कानपुर: तीन डिग्री गिरा पारा…ठंड से कांपे शहरी
शहर में हवा की रफ्तार बढ़ते ही तापमान तीन डिग्री गिर गया है। 12 बजे तक 2.9 किमी, जबकि एक बजे के बाद 4.5 किमी की रफ्तार से बर्फीली हवाएं चलीं। इसकी वजह से धूप का असर ही नहीं हुआ।
कानपुर पिछले चार दिनों से पड़ रही कड़ाके की ठंड अभी रुकने का नाम नहीं ले रही है। मंगलवार को दिन में धूप जरूर निकली, लेकिन गलन के आगे उसकी एक न चली। जैसे-जैसे दिन ढलता गया, बर्फीली हवाओं की वजह से गलन बढ़ती गई। दोपहर ढाई बजे से शाम के पांच बजे के बीच तीन डिग्री से ज्यादा तापमान गिरा।
मौसम विभाग के अनुसार अभी तीन दिन मौसम ऐसा ही रहेगा। रात में शीतलहर के साथ सुबह-शाम कोहरे का असर रहेगा। दिन में धुंध और बर्फीली हवाओं की वजह से कड़ाके की ठंडक बनी रहेगी। दोपहर 12 बजे तक हवा की रफ्तार 2.9 किमी प्रति घंटा रही। हालांकि करीब एक बजे हवा की रफ्तार 4.5 किमी प्रतिघंटा हो गई।
बर्फीली हवाओं के तेज होने से ठंडक बढ़ती गई। मंगलवार को अधिकतम तापमान 14.4 व न्यूनतम 6.0 डिग्री सेल्सियस रहा। सीएसए के मौसम विभाग प्रमुख डॉ. एसएन पांडेय के अनुसार सुबह आठ बजे पारा 6.5 डिग्री था, जो रात को आठ बजे 10.30 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया। दोनों तापमान में मात्र चार डिग्री सेल्सियस का अंतर रह गया। डॉ. पांडेय के अनुसार सुबह और शाम के तापमान में सिर्फ चार डिग्री तापमान का अंतर कोल्ड डे होता है।
तीन दिन बाद मौसम में बदलाव संभव
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार दक्षिण बांग्लादेश और आसपास के क्षेत्रों के ऊपर चक्रवाती हवाएं समुद्र तल से करीब 1.5 किमी ऊपर बनी हुई हैं। जो दक्षिण-पश्चिमी बंगाल की खाड़ी और श्रीलंका तक प्रभाव डाल रही हैं। संभावना है कि अगले दो-तीन दिनों के बीच यह हिमालय क्षेत्रों को प्रभावित कर सकती है। उस समय मौसम में थोड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। इस बीच हवा में अधिकतम नमी 94 और न्यूनतम 73 प्रतिशत रही।
सुबह से दोपहर तक तापमान
आठ बजे छह डिग्री
10 बजे नौ डिग्री
12 बजे 11 डिग्री
01 बजे 12.2 डिग्री
दोपहर बाद से रात तक का तापमान
2.30 बजे 14.4 डिग्री
3.30 बजे 13 डिग्री
पांच बजे 11.3 डिग्री
आठ बजे 10.3 डिग्री
नौ बजे 10 डिग्री
आलू को झुलसा रोग से ऐसे बचाएं
पाला पड़ने की वजह से आलू की फसल में झुलसा रोग लगने की आशंका बढ़ गई है। इस संबंध में सीएसए की ओर से किसानों को सलाह दी गई कि वे अपनी फसल को बचाने के लिए दो सप्ताह के अंतराल में मैकोजेब 75 प्रतिशत चूर्ण को दो किलोग्राम प्रति हेक्टेयर के हिसाब से घोल बनाकर छिड़काव करें।