तीखे तेवर और बड़ा सवाल, क्या वाकई आईआईटी ग्रेजुएट हैं केजरीवाल: कैप्टन

मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने दिल्ली में प्रदूषण के लिए पंजाब को जिम्मदार ठहराने के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के दावे को हास्यास्पद बताया है। उन्होंने कहा कि सियासी नौटंकी और उटपटांग बातें करने से पहले केजरीवाल आंकड़े खंगालें। कैप्टन ने कहा कि वह लोकसभा चुनाव में देखेंगे कि पंजाब केजरीवाल और आप के बारे में क्या सोचता है।तीखे तेवर और बड़ा सवाल, क्या वाकई आईआईटी ग्रेजुएट हैं केजरीवाल: कैप्टन

केजरीवाल विधानसभा चुनाव से भी बुरे हश्र के लिए तैयार रहें। कैप्टन ने कहा कि दिल्ली के सीएम ने हर मोर्चे पर नाकामी से लोगों का ध्यान हटाने को यह चाल चली है। पराली जलाने की सैटेलाइट की तस्वीरों के जरिये पंजाब को प्रदूषण का प्रमुख कारण बताने पर कैप्टन ने कहा कि केजरीवाल से ज्यादा तो स्कूली बच्चों को पता होगा। क्या केजरीवाल वाकई आईआईटी ग्रेजुएट हैं?

दिल्ली में हर साल दिसंबर और जनवरी के दौरान हवा की गुणवत्ता का मापदंड 300 से ज्यादा रहता है। जबकि, तब पड़ोसी राज्यों में पराली नहीं जलाई जाती। इससे साफ है कि दिल्ली में अपने साधनों के कारण ही प्रदूषण बढ़ता है। जिसके लिए वाहन, निर्माण गतिविधियां, इंडस्ट्री, बिजली प्लांट, म्यूनिसिपल अवशेष जलाना कारण बनते हैं।

केजरीवाल सरकार दिल्ली में प्रदूषण की समस्या सुलझाने में नाकाम रही है

उन्होंने कहा कि मौसम विभाग के वेदर रिसर्च एंड फोरकास्टिंग मॉडल की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली एनसीआर की हवाएं उत्तर दक्षिण से पूर्व की तरफ बदल चुकी हैं। इस कारण पंजाब, हरियाणा में पराली जलने का शायद ही कोई प्रभाव पड़ता हो। दो नवंबर को दिल्ली में 208 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर पीएम 2.5 घनत्व था। इनका मुख्य कारण वाहन और इंडस्ट्री है।

पराली जलाने के कारण पीएम 2.5 घनत्व में बढ़ोतरी पीएम 10 के मुकाबले कम है। इस कारण पीएम 2.5 की बढ़ोतरी में पराली जलाने की देन कम है। तापमान घटने और हवा के वेग के कारण वातावरण में प्रदूषित कण बिखर नहीं पाते, जो उत्तर भारत में ज्यादातर स्थानों पर एक्यूआई में बढ़ोतरी का कारण बनता है। एनसीआर में एक्यूआई 400 तक पहुंच जाता है।

कैप्टन ने कहा कि अगर वायु प्रदूषण का कारण पराली जलाना है तो सबसे पहले पंजाब के शहरों के एक्यूआई पर इसका असर पड़ता। अक्तूबर के दौरान पंजाब का औसत एक्यूआई 117 था, जबकि दिल्ली का औसत 270 रहा। उन्होंने कहा कि तीन नवंबर तक पराली जलाने के 25 हजार 394 मामले आए, जो पिछले साल 30 हजार 832 से कम हैं।

प्रति लाख एकड़ में पराली जलाने की 390 घटनाएं हैं, जो मामूली हैं। पंजाब में 12700 गांव हैं, प्रति गांव पराली जलाने के दो से भी कम केस आए हैं। इससे साफ है कि केजरीवाल सरकार दिल्ली में प्रदूषण की समस्या हल करने में पूरी तरह नाकाम रही है।

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