कानपुर: नाबालिग ने ली थी दो किशोरों की जान, सात महीने बाद गिरफ्तार…

कानपुर में गंगा बैराज स्थित मैगी प्वाइंट में दो नाबालिगों को कार से रौंदने वाले डॉक्टर के नाबालिग बेटे को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने हैलट में मेडिकल कराने के बाद उसे जुवेनाइल कोर्ट में पेश किया। वहां से न्यायिक हिरासत में बाल संप्रेक्षण गृह इटावा भेज दिया गया।

नवाबगंज के रामपुर कटरी गांव निवासी सागर निषाद (15) और आशीष (17) 29 अक्टूबर 2023 को गंगा बैराज पर एक मैगी की दुकान पर बैठे थे। रात करीब 9 बजे उन्नाव की तरफ से आ रही तेज रफ्तार कार अनियंत्रित होकर दो दुकानों में जा घुसी। इस दौरान कार की चपेट में आने से दोनों की मौके पर ही मौत हो गई।

हादसे के बाद मौके पर मौजूद लोगों ने कार सवार चार लड़कों को पकड़ लिया। चालक नाबालिग था। नवाबगंज पुलिस ने मामले में सागर के भाई विशाल की तहरीर पर काकादेव निवासी नाबालिग कार चालक व उसके तीन दोस्तों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की थी। इसके बाद पुलिस ने आरोपी कार चालक को थाने से जमानत पर छोड़ दिया था।

डॉक्टर के घर से बेटे को गिरफ्तार किया
हालांकि मामले में काफी विवाद उठने के बाद पुलिस कमिश्नर अखिल कुमार ने प्रकरण की विवेचना एसीपी कर्नलगंज महेश कुमार को सौंपी। एसीपी ने बारीकी से विवेचना की और साक्ष्यों और पीड़ित पक्ष, घटनास्थल पर मौजूद लोगों और मृतकों के पंचायतनामा की कार्रवाई में शामिल रहे लोगों के बयान के आधार पर धारा 304 ए में दर्ज इस मामले को गैर इरादन हत्या में बदला दिया। मंगलवार को एसीपी की अगुवाई में गठित पुलिस टीम ने काकादेव निवासी डॉक्टर के घर से उनके बेटे को गिरफ्तार कर लिया।

बर्रा हादसे के बाद अधिकारियों की नजर में आया मामला
हादसे के बाद से लगातार इस मामले में कई तरह की चर्चाएं चल रही थी। कहा जा रहा था कि पुलिस मामले में लीपापोती कर रही है। हालांकि इसी बीच डॉक्टर के आरोपी बेटे ने बर्रा में बीते माह अनियंत्रित गति से कार चला कर एक और व्यक्ति को घायल कर दिया। इसके बाद पुलिस अधिकारी इसे लेकर सतर्क हो गए और एसीपी को जांच सौंप दी गई।

एसीपी को जांच सौंप दी, फिर सारी सच्चाई सामने आ गई
सागर के परिजनों ने रकम की बात नहीं कबूली। चर्चा थी कि दोनों पीड़ित परिवारों को नौ-नौ लाख रुपये दिए गए हैं। पड़ताल में यह भी सामने आया था कि तत्कालीन नवाबगंज थाना प्रभारी, गंगा बैराज चौकी प्रभारी और थानेदार के कारखास को भी मोटा हिस्सा गया था। इसके बाद पुलिस कमिश्नर ने एडीसीपी को जांच के आदेश दिए थे। फिर उनके तबादले के बाद एसीपी को जांच सौंप दी, जिसमें सारी सच्चाई सामने आ गई।

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