कानपुर: न आंधी-बादल और न प्री मानसूनी बारिश, इसीलिए बरस रही आसमान से आग

कानपुर में मई के महीने में सर्वाधिक तापमान का रिकॉर्ड यूं ही नहीं तीसरी बार टूटा है। सबसे बड़ी वजह प्री मानसूनी गतिविधियों का का पूरी तरह ठप रहना है। मार्च, अप्रैल और मई में होने वाली बारिश को प्री मानसूनी बारिश माना जाता है। इन्ही महीनों में बादल आते हैं और आंधी भी आती है। इन तीनों वजहों से चढ़ता हुआ तापमान गोते खा जाता है।

मगर इस साल ऐसा नहीं हुआ। चंद्रशेखर आजाद कृषि विश्वविद्यालय के मौसम विभाग के अनुसार इस साल इन तीन महीनों में अब तक सिर्फ 34 मिमी ही बरसात हुई है। बादलों की आवाजाही भी बहुत कम रही और तेज हवाएं भी नाममात्र को ही चलीं। वहीं, पिछले साल इन तीन महीनों में 157 मिमी बारिश हुई थी। पश्चिमी विक्षोभ भी तीनों महीने सक्रिय रहा था।

नम हवाओं ने अपना रास्ता बदल दिया है
मौसम विभाग के प्रमुख डॉ. एसएन सुनील पांडेय बताते है कि इस साल प्री मानसूनी गतिविधियों की कम सक्रियता की वजह अरब सागर और बंगाल की खाड़ी से उठने वाली वे नम हवाएं हैं, जिन्होंने अपना रास्ता बदल दिया है। यही हवाएं पश्चिमी विक्षोभ की सक्रियता को बढ़ाती हैं। इस बार इन हवाओं का दिशा ही बदल गई है।

उत्तरी क्षेत्र में पड़ रही है भीषण गर्मी
अभी तक ये हवाएं उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और यहां तक कि जम्मू कश्मीर जाती थीं लेकिन इस साल ये मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र होते हुए दक्षिण भारत की ओर अधिक बह रही हैं। यही वजह है कि इस बार उत्तर भारत की अपेक्षा दक्षिणी भारत में अधिक बारिश हो रही है, और उत्तरी क्षेत्र में भीषण गर्मी पड़ रही है।

29 जून तक पहली बारिश होने के संकेत
डॉ. पांडेय ने बताया कि अभी भी प्री मानसूनी गतिविधियों के संकेत नहीं मिल रहे हैं। हालांकि 22 से 25 जून तक उत्तर प्रदेश में और 29 जून तक महानगर में मानसून की पहली बारिश होने के संकेत मिल रहे हैं, लेकिन प्री मानसूनी बारिश कब तक होगी इसका पूर्वानुमान अभी तक मौसम विभाग नहीं लगा पा रहा है।

पिछले वर्षों में प्री मानसूनी बारिश
2024 में 34 मिमी ( सिर्फ एक बार बारिश, फिर से बादल गायब)।
2023 में 123 मिमी।
2022 में 0.2 मिमी ( 20 से अधिक बार बादल आए और बूंदाबादी हुई) ।
2021 में 43.2 मिमी (लगातार तेज हवाएं चलीं, बादल आते रहे) ।
2020 में 147.5 मिमी (ओले भी पड़े थे) ।

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