कानपुर: जमीन के तीन किमी ऊपर बनी छतरी…कैसे बरसें बादल

पूरे प्रदेश के साथ ही महानगर में मानसून का आगमन हुए एक सप्ताह हो गया है। इन सात दिनों में मात्र तीन दिन बारिश हुई है। दो दिन कानपुर शहर के कुछ हिस्सों में और एक दिन पूरे शहर में बारिश हुई है। अभी तक कुल 125 मिमी बारिश हो चुकी है। पिछले तीन दिनों से रोजाना घने बादल हो रहे हैं, लेकिन बारिश नहीं हो पा रही है।

मौसम विभाग इसकी वजह वायुमंडल में बने (गर्म छतरी) हीट अंब्रेला को बता रहा है। यह अंब्रेला बादलों को बरसने से रोक रहा है। मौसम विभाग के अनुसार, जमीन से करीब तीन किलोमीटर ऊपर कार्बन डाई ऑक्साइड की परत जमा होने से हीट अंब्रेला बना है। मार्च से लेकर जून तक पड़ी भीषण गर्मी से जमीन की गर्मी इस परत के कारण अभी वायुमंडल से रिलीज नहीं हुई है।

यह गर्मी जमीन से तीन किमी ऊपर ही रुक गई है। ऐसे में इस परत के ऊपर के बादलों को गर्मी नहीं मिल सकी है। इसके कारण बादलों की वाष्प अभी तक बूंदों में बदल ही नहीं सकी है। इस कारण बारिश रुक गई है। मौसम विशेषज्ञ डॉ. एसएन पांडेय का कहना है कि यह स्थिति उत्तर प्रदेश के अधिकांश क्षेत्रों में बनी हुई है। वातावरण में अधिक कार्बन डाई ऑक्साइड जमा होने से मानसून की वजह से नीचे आई टर्फ लाइन भी ऊपर खिसक गई है।

दिन और रात में बादल होने से हवा में नमी बढ़ी
इस समय घने बादलों की स्थिति छह जुलाई तक रहने की संभावना है। मौसम विभाग के अनुसार इस बीच तेज बारिश की संभावना नहीं दिख रही है। इस बीच बुधवार को दिन और रात में बादल होने से हवा में नमी की मात्रा दिन में 81 और रात में 86 प्रतिशत रिकॉर्ड की गई। इसी तरह अधिकतम तापमान 32.2 और न्यूनतम 29.5 डिग्री सेल्सियस रहा।
वातावरण में इस तरह की गतिविधियां धीरे-धीरे बढ़ने की एकमात्र वजह ग्रीनहाउस गैस का वातावरण में बढ़ते जाना है। इस बार मार्च से लेकर जून तक भीषण गर्मी की वजह से यह दिक्कत ज्यादा आ रही है। पिछले तीन महीनों की गर्मी से वातावरण में पहुंची ऊष्मा का असर अब धीरे-धीरे सामने आ रहा है। -डॉ. एसएन पांडेय, मौसम विशेषज्ञ

ऐसे समझें बारिश को
वाष्पीकरण
जमीन का पानी गर्म होता है तो वह भाप बनकर या गैस बनकर हवा में ऊपर उठता है। जब ऐसी भाप बहुत ज्यादा मात्रा में ऊपर जमा हो जाती है तो वह बादलों का रूप ले लेती है। इसे वाष्पीकरण कहा जाता है।

संघनन
बादल बनने के बाद जब ठंडे होने लगते हैं तो गैसीय भाप पानी में बदलने लगती है। जब बादल ज्यादा ठंडे हो जाते हैं तो यही गैसीय भाप बर्फ में बदल जाती है। वाष्प के इसी सघन होने की प्रक्रिया को संघनन कहते हैं। इसके बाद बादलों में पहले तरल बूंदें जमा होती हैं और ये बूंदें बड़ी बूंदों में बदलती हैं। जब इन बूंदों का वजन ज्यादा हो जाता है तो बारिश होती है।

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