकर संक्रांति 2023 पूजा विधि
मकर संक्रांति के दिन स्नान दान का विशेष महत्व है। इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान आदि करके साथ-सुथरे वस्त्र धारण कर लें। अगर आप गंगा स्नान कर लें, तो आप भी बेहतर है। लेकिन किसी कारणवश गंगा स्नान के लिए नहीं जा पा रहे हैं, तो घर में ही नहाने के पानी में थोड़ा सा गंगाजल डाल लें।
स्नान करने के बाद भगवान सूर्यदेव की विधिवत पूजा करनी चाहिए। इसके लिए एक तांबे के लोटे में जल, थोड़ा तिल, सिंदूर, अक्षत और लाल रंग का फूल डालकर अर्घ्य दें। इसके साथ ही भोग लगाएं। पूजा पाठ करने के बाद अपनी योग्यता के अनुसार दान करें।
मकर संक्रांति पर करें इन चीजों का दान
मकर संक्रांति के दिन मुहूर्त पर अन्न, तिल, गुड़, वस्त्र, कंबल, चावल, उड़द की दान, मुरमुरे के लड्डू आदि का दान करें। ऐसा करने से सूर्य के साथ-साथ शनिदेव भी प्रसन्न होंगे।