कानपुर दक्षिण में घमासान जारी, प्रदेश नेतृत्व तक पहुंची ब्राह्मण चेहरे को कमान देने की मांग
कानपुर में पूर्व विधायक अजय कपूर के पार्टी छोड़ने के बाद हाथ को मजबूत करने के लिए कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं व कार्यकर्ताओं ने कवायद शुरू कर दी है। इसके तहत पुराने कार्यकर्ताओं ने कांग्रेस प्रदेश नेतृत्व से किसी ब्राह्मण चेहरे को दक्षिण की कमान सौंपने की मांग की है। अभी उत्तर जिलाध्यक्ष नौशाद आलम को ही दक्षिण का प्रभार सौंपा गया है।
पार्टी अध्यक्ष से लेकर प्रदेश प्रभारी तक को लिखित में दक्षिण में उपज रहे असंतोष से अवगत कराते हुए फैसले पर पुनर्विचार के लिए कहा गया है। बड़ी संख्या में नेताओं की इस कवायद के बाद अब प्रदेश नेतृत्व दक्षिण को लेकर मंथन में जुट गया है। पार्टी सूत्रों की मानें तो उत्तर के शहर अध्यक्ष को दक्षिण का भी कार्यभार दिए जाने के बाद उत्तर से लेकर दक्षिण तक में पार्टी के भीतर असंतोष बढ़ गया था।
पार्टी के उत्तर व दक्षिण के कई वरिष्ठ कार्यकर्ताओं ने प्रदेश नेतृत्व से इसको लेकर सवाल उठाया था। दलील दी जा रही थी कि स्थानीय नेता को जिम्मेदारी न देने से दक्षिण के नेता व कार्यकर्ता हतोत्साहित हो रहे हैं। नजरंदाज करने के साथ-साथ ब्राह्मण बहुल क्षेत्र में गैर ब्राह्मण अध्यक्ष बनाए जाने की वजह से उभरी नाराजगी से निपटने पर जोर दिया जा रहा था।
वार्ड व बूथ तक मैनेजमेंट में संकट खड़ा होने की आशंका
इसके अलावा अजय कपूर के करीबियों के भितरघात से निपटने के लिए भी स्थानीय कार्यकर्ता किसी ऐसे स्थानीय नेता को जिम्मेदारी सौंपने के पक्ष में थे, जिसे स्थानीय समीकरण की पूरी जानकारी हो। चूंकि अजय कपूर के जाने के बाद बड़ी चुनौती दक्षिण खासकर ब्राह्मणों के गढ़ कहे जाने वाले किदवईनगर क्षेत्र में पार्टी के लिए वार्ड व बूथ तक मैनेजमेंट में संकट खड़ा होने की आशंका है।
दक्षिण के ही चेहरे को ही तवज्जो देती है
ऐसे में पार्टी के नेता ऐसे नेता को पदभार देने की बात कह रहे हैं, जो कपूर के दांंवपेंच से निपटने के साथ-साथ घर बैठ रहे पुराने कार्यकर्ताओं को बाहर निकालकर पार्टी की चुनावी मुहिम को धार दे सके। प्रदेश के वरिष्ठ नेताओं ने भी इस संबंध में जिले के नेताओं से बातचीत कर बीच का रास्ता निकालने की बात कही है। अब देखना यह है कि पार्टी हाल ही में उत्तर अध्यक्ष को दिए दक्षिण के कार्यभार के फैसले के साथ रहकर असंतोष के बढ़ने के खतरे का सामना करने का मन बनाती है या फिर पुनर्विचार कर किसी दक्षिण के ही चेहरे को ही तवज्जो देती है।
पार्टी प्रत्याशी से लोगों ने जताई थी नाराजगी
प्रत्याशी बनने के बाद पुराने कार्यकर्ताओं से संपर्क की कोशिश कर रहे आलोक मिश्रा से भी कई नेताओं ने यह बात रखी थी। दलील दी जा रही थी कि पार्टी के एक गलत कदम से उनके चुनाव पर खासकर दक्षिण में काफी घातक असर हो सकता है। बताया जा रहा है कि इसी के बाद उन्होंने खुद ऐसे नेताओं से संपर्क करना शुरू किया है, जो दक्षिण में प्रभावशाली हैं और कपूर के जाने के बाद डैमेज कंट्रोल का काम कर सकते हैं।
दक्षिण की लीड को कम करने की चुनौती
दक्षिण पर पार्टी के नेता इसलिए भी ज्यादा जोर दे रहे हैं क्योंकि पिछले लोकसभा व महापौर के चुनावों में विपक्षी भाजपा को जो बढ़त दक्षिण की गोविंदनगर और किदवईनगर विधानसभा क्षेत्र से मिली थी, वह शहर के अन्य विधानसभा क्षेत्रों में भी नहीं टूट पाई थी। ऐसे में नेता बार-बार चेता रहे हैं कि कहीं ऐसा न हो कि गैर ब्राह्मण चेहरे की वजह से पार्टी को परंपरागत रूप से मिलने वाले वोटों में भी नुकसान हो जाए।
कांग्रेस खासकर दक्षिण के नेताओं ने इस बात को लेकर अपनी पीड़ा उच्च स्तर पर पहुंचाई है। कहा गया है कि दक्षिण कांग्रेस के किसी भी पदाधिकारी की बजाय उत्तर के किसी नेता को चार्ज क्यों दिया गया है। उम्मीद है कि पार्टी का प्रदेश नेतृत्व भी इस पर सहानुभूति पूर्वक विचार कर निर्णय लेगा। -सुनीत त्रिपाठी, पीसीसी सदस्य
दक्षिण कांग्रेस में किसी भी तरह के बदलाव की अफवाह बेबुनियाद है। पार्टी की ओर से मुझे दक्षिण कांग्रेस का भी अध्यक्ष पद का भी दारोमदार सौंपा गया है और मैंने दक्षिण के दोनों विधानसभा क्षेत्र में वार्ड वाइज दौरे कर संगठन को नए सिरे से खड़ा करने का काम शुरू कर दिया है। -नौशाद आलम मंसूरी, कांग्रेस शहर अध्यक्ष