इस वजह से कभी रीमेक फिल्में नहीं करेंगे Kartik Aaryan
ज्यादातर रोमांटिक किरदारों में नजर आए कार्तिक आर्यन (Kartik Aaryan) पहली बार किसी बायोपिक फिल्म का हिस्सा बने हैं। यह फिल्म ‘चंदू चैंपियन’ (Chandu Champion) साल 1972 में पैरालंपिक में तैराकी में स्वर्ण पदक जीतने वाले प्रथम भारतीय मुरलीकांत पेटकर की जिंदगी पर आधारित है।
इसके बाद नवंबर में दीवाली पर उनकी फिल्म ‘भूल भुलैया 3’ (Bhool Bhulaiyaa 3) प्रदर्शित होगी। फिल्म, इसकी तैयारियों और आगामी फिल्म को लेकर कार्तिक आर्यन स्मिता श्रीवास्तव की बातचीत के अंश…
आपने इस फिल्म का पहला ट्रेलर अपने शहर ग्वालियर में लांच किया था। जड़ों से जुड़े रहना
कितना जरूरी मानते हैं?
यह मेरे लिए बहुत गौरवान्वित करने वाली फिल्म है। मुझे लगा कि जहां से एक्टिंग करने का सपना देखा था, उसी शहर में इसका पहला ट्रेलर लांच करना चाहिए। फिर सबको यह आइडिया भी पसंद आया। लोगों की प्रतिक्रिया भी काफी अच्छी मिली। मुझे लगता है कि अपनी जड़ों से जुड़े रहना बहुत जरूरी होता है क्योंकि वहीं से मैंने सब कुछ सीखा है। वहां से मिले अनुभव कहीं न कहीं मेरी एक्टिंग में भी काम आते हैं। अगर उन्हें ही भूल जाऊंगा तो मुझे नहीं लगता कि कभी एक्टर भी बन पाऊंगा।
बायोपिक फिल्म करने की तमन्ना कब से थी?
मैंने ऐसे नहीं सोचा था कि मैं किसकी बायोपिक करूंगा या मुझे किसकी बायोपिक मिलेगी। पर हां यह विचार था जब भी किसी की बायोपिक करूं तो अपना 200 प्रतिशत दूं, क्योंकि मुझे लगता है कि यह काफी मुश्किल जॉनर है। ‘चंदू चैंपियन’ जैसी बायोपिक करना और कठिन है क्योंकि इसमें सिर्फ एक नहीं बल्कि अलग-अलग खेल हैं।
इसमें उनके जीवन के अलग-अलग पहलू हैं, यानी जब उन्होंने सपने देखने शुरू किए थे, तब से लेकर उन्हें हासिल करने तक का सफर है। इसके लिए अलग तरह का समर्पण चाहिए था। मैं खुद को सौभाग्यशाली मानता हूं कि मुझे इस तरह की बायोपिक मिली, जो वर्तमान कहानियों से बिल्कुल अलग है। उनके जीवन का हर पहलू ऐतिहासिक है। उससे इनकार नहीं किया जा सकता है।
तो फिल्म में कितने खेलों को खेला है?
उन्होंने अपने जीवन में जितनी उपलब्धियां हासिल कीं और खेल खेले हैं, मुझे लगता है कि अगर सारे दिखाते तो इस पर सीरीज बन सकती थी। फिल्म की एक समयसीमा होती है तो कबीर सर (फिल्म के निर्देशक कबीर खान) ने उनकी जिंदगी के सबसे अहम पलों को लिया है। उन्हीं प्रसंगों के आस-पास पूरी कहानी को पिरोया है। मेरे लिए तीन खेल कुश्ती, तैराकी और बाक्सिंग सीखना आसान नहीं था।
वह अलग अनुभव रहा। पात्र में ढलने के लिए मुझे अपना उच्चारण भी बदलना पड़ा। उसमें मराठी भाषा का पुट लाना जरूरी था। जब हमने फिल्म शुरू की थी तो पता था कि इसे बनाने में दो साल लगेंगे। फिल्म की शुरुआत से लेकर शूटिंग खत्म होने तक ट्रेनिंग जारी रही।
दर्शक ‘सुल्तान’ में सलमान खान और ‘दंगल’ में आमिर खान को कुश्ती करते देख चुके हैं। किसी तरह की तुलना का विचार नहीं आया ?
यह फिल्म ‘सुल्तान’ और ‘दंगल’ से बिल्कुल अलग है। मैंने बताया ना कि यह खेल आधारित फिल्म नहीं बल्कि जज्बे की कहानी है। यहां चीजों को मैंने अपने तरीके से अप्रोच किया है और कबीर सर ने बहुत मदद की।
पैरालंपिक खिलाड़ी की किन मुश्किलों को समझ पाए?
मैं बस इतना ही बोल पाऊंगा कि यह आप फिल्म में ही देखें। उसमें अभी नहीं जा रहा हूं। मैं इंतजार कर रहा हूं कि आप उसे देखें, तब हम इस बारे में बात करेंगे।
‘चंदू चैंपियन’ से आपकी जिंदगी में क्या बदलाव आया?
जिस तरह की यह फिल्म है, ट्रेनिंग से लेकर शारीरिक, मानसिक स्तर पर इसने मुझे बदला है। पहले जिम में मेरी दिलचस्पी नहीं थी। मैं बहुत ज्यादा नहीं करता था। पहले मैं बहुत कम सोता था। ‘चंदू चैंपियन’ के आते-आते इसे बदलना पड़ा। मैं काफी वर्कआउट कर रहा था, कई नई चीजें सीख रहा था तो शरीर को उतना आराम भी चाहिए था। अब आठ घंटे नींद चाहिए ही चाहिए। यह छोटी-छोटी चीजें हैं, लेकिन इन चीजों ने मेरी जीवनशैली को ही बदल दिया। मुझे हेल्दी लाइफ जीने का रास्ता सिखा दिया है।
‘भूल भुलैया 3’ की कहानी वहीं से आगे बढ़ेगी?
अभी इसके बारे में बात करने की अनुमति नहीं है। पर हां, इसमें काफी कुछ नया देखने को मिलेगा। मैं फिल्म को लेकर बहुत उत्साहित हूं। इस बार विद्या बालन मैम भी जुड़ी हैं। मुझे शूट करने में बहुत मजा आ रहा है। हमारी शूटिंग लगभग पूरी हो गई है।
फिल्म ‘शहजादा’ से आप निर्माता बने मगर फिल्म बॉक्स ऑफिस पर खास प्रदर्शन नहीं कर पाई। उसके क्या अनुभव रहे?
सफलता और विफलता दोनों से ही आप सीखते हैं। मैंने भी काफी कुछ सीखा। मुझे लगता है कि वो रीमेक फिल्म थी इसलिए नहीं चली। फिल्म प्रदर्शित होने के दौरान महसूस नहीं हुआ कि लोग ओटीटी पर भी डब फिल्में देख रहे थे। जब हम फिल्म बना रहे थे, तब ही काफी लोगों ने उसे देख लिया था। अब मैं रीमेक फिल्में नहीं करूंगा। मुझे मौलिक फिल्में करने में मजा आता है। वो चाहे ‘प्यार का पंचनामा’ हो या ‘सोनू के टीटू की स्वीटी’ या लुका छुपी’। ‘भूल भुलैया 2’ की कहानी मौलिक है, जिसका साउथ में रीमेक हो रहा है।