कानपुर: हैलट में बनेगा प्रदेश का सबसे बड़ा डायलिसिस सेंटर
कानपुर के हैलट में प्रदेश का सबसे बड़ा डायलिसिस सेंटर बनेगा। यह सेंटर पीपीपी मॉडल पर संचालित किया जाएगा। 30 बेड के इस डायलिसिस सेंटर में हेपेटाइटिस बी और सी, एचआईवी संक्रमित रोगियों की डायलिसिस के लिए भी बेड आरक्षित रहेंगे। अभी तक इतना बड़ा डायलिसिस सेंटर किसी राजकीय मेडिकल कॉलेज में नहीं है। डीजीएमई कार्यालय ने मेडिकल कॉलेज प्रबंधन से सेंटर के संबंध में विस्तृत प्रस्ताव मांगा है।
वहीं, मेडिकल कॉलेज ने केजीएमयू लखनऊ से सेंटर का ब्यौरा मंगाया है। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज ने डायलिसिस सेंटर के लिए एक महीने पहले प्रस्ताव भेजा था। इस पर डीजीएमई कार्यालय ने कॉलेज प्रबंधन से विस्तृत प्रस्ताव भेजने के लिए कहा है। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. संजय काला ने इस संबंध में अधिकारियों के साथ बैठक की।
पीपीपी मॉडल पर डायलिसिस सेंटर संचालित करने वाली एजेंसी से मशीनों, उपकरणों आदि के बारे में जानकारी ली जा रही है। अभी केजीएमयू लखनऊ में पीपीपी मॉडल पर एजेंसी 23 बेड का डायलिसिस सेंटर संचालित कर रही है। हैलट का सेंटर उससे बड़ा होगा। हैलट के डायलिसिस सेंटर में पांच बेड हेपेटाइटिस बी और सी तथा एचआईवी रोगियों के लिए आरक्षित रहेंगे।
केजीएमयू से मंगाया गया है ब्यौरा
अभी इन रोगों के संक्रमितों को डायलिसिस कराने में दिक्कत होती है। विभिन्न अस्पतालों में संचालित डायलिसिस सेंटर एचआईवी, हेपेटाइटिस बी और सी के संक्रमितों को रेफर कर देते हैं। मेडिकल कॉलेज की उप प्राचार्य डॉ. रिचा गिरि ने बताया कि प्रस्ताव तैयार करवाया जा रहा है। केजीएमयू से ब्यौरा मंगाया गया है।
अभी मेडिसिन में छह बेड का सेंटर
मेडिसिन विभाग में अभी छह बेड का डायलिसिस सेंटर है। रोगियों की संख्या अधिक होने पर सेंटर दो शिफ्ट में संचालित करना पड़ता है। हैलट में 17 जिलों के रोगी आते हैं। इससे डायलिसिस के लिए रोगियों की वेटिंग हो जाती है। इसके साथ ही हैलट इमरजेंसी में भी दो डायलिसिस मशीनें है। अति गंभीर हालत में आने वाले रोगियों की डायलिसिस इमरजेंसी में हो जाती है।
गुर्दा फेल के औसत पांच रोगी रोज आते इमरजेंसी में
हैलट इमरजेंसी में गुर्दा फेल के औसत पांच रोगी रोज भर्ती होते हैं। वायरल, बैक्टीरियल संक्रमण, हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, अत्याधिक शराब का सेवन आदि से रोगियों के गुर्दे फेल हो जाते हैं। शहर के अलावा आसपास के जिलों से रोगियों को इमरजेंसी में भर्ती किया जाता है।
वेटिंग में हो जाता खतरा
डायलिसिस के लिए वेंटिंग होने पर रोगियों को जान का खतरा रहता है। अगर शरीर में पानी अधिक भर गया तो रोगी की कार्डिएक अरेस्ट से मौत हो जाती है। गुर्दा फेल होने पर रोगी की जल्दी से जल्दी डायलिसिस करानी पड़ती है। कुछ रोगियों की सप्ताह में दो बार तो किसी की तीन बार डायलिसिस की नौबत रहती है।