किम जोंग उन का बड़ा फरमान, नियम तोड़ने वालों को सरेआम मार दी जाएंगी गोली

उत्तर कोरिया के तानाशाह शासक किंग जोंग उन अपनी क्रूरता और सनक के लिए दुनियाभर में मशहूर हैं। एक बार फिर उनकी क्रूरता की चर्चा दुनियाभर में हो रही है। इस बार मामला कोरोना वायरस से जुड़ा हुआ है। दरअसल, कोरोना का नियम तोड़ने पर किम ने आरोपी को सरेआम गोलियों से भुनवा दिया।

कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए उत्तर कोरिया में कड़ा प्रतिबंध लागू है। नियम का पालन नहीं करने वाले लोगों को कड़ी सजा भी दी जा रही है। इसमें मौत की सजा भी शामिल है। हालांकि, उत्तर कोरिया में मौत की सजा देने को आम माना जाता है।
गोलियां से भुनवाने का तुगलकी फरमान
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उत्तर कोरिया में हाल ही में एक व्यक्ति को सिर्फ इसलिए जान गंवानी पड़ी, क्योंकि उसने कोविड-19 को लेकर लगाए गए प्रतिबंधों का उल्लंघन किया था। सनकी किम इस उल्लंघन से इस कदर नाराज हो गए कि उन्होंने आरोपी व्यक्ति को मौत की सजा का तुगलकी फरमान जारी कर दिया।

लोगों के बीच बना रहे डर इसलिए गोली मारी गई
रेडियो फ्री एशिया के हवाले से अंग्रेजी अखबार डेली मेल ने लिखा कि कोरोना नियमों को लेकर लोगों के बीच डर पैदा करने के लिए किम के आदेश पर 28 नवंबर को उत्तर कोरिया की सेना ने एक व्यक्ति को सार्वजनिक रूप से गोलियों से भून दिया।

आरोपी व्यक्ति को लेकर बताया गया कि उस पर आरोप है कि उसने प्रतिबंधों को तोड़ते हुए उत्तर कोरिया में चीनी सामानों की तस्करी की। ऐसा करते हुए उसे स्थानीय सुरक्षा बलों ने गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद फायरिंग स्कॉड ने उसे सरेआम गोली मार दी। बता दें कि कोरोना के मद्देनजर उत्तर कोरिया ने अपनी सीमा को मार्च महीने से ही आधिकारिक रूप से बंद करके रखा हुआ है।

एंटी एयरक्राफ्ट बंदूकें सीमा पर तैनात
वहीं, कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि किम जोंग उन ने नागरिकों में खौफ पैदा करने के लिए चीन से सटी अपनी सीमा पर एंटी एयरक्राफ्ट बंदूकों को तैनात किया हुआ है। इन हथियारों को सीमा पर तैनात करते हुए आदेश दिया गया है कि एक किमी दायरे में किसी भी व्यक्ति को देखते ही गोली मार दिया जाए।

उत्तर कोरिया ने कहा- अभी नहीं मिला कोरोना का एक भी मामला
उत्तर कोरिया ने आधिकारिक रूप से दावा किया है कि उसके देश में कोरोना वायरस का एक भी मामला रिपोर्ट नहीं किया गया है। लेकिन दुनियाभर के देशों को उसके इस दावे पर शक है। विशेषज्ञों का कहना है कि उत्तर कोरिया में कड़े सेंसरशिप लागू हैं, इसलिए सूचनाओं का बाहर निकलना बेहद मुश्किल है। ऐसे में सरकारी दावे की पुष्टि नहीं की जा सकती है।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button