कानपुर: न स्पीड ब्रेकर थे…न संकेतक, हादसे में दो दोस्तों की हुई थी मौत
कानपुर में सचेंडी हाईवे पर निर्माणाधीन अंडरपास के पास रखे बोल्डरों में कार के टकराने से एलएलबी छात्र व फौजी की मौत के मामले में एनएचएआई के प्रोजेक्ट मैनेजर व कार्यदायी संस्था के ठेकेदार के खिलाफ गैर इरादतन हत्या की रिपोर्ट दर्ज की गई है। छात्र के पिता का आरोप है कि निर्माण के दौरान न तो स्पीड ब्रेकर बनाए गए और न ही संकेतक।
इस लापरवाही के चलते ही बेटे और उसके दोस्त की जान चली गई। पनकी गंगागंज के विद्यार्थीनगर निवासी राजेश कुमार प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में मेडिकल पर्यवेक्षक हैं। राजेश कुमार ने बताया कि उनका इकलौता बेटा अभिषेक दिल्ली यूनिवर्सिटी से लॉ की पढ़ाई करने के साथ ही सिविल सर्विस की तैयारी कर रहा था।
13 अप्रैल को अभिषेक तीन दोस्तों रेलवे कर्मी अभिषेक पाल, बैंककर्मी शिवम गोस्वामी, सैन्यकर्मी सुमित यादव के साथ सुबह करीब चार बजे दिल्ली जा रहा था। सचेंडी में निर्माणाधीन अंडरपास के पास उनकी कार बोल्डरों से टकरा गई थी। हादसे में सुमित की मौके पर मौत हो गई थी, जबकि अन्य घायलों को हैलट में भर्ती कराया गया था। दो मई को बेटे अभिषेक की भी मौत हो गई थी।
गैर इरादतन हत्या की धारा में रिपोर्ट दर्ज
आरोप है कि एनएचएआई अधिकारियों व कार्यदायी संस्था के लापरवाही के कारण हादसा हुआ। बताया कि निर्माण स्थल के पास लाइट, साइनेज, रिफ्लेक्टिव संकेत व एंबुलेंस की व्यवस्था नहीं थी। सचेंडी थाना प्रभारी ने बताया कि तहरीर के आधार पर एनएचएआई के प्रोजेक्ट मैनेजर व ठेकेदार के खिलाफ गैर इरादतन हत्या की धारा में रिपोर्ट दर्ज कर मामले की जांच की जा रही है।
एक दोस्त अभी भी बेड पर, दूसरे की आंखों में गंभीर चोट
बैंककर्मी शिवम रिजेंसी अस्पताल से डिस्चार्ज होने के बाद अभी भी बेड पर है। रेलवे कर्मी अभिषेक की आंखों का इलाज चल रहा है। परिजनों की मानें तो उसकेे दोनों आंखों की रोशनी आधी हो गई है। उनके परिजनों ने भी एनएचएआई के अधिकारियों पर ही लापरवाही का आरोप लगाते हुए न्याय की मांग की है।
न तो एंबुलेंस थी और न ही कर्मचारी
राजेश कुमार का कहना था कि हादसे के वक्त घटनास्थल पर न तो एंबुलेंस थी और न ही कोई कर्मचारी था। इसके चलते बच्चों को समय से इलाज नहीं मिल सका था। घटना के तीन घंटे बाद पुलिस ने घायलों को एंबुलेंस की मदद से हैलट भेजा था।
ये थी हादसे की वजह
स्पीड ब्रेकर का निर्माण नहीं किया जाना।
लाइट की व्यवस्था न किया जाना।
मार्ग अवरुद्ध करने के संकेतों आदि का न लगाना।
रिफलेक्टिव संकेतों के साथ स्टाप डेंजर, दुर्घटना बहुल क्षेत्र आदि के बोर्ड न लगाना ।
खतरे की सूचक लालबत्ती का न लगाना।
जानवरों को सड़क मार्ग पर आने से रोकने के उपायों का न किया जाना।
एम्बुलेंस की प्रापर व्यवस्था न होना।