कानपुर : विवि में चल रहा फेल छात्रों को पास करने का खेल, लावारिस लिफाफे से हुआ खुलासा

कानपुर में छत्रपति शाहूजी महाराज विवि में रिकॉर्ड रूम में रखे दस्तावेजों से छेड़छाड़ कर फेल छात्र को पास करने के खेल का खुलासा हुआ है। मामले में एक कर्मचारी शक के दायरे में आया है। विवि के कुलसचिव डॉ. अनिल कुमार यादव ने कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक के निर्देश पर चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के खिलाफ कल्याणपुर थाने में एफआईआर दर्ज कराई है। विवि में चल रहे इस खेल का खुलासा स्टूडेंट सपोर्ट सेल में मिले एक लावारिस लिफाफे से हुआ।

रजिस्ट्रार डॉ. अनिल कुमार यादव ने बताया कि छात्रों से संबंधित 1968 से 2020 तक का सभी गोपनीय रिकॉर्ड एसएससी सेल में दस्तावेजों के रूप में और डिजिटली सुरक्षित रखा गया है। इस रिकॉर्ड के माध्यम से ही डिग्री, माइग्रेशन, प्रमाण पत्र और अंक पत्र आदि जारी किए जाते हैं।  डॉ. यादव ने बताया कि 27 जुलाई को रिकॉर्ड रूम में एक लिफाफा पड़ा मिला। यहां तैनात कर्मचारी ने लिफाफे को खोलकर देखा तो 2013 के एक छात्र के रिकॉर्ड का पन्ना इसमें मिला।

उसने इसकी सूचना एसएससी प्रभारी डिप्टी रजिस्ट्रार अंजलि मौर्या को दी। उन्होंने इसकी जांच प्रशासनिक अधिकारी से कराई। रजिस्ट्रार ने बताया कि जांच में पता चला कि पन्ने में बीएससी अंतिम वर्ष के छात्र टेलीग्राफ रोड निवासी सैयद इकबाल हुसैन रिजवी के बेटे नेहाल हुसैन का पूरा रिकॉर्ड था। उसका रोल नंबर 0929871 और अंकों का पूरा विवरण था। जांच में इस पन्ने और ऑनलाइन चढ़े अंकों में अंतर मिला। मूल रिकॉर्ड के दस्तावेज में नंबरों को ओवरलैप कर उसे पास किया गया था जबकि वह फेल था।

हाई लेवल कमेटी का गठन कर जांच का आदेश
सीसीटीवी कैमरे की फुटेज में एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी जगदीश पाल लिफाफा लिए दिखा। पूछताछ में जगदीश ने अपनी गलती भी स्वीकार की है। मामले की गंभीरता को देखते हुए कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक ने हाई लेवल कमेटी का गठन कर जांच का आदेश दिया है। उनका कहना है कि जांच कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की जाएगी।

ऐसे होता है खेल
डॉ. अनिल ने बताया कि विवि में फेल हुए छात्रों को बैक पेपर की सुविधा दी जाती है। इसमें पास होने पर रिकॉर्ड रूम में रखे गए दस्तावेजों में उसके नंबरों को ओवरलैप किया जाता है। इसके बाद ऑनलाइन भी नंबर अपडेट कर दिए जाते हैं। इसी का फायदा उठाकर कर्मचारी नंबरों में हेरफेर करते हैं।

पहले भी सामने आ चुकी है अंकों की गड़बड़ी
विवि में अंकों की गड़बड़ी करने का मामला नया नहीं है। इससे पहले भी नंबरों के हेरफेर में छात्र के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज हुई थी। विवि में वर्ष 2011-15 के दौरान बीएससी करने वाले गोरखपुर के बरगदवा निवासी छात्र संतोष कुमार गौड़ ने डिग्री के लिए आवेदन किया था। विवि की स्टूडेंट सपोर्ट सेल ने रिकॉर्ड का सत्यापन किया तो मामला संदिग्ध मिला। अंकतालिका और रिकॉर्ड में रखे दस्तावेजों के अनुसार प्रथम वर्ष के चार प्रश्नपत्रों में 96 अंकों की गड़बड़ी मिली। रिकॉर्ड से अंकतालिका में 96 अंक अधिक मिले थे।

एक बाबू को भी गिरफ्तार किया जा चुका है
रिकॉर्ड में संतोष के प्रथम वर्ष में गणित द्वितीय में 17 अंक, भौतिक विज्ञान प्रथम में एक अंक, भौतिक विज्ञान द्वितीय में 16 अंक और रसायन विज्ञान प्रथम में पांच अंक थे। अंकतालिका में क्रमशः 37 अंक, 32 अंक, 34 अंक और 32 अंक मिले थे। संतोष ने एमजी कॉलेज ऑफ साइंस आर्ट एंड कल्चर, उन्नाव से बीएससी पास किया था। इस मामले में संतोष के साथ कॉलेज के एक बाबू को भी गिरफ्तार किया जा चुका है।

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